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बच्चों में कोरोना से गंभीर बीमारी और मृत्यु का जोखिम बहुत कम : अध्ययन

ब्रिटेन के एक अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना वायरस की वजह से बच्चों को गंभीर बीमारी होने का खतरा कम है. जानिए और क्या कहा गया है इस अध्ययन में...

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Published : Jul 9, 2021, 3:59 PM IST

लंदन : बच्चों और किशोरों में कोविड-19 से गंभीर बीमारी होने और मृत्यु होने का खतरा बहुत कम होता है. ब्रिटेन में सार्वजनिक स्वास्थ्य आंकड़ों के व्यापक विश्लेषण में यह बात सामने आई.

हालांकि, अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कोरोना वायरस संक्रमण होने से उन युवाओं के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका हो सकती है, जो पहले से गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं.

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल), यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल, यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क और यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल के अनुसंधानकर्ताओं की रिपोर्ट में 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की नीति भी सुझाई गई है.

इनमें कुल तीन अध्ययनों का विश्लेषण किया गया. एक अध्ययन में पता चला कि इंग्लैंड में 18 साल से कम उम्र के 251 लोगों को फरवरी 2021 तक कोविड-19 के उपचार के लिए गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया था. अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, इससे पता चला कि ब्रिटेन में 47,903 लोगों में से एक किशोर के सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित होने की और आईसीयू में भर्ती कराने की आशंका थी.

एक अन्य अध्ययन में बताया गया कि इंग्लैंड में कोविड-19 से 25 बच्चों और किशोरों की मृत्यु हो गई. यानी 4,81,000 लोगों में से किसी एक को या दस लाख में दो लोगों को संक्रमण से मौत का खतरा था.

पढ़ें :- कोरोना की तीसरी लहर के दूसरी लहर जैसी गंभीर होने की आशंका नहीं : अध्ययन

दोनों अध्ययनों के प्रमुख अध्ययनकर्ता प्रोफेसर रसेल वाइनर ने कहा, ये नए अध्ययन दिखाते हैं कि सार्स-सीओवी-2 से गंभीर रोग या मृत्यु का खतरा बच्चों और किशोरों में बहुत कम है.

तीसरे अध्ययन में 55 शोधपत्रों का विश्लेषण करने के बाद उक्त दोनों अध्ययनों के समान ही निष्कर्ष निकाले गए.

(पीटीआई-भाषा)

लंदन : बच्चों और किशोरों में कोविड-19 से गंभीर बीमारी होने और मृत्यु होने का खतरा बहुत कम होता है. ब्रिटेन में सार्वजनिक स्वास्थ्य आंकड़ों के व्यापक विश्लेषण में यह बात सामने आई.

हालांकि, अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कोरोना वायरस संक्रमण होने से उन युवाओं के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका हो सकती है, जो पहले से गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं.

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल), यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल, यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क और यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल के अनुसंधानकर्ताओं की रिपोर्ट में 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की नीति भी सुझाई गई है.

इनमें कुल तीन अध्ययनों का विश्लेषण किया गया. एक अध्ययन में पता चला कि इंग्लैंड में 18 साल से कम उम्र के 251 लोगों को फरवरी 2021 तक कोविड-19 के उपचार के लिए गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया था. अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, इससे पता चला कि ब्रिटेन में 47,903 लोगों में से एक किशोर के सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित होने की और आईसीयू में भर्ती कराने की आशंका थी.

एक अन्य अध्ययन में बताया गया कि इंग्लैंड में कोविड-19 से 25 बच्चों और किशोरों की मृत्यु हो गई. यानी 4,81,000 लोगों में से किसी एक को या दस लाख में दो लोगों को संक्रमण से मौत का खतरा था.

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दोनों अध्ययनों के प्रमुख अध्ययनकर्ता प्रोफेसर रसेल वाइनर ने कहा, ये नए अध्ययन दिखाते हैं कि सार्स-सीओवी-2 से गंभीर रोग या मृत्यु का खतरा बच्चों और किशोरों में बहुत कम है.

तीसरे अध्ययन में 55 शोधपत्रों का विश्लेषण करने के बाद उक्त दोनों अध्ययनों के समान ही निष्कर्ष निकाले गए.

(पीटीआई-भाषा)

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