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चीन में टूट रहा कोरोना का चक्र, जानें क्या है वजह...

दुनियाभर के देशों को अपनी चपेट में लेने वाले कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी, लेकिन आज वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका, इटली और स्पेन हैं. इन देशों में संक्रमितों की संख्या के साथ मौतों का आंकड़ा वाकई डराने वाला है. ऐसे में सवाल यह कि आखिर इन टॉप तीन कोरोना पीड़ित देशों में चीन का नाम क्यों नहीं ? कैसे चीन ने इस वायरस पर काबू पाया ? इसके अलावा और भी तरह-तरह के सवालों के जवाब सभी के जहन में घूम रहे होंगे. जानें ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब...

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चीन में टूट रहा कोरोना का चक्र
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Published : Apr 3, 2020, 1:53 PM IST

हैदराबाद : विश्वभर में फैले कोरोना वायरस के जोखिम के स्तर को चीन ने कम कर दिया है. यहां जिंदगी पटरी पर लौट रही है. गौरतलब है कि नौ सप्ताह के बाद चीन ने मध्य हुबेई प्रांत पर लगाई गई तालाबंदी को हटाने का फैसला किया है. हालांकि वैज्ञानिक और दुनिया इस बात पर पैनी नजर बनाए हुए है कि क्या नए मामलों के साथ ही लॉकडाउन में ढील देने का चीन का फैसला सही होगा? कोरोना वायरस संक्रमण के बहुत कम मामले सामने आने के साथ ही चीन इन सब बातों से बेपरवाह है.

हांगकांग विश्वविद्यालय के एक महामारी विज्ञानी बेन काउलिंग कहते हैं कि लॉकडाउन आराम करने का समय है, लेकिन हमें संक्रमण की संभावित स्टेजों के लिए सतर्क रहने की जरूरत है. देश में बढ़ते पॉजिटिव मामलों को देखते हुए वुहान को पूरी तरह से बंद करा दिया गया. इसके साथ ही चीन ने अपनी सीमाओं के भीतर यात्रा को प्रतिबंधित कर दिया. ज्यादातर व्यवसायों, स्कूलों और विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया और घातक वायरस के प्रसार को रोकने की कोशिश में लोगों को घर पर रहने के लिए कहा गया.

यह भी पढ़ें : कोरोना से मौतों का असली आंकड़ा छिपा रहा है चीन : निक्की हेली

लॉकडाउन ने चीन में कोरोना वायरस के मामलों में ढील जरूर दी है. इस बीच ज्यादा जांचें हुईं. इसके साथ ही सामाजिक दूरी ने कोरोना के बढ़ते मामलों में काफी हद तक रोक लगा दी.

सील हुईं सीमाएं
बता दें, चीन ने अपनी सीमाओं को सील कर दिया है. इसके साथ ही देश में लौटने वाले निवासियों के लिए चौदह दिन के क्वारंटाइन की घोषणा की गई.

शोधकर्ताओं का दावा है कि चीन के आक्रामक रुख से वहां संक्रमण के मामले घटे हैं.

इटली और स्पेन जैसे देशों को सामान्य जीवन में वापस लौटने के लिए अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इन देशों ने गहन जांच और लोगों के भौतिक संपर्क को कम करने की बजाय वायरस की गति को धीमा करने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है.

हांगकांग विश्वविद्यालय के एक संक्रामक रोग शोधकर्ता गेब्रियल लियुंग कहते हैं कि फिर भी चीन में नए प्रकोप का खतरा अधिक है, इसके साथ ही संक्रमण के कुछ मामले अब भी अछूते हैं.

पढ़ें : कोरोना: भारतीय मूल के योग एक्सपर्ट ने दी चीन के हालात के बारे में जानकारी

इस बात की संभावना है कि सिर्फ लॉकडाउन पर्याप्त नहीं है. वायरस को रोकने के लिए हमें और भी कड़े कदम उठाने की जरूरत है.

धीरे-धीरे सामान्य हो रहा जीवन
चीन के हुबेई प्रांत में जीवन अभी तक सामान्य नहीं हुआ है. हालांकि, लोग धीरे-धीरे अपने घरों से बाहर निकलकर काम पर लौट रहे हैं और कारखाने फिर से खुल रहे हैं.

सरकारी अधिकारियों के अनुसार विश्वविद्यालय, स्कूल और बाल देखभाल केंद्र बंद रहेंगे.

वुहान में आठ अप्रैल तक यात्रा प्रतिंबधित है. 18 मार्च के बाद से हुबेई में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से गिरावट आई है.

लियुंग कहते हैं कि वायरस को समुदाय में खुद को फिर से स्थापित करने में कठिनाई होगी. 50% और 70% लोगों का एक हिस्सा संक्रमित था, लेकिन अब वह सभी लोग सुरक्षित हैं.

उन्होंने आगे कहा कि वुहान में जो 81,000 मामले सामने आए हैं, वह लोग अब इस बीमारी से प्रतिरक्षित हैं, लेकिन अब भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो इस संक्रमण की चपेट में हैं.

लियुंग ने कहा कि वैक्सीन से लोगों का इम्यून प्रतिशत तो बढ़ेगा, लेकिन कम से कम एक साल तक किसी टीके की उम्मीद नहीं है.

क्यूआर कोड से मिलती है जानकारी
चीन अब भी कोरोना वायरस (कोविड-19) की बड़े पैमाने पर निगरानी कर रहा है. प्रांत के सभी निवासियों को एक क्यूआर कोड दिया गया है, जिसमें एक तरह की बारकोड युक्त जानकारी जारी की जाती है. इसे स्कैन करने पर स्वास्थ्य और यात्रा के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है.

सुरक्षित व्यक्ति को मिलता है ग्रीन स्टेटस
इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति चीन में सुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्रों में रह गया है, तो उन्हें एक ग्रीन स्टेटस मिलता है, जिससे उन्हें प्रांतीय सीमाओं को पार करने, अस्पतालों और आवासीय इलाकों में प्रवेश की अनुमति मिलती है.

पढ़ें : चीन में लॉकडाउन के कारण सात लाख लोग संक्रमित होने से बचे

ट्रैक होती हैं गतिविधियां
संक्रमित व्यक्ति को एक दूसरे के साथ घुलने मिलने से रोका जाता है. इतना ही नहीं, अगर किसी नए मामले का पता चलता है, तो सरकार उस व्यक्ति की गतिविधियों को ट्रैक कर सकती है और उन लोगों को सूचना दे सकती है, जिनके संपर्क में वह व्यक्ति आ सकता है.

सोशल डिस्टेंसिंग पर बढ़ा भरोसा
गौरतलब है कि कोरोना के भयंकर कहर से जूझ रहे इटली स्पेन और अमेरिका जैसे देश सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) की नीति पर भरोसा कर रहे हैं और लोगों को घरों पर रहने की अपील कर रहे हैं.

चीन ने भी इन उपायों को लागू किया, लेकिन साथ ही नए अस्पतालों का निर्माण भी कराया. इसके साथ ही अधिकारी लोगों की जांच करने के लिए घर-घर गए.

इस अतिरिक्त कदम ने वायरस रोकने में चीन की मदद की.

हैदराबाद : विश्वभर में फैले कोरोना वायरस के जोखिम के स्तर को चीन ने कम कर दिया है. यहां जिंदगी पटरी पर लौट रही है. गौरतलब है कि नौ सप्ताह के बाद चीन ने मध्य हुबेई प्रांत पर लगाई गई तालाबंदी को हटाने का फैसला किया है. हालांकि वैज्ञानिक और दुनिया इस बात पर पैनी नजर बनाए हुए है कि क्या नए मामलों के साथ ही लॉकडाउन में ढील देने का चीन का फैसला सही होगा? कोरोना वायरस संक्रमण के बहुत कम मामले सामने आने के साथ ही चीन इन सब बातों से बेपरवाह है.

हांगकांग विश्वविद्यालय के एक महामारी विज्ञानी बेन काउलिंग कहते हैं कि लॉकडाउन आराम करने का समय है, लेकिन हमें संक्रमण की संभावित स्टेजों के लिए सतर्क रहने की जरूरत है. देश में बढ़ते पॉजिटिव मामलों को देखते हुए वुहान को पूरी तरह से बंद करा दिया गया. इसके साथ ही चीन ने अपनी सीमाओं के भीतर यात्रा को प्रतिबंधित कर दिया. ज्यादातर व्यवसायों, स्कूलों और विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया और घातक वायरस के प्रसार को रोकने की कोशिश में लोगों को घर पर रहने के लिए कहा गया.

यह भी पढ़ें : कोरोना से मौतों का असली आंकड़ा छिपा रहा है चीन : निक्की हेली

लॉकडाउन ने चीन में कोरोना वायरस के मामलों में ढील जरूर दी है. इस बीच ज्यादा जांचें हुईं. इसके साथ ही सामाजिक दूरी ने कोरोना के बढ़ते मामलों में काफी हद तक रोक लगा दी.

सील हुईं सीमाएं
बता दें, चीन ने अपनी सीमाओं को सील कर दिया है. इसके साथ ही देश में लौटने वाले निवासियों के लिए चौदह दिन के क्वारंटाइन की घोषणा की गई.

शोधकर्ताओं का दावा है कि चीन के आक्रामक रुख से वहां संक्रमण के मामले घटे हैं.

इटली और स्पेन जैसे देशों को सामान्य जीवन में वापस लौटने के लिए अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इन देशों ने गहन जांच और लोगों के भौतिक संपर्क को कम करने की बजाय वायरस की गति को धीमा करने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है.

हांगकांग विश्वविद्यालय के एक संक्रामक रोग शोधकर्ता गेब्रियल लियुंग कहते हैं कि फिर भी चीन में नए प्रकोप का खतरा अधिक है, इसके साथ ही संक्रमण के कुछ मामले अब भी अछूते हैं.

पढ़ें : कोरोना: भारतीय मूल के योग एक्सपर्ट ने दी चीन के हालात के बारे में जानकारी

इस बात की संभावना है कि सिर्फ लॉकडाउन पर्याप्त नहीं है. वायरस को रोकने के लिए हमें और भी कड़े कदम उठाने की जरूरत है.

धीरे-धीरे सामान्य हो रहा जीवन
चीन के हुबेई प्रांत में जीवन अभी तक सामान्य नहीं हुआ है. हालांकि, लोग धीरे-धीरे अपने घरों से बाहर निकलकर काम पर लौट रहे हैं और कारखाने फिर से खुल रहे हैं.

सरकारी अधिकारियों के अनुसार विश्वविद्यालय, स्कूल और बाल देखभाल केंद्र बंद रहेंगे.

वुहान में आठ अप्रैल तक यात्रा प्रतिंबधित है. 18 मार्च के बाद से हुबेई में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से गिरावट आई है.

लियुंग कहते हैं कि वायरस को समुदाय में खुद को फिर से स्थापित करने में कठिनाई होगी. 50% और 70% लोगों का एक हिस्सा संक्रमित था, लेकिन अब वह सभी लोग सुरक्षित हैं.

उन्होंने आगे कहा कि वुहान में जो 81,000 मामले सामने आए हैं, वह लोग अब इस बीमारी से प्रतिरक्षित हैं, लेकिन अब भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो इस संक्रमण की चपेट में हैं.

लियुंग ने कहा कि वैक्सीन से लोगों का इम्यून प्रतिशत तो बढ़ेगा, लेकिन कम से कम एक साल तक किसी टीके की उम्मीद नहीं है.

क्यूआर कोड से मिलती है जानकारी
चीन अब भी कोरोना वायरस (कोविड-19) की बड़े पैमाने पर निगरानी कर रहा है. प्रांत के सभी निवासियों को एक क्यूआर कोड दिया गया है, जिसमें एक तरह की बारकोड युक्त जानकारी जारी की जाती है. इसे स्कैन करने पर स्वास्थ्य और यात्रा के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है.

सुरक्षित व्यक्ति को मिलता है ग्रीन स्टेटस
इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति चीन में सुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्रों में रह गया है, तो उन्हें एक ग्रीन स्टेटस मिलता है, जिससे उन्हें प्रांतीय सीमाओं को पार करने, अस्पतालों और आवासीय इलाकों में प्रवेश की अनुमति मिलती है.

पढ़ें : चीन में लॉकडाउन के कारण सात लाख लोग संक्रमित होने से बचे

ट्रैक होती हैं गतिविधियां
संक्रमित व्यक्ति को एक दूसरे के साथ घुलने मिलने से रोका जाता है. इतना ही नहीं, अगर किसी नए मामले का पता चलता है, तो सरकार उस व्यक्ति की गतिविधियों को ट्रैक कर सकती है और उन लोगों को सूचना दे सकती है, जिनके संपर्क में वह व्यक्ति आ सकता है.

सोशल डिस्टेंसिंग पर बढ़ा भरोसा
गौरतलब है कि कोरोना के भयंकर कहर से जूझ रहे इटली स्पेन और अमेरिका जैसे देश सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) की नीति पर भरोसा कर रहे हैं और लोगों को घरों पर रहने की अपील कर रहे हैं.

चीन ने भी इन उपायों को लागू किया, लेकिन साथ ही नए अस्पतालों का निर्माण भी कराया. इसके साथ ही अधिकारी लोगों की जांच करने के लिए घर-घर गए.

इस अतिरिक्त कदम ने वायरस रोकने में चीन की मदद की.

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