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चीन से कोरोना के प्रसार को लेकर खुलासा, गुप्त समझौतों के कारण जांच में हुई चूक

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Published : Dec 3, 2020, 9:57 PM IST

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में विफलता को लेकर चीन एक बार फिर सवालों के घेरे में है. चीन की शीर्ष रोग नियंत्रण एजेंसी में गोपनीयता और पक्षपात के कारण बड़े पैमाने पर जांच की कमी रही और गड़बड़ियां सामने आईं जिनसे कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के शुरुआती प्रयास बाधित हुए. पढ़ें विस्तार से...

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चीन कोरोना वायरस

वुहान : कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में विफलता को लेकर चीन एक बार फिर सवालों के घेरे में है. चीन की शीर्ष रोग नियंत्रण एजेंसी में गोपनीयता और पक्षपात के कारण बड़े पैमाने पर जांच की कमी रही और गड़बड़ियां सामने आईं जिनसे कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के शुरुआती प्रयास बाधित हुए.

समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस की पड़ताल में यह बात सामने आई है. पड़ताल के मुताबिक चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने जांच किटों की डिजाइन और वितरण का अधिकार विशेष रूप से शंघाई की तीन ऐसी कंपनियों को दिया जिनसे अधिकारियों के व्यक्तिगत संबंध थे. इन कंपनियों के बारे में हालांकि तब तक लोगों ने ज्यादा सुना भी नहीं था.

यह पड़ताल 40 से ज्यादा चिकित्सकों, सीडीसी कर्मचारियों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और उद्योग के बारे में जानकारी रखने वालों के साथ ही आंतरिक दस्तावेजों, अनुबंधों, संदेशों और ई-मेल पर आधारित है.

इस मामले और लेन-देन के बारे में जानकारी रखने वाले दो सूत्रों के मुताबिक, शंघाई की कंपनियों- जीनियोडीएक्स बायोटेक, हुईरुई बायोटेक्नोलॉजी और बायोजर्म मेडिकल टेक्नोलॉजी- ने चीन सीडीसी को सूचना और वितरण अधिकार के लिये भुगतान किया. उन्होंने अपना नाम जाहिर नहीं करने की इच्छा व्यक्त की थी. सूत्रों ने कहा कि, कीमत: प्रत्येक के लिये 10 लाख आरएमबी (1,46,600 डॉलर) थी. यह स्पष्ट नहीं है कि क्या रकम खास व्यक्तियों के पास गई.

इस बीच सीडीसी और उसकी पितृ एजेंसी नेशनल हेल्थ कमीशन ने अन्य वैज्ञानिकों और संगठनों को अपने घरेलू किटों से विषाणु की जांच करने से रोकने का प्रयास किया. उन्होंने मरीजों के नमूनों का नियंत्रण ले लिया और कोरोना वायसर से मामलों की पुष्टि के लिये जांच के पैमानों को और ज्यादा जटिल बना दिया.

ऐसे समय में जब विषाणु धीमा हो सकता था, त्रुटिपूर्ण जांच प्रणाली ने वैज्ञानिकों और अधिकारियों को यह देखने से रोक दिया कि यह कितनी तेजी से फैल रहा था. चीनी अधिकारी पांच जनवरी से 17 जनवरी के बीच एक भी नए मामले का पता लगाने में विफल रहे, जबकि वुहान में सैकड़ों लोग संक्रमित थे. इसी शहर में पहली बार वायरस सामने आया था.

मामलों को लेकर इस संभावित शांति का मतलब है कि आम लोगों के बीच चेतावनी जारी करने और लोगों को बड़ी संख्या में एक जगह पर इकट्ठा होने से रोकने संबंधी शुरुआती कार्रवाई करने में अधिकारियों की प्रतिक्रिया धीमी थी.

जांच में यह भी आरोप लगाया गया कि इससे जांच किटों की भी कमी हो गई जिससे बहुत से संक्रमित स्वास्थ्य देखभाल का लाभ नहीं ले पाए. अन्य गलतियों और देरी से जांच की समस्याओं ने विषाणु को वुहान में बेरोकटोक अपनी जड़े जमाने और दुनिया भर में प्रसार का मौका दे दिया.

काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में वैश्विक स्वास्थ्य के लिये सीनियर फैलो यानझोंग हुआंक ने कहा, 'क्योंकि आपके पास जांच किट उपलब्ध कराने वाली सिर्फ तीन कंपनियां थीं, इससे जांच की क्षमता बेहद सीमित हो गई.'

यह भी पढ़ें- चीन के विवादित ट्वीट को लेकर ऑस्ट्रेलिया के रुख में आई नरमी

उन्होंने कहा, 'यह एक प्रमुख समस्या थी जिससे मामलों और मौतों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ.' चीन के विदेश मंत्रालय और चीन की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी- नेशनल हेल्थ कमीशन- ने इस मामले में प्रतिक्रिया के अनुरोध पर कोई जवाब नहीं दिया.

वुहान : कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में विफलता को लेकर चीन एक बार फिर सवालों के घेरे में है. चीन की शीर्ष रोग नियंत्रण एजेंसी में गोपनीयता और पक्षपात के कारण बड़े पैमाने पर जांच की कमी रही और गड़बड़ियां सामने आईं जिनसे कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के शुरुआती प्रयास बाधित हुए.

समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस की पड़ताल में यह बात सामने आई है. पड़ताल के मुताबिक चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने जांच किटों की डिजाइन और वितरण का अधिकार विशेष रूप से शंघाई की तीन ऐसी कंपनियों को दिया जिनसे अधिकारियों के व्यक्तिगत संबंध थे. इन कंपनियों के बारे में हालांकि तब तक लोगों ने ज्यादा सुना भी नहीं था.

यह पड़ताल 40 से ज्यादा चिकित्सकों, सीडीसी कर्मचारियों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और उद्योग के बारे में जानकारी रखने वालों के साथ ही आंतरिक दस्तावेजों, अनुबंधों, संदेशों और ई-मेल पर आधारित है.

इस मामले और लेन-देन के बारे में जानकारी रखने वाले दो सूत्रों के मुताबिक, शंघाई की कंपनियों- जीनियोडीएक्स बायोटेक, हुईरुई बायोटेक्नोलॉजी और बायोजर्म मेडिकल टेक्नोलॉजी- ने चीन सीडीसी को सूचना और वितरण अधिकार के लिये भुगतान किया. उन्होंने अपना नाम जाहिर नहीं करने की इच्छा व्यक्त की थी. सूत्रों ने कहा कि, कीमत: प्रत्येक के लिये 10 लाख आरएमबी (1,46,600 डॉलर) थी. यह स्पष्ट नहीं है कि क्या रकम खास व्यक्तियों के पास गई.

इस बीच सीडीसी और उसकी पितृ एजेंसी नेशनल हेल्थ कमीशन ने अन्य वैज्ञानिकों और संगठनों को अपने घरेलू किटों से विषाणु की जांच करने से रोकने का प्रयास किया. उन्होंने मरीजों के नमूनों का नियंत्रण ले लिया और कोरोना वायसर से मामलों की पुष्टि के लिये जांच के पैमानों को और ज्यादा जटिल बना दिया.

ऐसे समय में जब विषाणु धीमा हो सकता था, त्रुटिपूर्ण जांच प्रणाली ने वैज्ञानिकों और अधिकारियों को यह देखने से रोक दिया कि यह कितनी तेजी से फैल रहा था. चीनी अधिकारी पांच जनवरी से 17 जनवरी के बीच एक भी नए मामले का पता लगाने में विफल रहे, जबकि वुहान में सैकड़ों लोग संक्रमित थे. इसी शहर में पहली बार वायरस सामने आया था.

मामलों को लेकर इस संभावित शांति का मतलब है कि आम लोगों के बीच चेतावनी जारी करने और लोगों को बड़ी संख्या में एक जगह पर इकट्ठा होने से रोकने संबंधी शुरुआती कार्रवाई करने में अधिकारियों की प्रतिक्रिया धीमी थी.

जांच में यह भी आरोप लगाया गया कि इससे जांच किटों की भी कमी हो गई जिससे बहुत से संक्रमित स्वास्थ्य देखभाल का लाभ नहीं ले पाए. अन्य गलतियों और देरी से जांच की समस्याओं ने विषाणु को वुहान में बेरोकटोक अपनी जड़े जमाने और दुनिया भर में प्रसार का मौका दे दिया.

काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में वैश्विक स्वास्थ्य के लिये सीनियर फैलो यानझोंग हुआंक ने कहा, 'क्योंकि आपके पास जांच किट उपलब्ध कराने वाली सिर्फ तीन कंपनियां थीं, इससे जांच की क्षमता बेहद सीमित हो गई.'

यह भी पढ़ें- चीन के विवादित ट्वीट को लेकर ऑस्ट्रेलिया के रुख में आई नरमी

उन्होंने कहा, 'यह एक प्रमुख समस्या थी जिससे मामलों और मौतों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ.' चीन के विदेश मंत्रालय और चीन की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी- नेशनल हेल्थ कमीशन- ने इस मामले में प्रतिक्रिया के अनुरोध पर कोई जवाब नहीं दिया.

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