वॉशिंगटन : अमेरिका में तीन नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए वोट डाले जाएंगे. ऐसे में इस चुनाव के सामने कई तरह की चुनौतियां मुंह खोले खड़ी हैं. इनमें पहली चुनौती कोरोना महामारी है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. वहीं कोरोना महामारी के चलते बेरोजगारी और अंत में नस्लवाद का मुद्दा, जो हाल में अमेरिका समेत कुछ यूरोपीय देशों में खूब सुर्खियों में रहा.
2016 की बात करें, तो डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद पर जीत हासिल की, फिर भले ही हिलेरी क्लिंटन ने लोकप्रियता हासिल की हो.
अब बात करते हैं इलेक्टोरल कॉलेज की, जहां राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान होने हैं.
इलेक्टोरल कॉलेज क्या है?
चुनाव के अंतिम दौर में राज्यों के मतदाता इलेक्टर्स चुनते हैं, जो राष्ट्रपति पद के किसी न किसी उम्मीदवार के समर्थक होते हैं. इलेक्टर मिलकर इलेक्टोरल कॉलेज का गठन करते हैं, जिसमें कुल 538 इलेक्टर अर्थात सदस्य होते हैं. इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों अर्थात इलेक्टरों द्वारा मतदान कर के अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव किया जाता है. अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल मत मिलना आवश्यक है.
नाम से यह इलेक्टोरल कॉलेज है. हालांकि, इसका शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है.
अगर राष्ट्रपति ट्रंप राज्य जीतते हैं, तो इलेक्टोरल कॉलेज में उस संबंधित राज्य से उनके मतदाताओं का एक ग्रुप उनके लिए वोट डालेगा. उदाहरण के लिए अगर जो बाईडेन राज्य जीतते हैं, तो उन्हें उस राज्य से मतदाताओें का एक ग्रुप मिलेगा, जो उनके लिए वोट करेगा.
ये मतदाता आम तौर पर पार्टी के अंदरूनी सूत्र होते हैं, जिन पर अपने उम्मीदवार को वोट देने के लिए भरोसा किया जा सकता है.
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पूरे अमेरिकी इतिहास में, 99 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपने राज्य में जीतने वाले उम्मीदवार के लिए मतदान किया है. यह राष्ट्रीय आर्काइव के अनुसार है.
प्रत्येक राज्य में चुनावी मतों की संख्या उतनी ही होती है, जितनी कि कांग्रेस के सदस्य होते हैं.
कोलंबिया जिले को तीन मतदाता मिलते हैं, जो सबसे छोटे राज्यों को मिलते हैं. इसलिए बड़ी आबादी वाले राज्यों में अधिक मतदाता हैं.
- परिणामस्वरूप उन्हें इलोक्टोरल वोट मिलते हैं.
- इलेक्टोरल कॉलेज में कुल 538 मतदाता हैं.
- विजेता को 270 इलेक्टोरल वोट जीतने होंगे.
- विजेता की घोषणा 20 जनवरी 2021 को होगी.