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बलरामपुर : प्रशासन की नाक नीचे हो रहा आचार संहिता का उल्लंघन

चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही पूरे देश में आचार संहिता लागू हो गयी थी, लेकिन बलरामपुर जिले में प्रशासन की नाक के नीचे आदर्श आचार संहिता का उल्लघंन हो रहा है. यहां पर वॉल पेन्टिंग्स अभी भी दिखाई दे रहे हैं.

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Published : Apr 16, 2019, 1:33 PM IST

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बलरामपुर: चुनाव तारीखों की ऐलान के साथ ही पूरे जिले के नगरीय निकायों के प्रमुख चौराहों से बैनर पोस्टर हटाने का काम किया गया. लेकिन अभी भी सैकड़ों वॉल पेंटिंग्स एनएच 730 पर बने हुए हैं, जो प्रशासन को मुंह चिढ़ाते दिख रहे हैं.

आचार संहिता उल्लंघन मामले पर जानकारी देते डीएम.


इस मामले में डीएम कृष्ण का कहना है कि आचार संहिता लागू होने के साथ ही जिले भर के सभी जगहों से चुनाव प्रचार सामग्रियों को हटाने का काम किया जा चुका है. जहां-जहां प्रचार सामग्री या अभी भी दिखाई दे रही है. उसके लिए लगातार किया जा रहा है.


उनका कहना है कि वह एडीएम से बात करके जो प्रचार सामग्री अभी भी लगी हुई है. उन्हें पूरी तरह से हटाया जाएगा.किसी भी तरह से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा. डीएम कृष्णा करुणेश के अपने दावे हैं. लेकिन डीएम साहब के ऑफिस से निकलते ही कुछ ही दूर पर एक विशेष दल के वॉल पेंटिंग्स दिखाई देते हैं. बड़े बड़े अक्षरों में लिखें नारे लोगों को कहीं ना कहीं प्रभावित करते जरूर नजर आते हैं. लेकिन प्रशासन पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है.


जिले की वीर विनय चोक, मेजर चौराहा, काली माई थान, एमएलके पीजी कॉलेज चौराहा, इत्यादि पर ही वॉल पेंटिंग्स बड़े बड़े अक्षरों में लिखी दिखाई देती है. लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा हुआ है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि निष्पक्ष और बिना प्रभावित की चुनाव करवाने का जो चुनाव आयोग का दावा है, वह कितना सही है? इसके साथ ही अधिकारियों की उदासीनता कहीं न कहीं मतदाताओं को प्रभावित करती नजर आती है.

बलरामपुर: चुनाव तारीखों की ऐलान के साथ ही पूरे जिले के नगरीय निकायों के प्रमुख चौराहों से बैनर पोस्टर हटाने का काम किया गया. लेकिन अभी भी सैकड़ों वॉल पेंटिंग्स एनएच 730 पर बने हुए हैं, जो प्रशासन को मुंह चिढ़ाते दिख रहे हैं.

आचार संहिता उल्लंघन मामले पर जानकारी देते डीएम.


इस मामले में डीएम कृष्ण का कहना है कि आचार संहिता लागू होने के साथ ही जिले भर के सभी जगहों से चुनाव प्रचार सामग्रियों को हटाने का काम किया जा चुका है. जहां-जहां प्रचार सामग्री या अभी भी दिखाई दे रही है. उसके लिए लगातार किया जा रहा है.


उनका कहना है कि वह एडीएम से बात करके जो प्रचार सामग्री अभी भी लगी हुई है. उन्हें पूरी तरह से हटाया जाएगा.किसी भी तरह से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा. डीएम कृष्णा करुणेश के अपने दावे हैं. लेकिन डीएम साहब के ऑफिस से निकलते ही कुछ ही दूर पर एक विशेष दल के वॉल पेंटिंग्स दिखाई देते हैं. बड़े बड़े अक्षरों में लिखें नारे लोगों को कहीं ना कहीं प्रभावित करते जरूर नजर आते हैं. लेकिन प्रशासन पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है.


जिले की वीर विनय चोक, मेजर चौराहा, काली माई थान, एमएलके पीजी कॉलेज चौराहा, इत्यादि पर ही वॉल पेंटिंग्स बड़े बड़े अक्षरों में लिखी दिखाई देती है. लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा हुआ है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि निष्पक्ष और बिना प्रभावित की चुनाव करवाने का जो चुनाव आयोग का दावा है, वह कितना सही है? इसके साथ ही अधिकारियों की उदासीनता कहीं न कहीं मतदाताओं को प्रभावित करती नजर आती है.

Intro:10 मार्च को दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान किया। इसी के साथ ही पूरे देश में आचार संहिता लागू हो गयी थी। आचार संहिता लागू होने के बाद इस पर तमाम तरह के प्रचार सामग्रियों को नष्ट करने और वाल पेंटिंग वगैरह पर पुताई करवाना।


Body:ऐसा नहीं है कि प्रशासन ने इन प्रचार सामग्रियों पर रोक लगाने का काम नहीं किया। तारीखों की ऐलान के साथ ही पूरे जिले के नगरीय निकायों के प्रमुख चौराहों से बैनर पोस्टर हटाने का काम किया गया। लेकिन अभी भी सैकड़ों वॉल पेंटिंग्स एनएच 730 पर बने हुए हैं, जो प्रशासन को मुंह चिढ़ाते दिखता है।
जब हमने इस मामले में डीएम कृष्ण करने से बात किया तो उन्होंने हमें बताया कि आचार संहिता लागू होने के साथ ही जिले भर के सभी जगहों से चुनाव प्रचार सामग्रियों को हटाने का काम किया जा चुका है। जहां-जहां प्रचार सामग्री या अभी भी दिखाई दे रही है। उसके लिए लगातार किया जा रहा है आपने सूचित किया है। तो एक बार मैं फिर एडीएम अरुण कुमार शुक्ला से बात करके ड्रिल करने के लिए कहूंगा जो प्रचार सामग्री अभी भी लगी हुई है। उन्हें पूरी तरह से हटा लिया जाएगा। किसी भी तरह से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा।


Conclusion:डीएम कृष्णा करुणेश के अपने दावे हैं। लेकिन डीएम साहब के ऑफिस से निकलते ही कुछ ही दूर पर एक विशेष दल के वॉल पेंटिंग्स दिखाई देते हैं। बड़े बड़े अक्षरों में लिखें नारे लोगों को कहीं ना कहीं प्रभावित करते जरूर नजर आते हैं। लेकिन प्रशासन पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है। जिले की वीर विनय चोक, मेजर चौराहा, काली माई थान, एमएलके पीजी कॉलेज चौराहा, इत्यादि पर ही वॉल पेंटिंग्स बड़े बड़े अक्षरों में लिखी दिखाई देती है। लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा हुआ है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि निष्पक्ष और बिना प्रभावित की चुनाव करवाने का जो चुनाव आयोग का दावा है, वह कितना सही है? इसके साथ ही अधिकारियों की उदासीनता कहीं न कहीं मतदाताओं को प्रभावित करती नजर आती है।
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