वाराणसी: सुबह मंगला आरती के साथ ही बाबा विश्वनाथ के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए. आप नीचे वीडियो में बाबा विश्वनाथ के इस अद्भुत स्वरूप का दर्शन कर सकते हैं. साथ ही मंगला आरती के दौरान की गयी पूजा भी देख सकते हैं. यहां मंगला आरती के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए गए.
काशी में यादव बंधुओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक किया. मान्यता है 1932 में काशी में भीषण अकाल पड़ा था. जीव जंतु सभी कोई इस अकाल से जूझ पर दिखाई दिए थे और बारिश की कोई संभावना नहीं थी. तब ऋषि-मुनियों के कहने पर यादव समाज के लोगों ने बाबा विश्वनाथ को जल अर्पित किया था और काशी में भारी बारिश हुई थी और अकाल से मुक्ति मिली थी, तभी से यह परंपरा अनवरत रूप से चली आ रही है और यादव बंधु इस परंपरा का निर्वहन आज भी करते आ रहे हैं.
देवाधिदेव महादेव काशी विश्वनाथ के दर्शन पूजन के लिए रविवार से ही भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था. कुल 4 सोमवार में से आज पहला सोमवार है. सावन के पहले सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि सावन के सोमवार में यदि बाबा भोलेनाथ का दर्शन पूजन और रुद्राभिषेक कर दिया जाए, तो कल्याण होता है. यहां मंदिर के बाहर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन होता नहीं दिखा.
यही वजह है कि सावन के सोमवार पर काशी में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. वहीं श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों के लिए विशेष व्यवस्था भी की गई. मंदिर परिसर में रेड कारपेट बिछाया गया, ताकि भक्त इस पर से होकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए पहुंचे. यहां स्टील की बैरिकेडिंग की व्यवस्था भी पहली बार की गई. गर्मी और उमस को देखते हुए परिसर के अंदर पंखे और कूलर भी लगाए गए, ताकि भक्तों को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो.
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फिलहाल सावन के पहले सोमवार को ध्यान में रखकर सुरक्षा व्यवस्था से लेकर ट्रैफिक डायवर्जन का प्रबंध किया गया. यहां दर्शन पूजन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. वहीं कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए बाबा के स्पर्श दर्शन पर सावन के सोमवार के दौरान रोक लगा दी गई. भक्त सिर्फ झांकी दर्शन का ही लाभ ले पाए.
लखनऊ के मनकामेश्वर मठ मंदिर में भोर से ही श्रद्धालु शिवलिंग के दर्शन करने के लिए लंबी-लंबी कतारों में लगे दिखे. दूर-दूर से भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचे. महंत देव्या गिरी जी महाराज ने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी विधि विधान से पूजा अर्चना की गयी. लखनऊ में मनकामेश्वर मंदिर के अलावा बुद्धेश्वर मंदिर, श्री सिद्धनाथ मंदिर, कोनेश्वर महादेव आदि मंदिरों पर हर तरफ बम बम भोले और हर हर महादेव की गूंज सुनाई दी. मंदिर के आसपास इलाकों से लेकर मंदिर के प्रांगण में जगह जगह पर पुलिसकर्मी लोगों की मदद के लिए तैनात दिखे.
वहीं प्रयागराज का प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर बम बोल के जयकारों से गूंज उठा. सावन के महीने में पहले सोमवार को शिव भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर भोलेनाथ के दरबार में पहुंचे. मंदिर में भक्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए नजर आए. पूजा सामग्री लिए शिवभक्तों की यहां लंबी कतारें दिखायी दीं. वहीं यहां सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम देखने को मिले.
मथुरा में गलतेश्वर महादेव, भूतेश्वर और रंगेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने वालों का तांता लगा रहा. मंदिरों में भी कोरोना प्रोटोकॉल की गाइडलाइंस का पालन करने के लिए कहा गया. दूरदराज से आने वाले भक्तों ने भगवान शिव का जलाभिषेक कर बेलपत्र, धतूरे और फूलों से पूजा की. श्रद्धालुओं ने महामृत्युंजय का पाठ भी किया.
आगरा जनपद के तीर्थ बटेश्वर धाम में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे. उन्होंने यमुना में स्नान करके भगवान शिव का जलाभिषेक किया. यहां पर लोग बिना मास्क के दिखे. इसके अलावा कोरोना गाइडलाइंस का पालन होता भी यहां नहीं दिखा.