वाराणसी: सावन के तीसरे सोमवार को व्यापार मंडल के लोगों ने बाबा विश्वनाथ का अलग अंदाज में अभिषेक किया. सैकड़ों की संख्या में महिला, पुरुष और बच्चे हाथों में छोटे-छोटे पात्रों में देशभर की अलग-अलग 12 नदियों और तीन समुद्रों के जल को लेकर बाबा विश्वनाथ धाम पहुंचे थे. इन 12 नदियों में पाकिस्तान की सिंधु नदी भी शामिल थी. श्रद्धालुओं ने बाबा को इन नदियों और समुद्र का जल अर्पित किया.
आज बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए मंदिर में भक्तों की भीड़ जुट गई है. शयन आरती के बाद बाबा विश्वनाथ के अर्धनारीश्वर रूप का दर्शन भक्तों को मिलेगा. जिला प्रशासन और खुफिया विभाग की रिपोर्ट के बाद पहले से ही तैयारियां कर ली गई थी. गंगा में जलस्तर बढ़ने से बाबा विश्वनाथ के मंदिर आने वाले गंगाद्वार के रास्ते को पहले ही बंद किया जा चुका है. क्योंकि पानी घाटों से होते हुए अब आगे की तरफ बढ़ रहा है. अब मुख्य द्वार यानी सड़क मार्ग से भक्त मंदिर में दर्शन पूजन करने आते हैं.
आज तीसरे सोमवार की सुबह बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती के बाद बाबा विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के पट झांकी दर्शन के लिए खोले गए हैं. श्रीकाशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि सावन का महीना हर तरह से फलदायी और पुण्यकारी होता है. देवों के देव महादेव अपने भक्तों के ऊपर हमेशा विशेष कृपा करते हैं और बेहद ही आसानी से प्रसन्न भी हो जाते हैं. सावन में सनातन धर्मियों को भगवान शिव को जल अर्पित कर उन पर बेलपत्र अवश्य चढ़ाना चाहिए.
सावन के बीते दो सोमवार को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में 11 लाख से अधिक श्रद्धालु हाजिरी लगा चुके हैं. इसके अलावा 14 जुलाई से अब तक की बात की जाए, तो 35 लाख से ज्यादा श्रद्धालु श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने आ चुके हैं. मंदिर प्रशासन का अनुमान है कि आज भी 5 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ धाम में आएंगे. भक्तों के स्वागत के लिए धाम परिसर में रेड कार्पेट बिछाए जाने के साथ ही गर्मी से बचाव के लिए कूलर पंखे और टेंट की व्यवस्था की गई है.
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