वाराणसी: मानसूनी बादलों का इंतजार इन दिनों हर कोई कर रहा है. यूपी में मानसून के आने की संभावना मौसम विभाग ने 25 जून के आसपास जताई थी. प्री मानसून के बादलों ने कई जिलों में जमकर बरसात से मानसून के बेहतर होने का अंदेशा भी दे दिया था. लेकिन, अचानक से मानसूनी बादल कहीं खो गए. इंसानी गलतियों की वजह से शहरी क्षेत्रों में बारिश नहीं हो रही है. एक्सपर्ट की मानें तो 17 जून से मानसूनी बादल सोनभद्र के चुर्क इलाके में ही रुके हुए हैं. इन बादलों के आगे न बढ़ने की वजह शहरी क्षेत्र में हरियाली कम होना है. ज्यादा पेड़ कटने से हरियाली कम होने की वजह से बादल बरस भी नहीं रहे है.
आंकलन के आधार पर भविष्यवाणीः इंडियन मैट्रोलोजी डिपार्टमेंट यानी आईएमडी की वेबसाइट पर भी मानसूनी रेखा नीले रंग में सोनभद्र की पहाड़ियों में ही फंसी नजर आ रही है. बादलों के आगे ने बढ़ने की वजह से यूपी में बारिश की संभावना पर पानी फिरता दिख रहा है. हालांकि, प्रोफेसर मनोज का कहना है कि लगातार पुरवा हवा का साथ और पर्याप्त नमी होने के बाद भी बारिश का न होना कई सवाल खड़े कर रहा है. मौसम विभाग लगातार अपनी तरफ से येलो (YELLOW)और ऑरेंज (ORANGE) अलर्ट जारी कर भारी बारिश (HAEAVY RAIN) की संभावना जता रहा है. लेकिन सच तो यह है यह सिर्फ और सिर्फ आंकलन के आधार पर भविष्यवाणी की जा रही है. सभी स्थितियां अनुकूल होने के बाद भी बारिश नहीं हो रही है. इससे बरसने वाले बादलों का (मानसून) के भटकने का अंदेशा लग रहा है. प्रोफेसर मनोज का आगे कहना है कि जिस तरह से स्थानीय उमस को लगातार पुरवा हवा का साथ मिल रहा है. वह निश्चित तौर पर आने वाले एक-दो दिन के अंदर अधिकांश जिलों में मौसम में परिवर्तन करवा सकता है. लेकिन, यह परिवर्तन लंबे समय के लिए नहीं होगा. क्योंकि इसे मानसूनी असर का नहीं बल्कि स्थानीय उमस का असर कहा जाएगा.
मानसूनी बादल अभी पूरी तरह सक्रिय नहींः प्रोफेसर मनोज का कहना है कि लोकल हिटिंग (स्थानीय उमस ) वह परिस्थिति होती है. जो किसी जिले में गर्मी, उमस और पुरवा हवा के साथ होने पर बनती है. इन तीनों के साथ आने पर हवा में जब नमी बनती है, तो बादल पानी गिरा देते हैं. लोकल हीटिंग में 1 या 2 घंटे बारिश होने के बाद बादल गायब हो जाते हैं. अधिकांश जिलों में सिर्फ लोकल हीटिंग की स्थिति में ही बारिश की संभावना जताई जा सकती है. मानसूनी बादल अभी उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से सक्रिय दिखाई नहीं दे रहे हैं. संभावना है कि 1 जुलाई के बाद स्थिति बदलेगी और मानसूनी बादल पंजाब, दिल्ली की तरह बनारस समेत लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर और अन्य जिलों में भी जोरदार बारिश करेंगे. अभी हवा मानसून के बादलों को आगे बढ़ाती नहीं दिखाई दे रही है. इसके कारण मानसून ट्रफ जो मानसून के एक्टिव होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. वह भी पूरी तरह से निष्क्रिय दिख रहा है.
मानसून ट्रफ एक्टिव नहीं हुआः प्रोफेसर मनोज ने बताया कि मानसून की एंट्री तब होती है, जब साउथवेस्ट यानी अरब सागर से मानसून उठता है. तो सबसे पहले केरल में मानसून पहुंचता है. इसके बाद मौसम विभाग प्रदेश में मानसून के आने की घोषणा कर देता है. फिर मानसून धीरे-धीरे आगे बढ़ता है और नॉर्थरीजन से इसकी हवाएं मुड़कर यूपी, बिहार के रास्ते होते हुए वेस्ट बंगाल की तरह पहुंचने लगती हैं. जबकि अरब सागर से उठने वाली मानसूनी हवाएं साउथ रीजन से होते हुए दूसरे रास्ते से दक्षिण से आगे बढ़कर राजस्थान के रास्ते हावड़ा तक पहुंचती है. यह एक ही मानसूनी एक्टिविटी के दो अलग-अलग रास्ते हैं. जो एक साथ जब 1 पॉइंट पर मिलते हैं. इससे मानसून ट्रफ एक्टिव होता है. यह मानसून ट्रफ ही मानसून के सक्रिय होने की स्थिति को साफ करता है. मानसून ट्रफ़ की सीधी रेखा श्रीगंगानगर राजस्थान से हावड़ा तक मानी जाती है. यह रेखा जिस जिले से गुजरती है. वहां बारिश करती हुई आगे बढ़ती है. लेकिन, कई बार यह मानसूनी देखा जब नॉर्थ की तरह मुड़ते हुए हिमालय की तरफ निकल जाती है, तो मानसून के भटकने और मानसून ट्रफ के टूटने का अंदाजा हो जाता है.
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फिलहाल अभी मानसून ट्रफ एक्टिव हुआ ही नहीं है. इसकी वजह से मानसून के सक्रिय होने का अंदाजा भी नहीं मिल पा रहा है, लेकिन मानसून से पहले लोकल हीटिंग कई जिलों में कुछ राहत देगी, लेकिन यह राहत कम समय के लिए होगी. उमस और गर्मी अभी बरकरार रहेगी.
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