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सरकारी कबाड़ के जुगाड़ से बनारस के चौराहों की बदल रही सूरत - smart city scheme

वाराणसी में कबाड़ के जुगाड़ की कवायद को बढ़ावा दिया गया है. इसके तहत नगर निगम अपने अलग-अलग विभागों के कबाड़ को चौराहों को डेकोरेट करने के लिए कलाकृतियों को बनाने में इस्तेमाल कर रहा है. यह शहर के कुछ चौराहों पर देखने को भी मिला है. इन्हें देखकर आपको अंदाजा ही नहीं लगेगा कि यह कलाकृतियां कबाड़ से बनाई गई हैं.

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वाराणसी में कबाड़ का जुगाड़
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Published : Jul 23, 2022, 12:24 PM IST

वाराणसी: स्मार्ट सिटी योजना के तहत जिले को संवारने का अलग तरीके से प्रयास किया जा रहा है. कहीं स्मार्ट ग्लो साइन बोर्ड लगाए जा रहे हैं तो कहीं घाटों पर उनकी ऐतिहासिक पौराणिकता को बताने के लिए अलग प्रयास किए जा रहे हैं. गलियों से लेकर घाटों तक को सजाने संवारने के कई प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन, इन सबके बीच अब सरकारी कबाड़ से शहर को सुंदर बनाने की कवायद शुरू की गई है.

सरकारी विभागों के लिए कबाड़ एक बहुत बड़ा सरदर्द होता है. नगर निगम के अधीन कई तरह के अलग-अलग विभाग आते हैं. इसमें परिवहन से लेकर पब्लिक यूटिलिटी और कई अन्य विभाग शामिल हैं. इसलिए यहां पर कबाड़ भी बड़ी मात्रा में निकलता है. हर साल कबाड़ के निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से नगर निगम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस परेशानी को देखते हुए वाराणसी नगर निगम ने स्मार्ट सिटी योजना के तहत चौराहों के सुंदरीकरण के लिए इसी कबाड़ का प्रयोग करते हुए कुछ अलग करने की योजना बनाई. योजना के तहत बनारस के कुछ चौराहों को सेलेक्ट किया गया, जहां कबाड़ की कलाकृतियों से चौराहों को सजाने का काम शुरू हुआ. इन चौराहों में कचहरी, गोलघर चौराहा, पुलिस लाइन चौराहा, समेत पांडेयपुर और कई अन्य चौराहे शामिल हैं.

जानकारी देतीं सहायक नगर आयुक्त प्रमिता सिंह

यह भी पढ़ें: बांदा: बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता की खुली पोल, कई जगह धंस गई सड़क

सहायक नगर आयुक्त प्रमिता सिंह का कहना है कि नगर निगम सहित कई अन्य विभागों के कबाड़ का इस्तेमाल करके कलाकृतियां बनाने की योजना बनाई गई थी. इसके तहत वाराणसी के कचहरी चौराहे पर ग्लोब और अशोक स्तंभ को दर्शाते हुए एक भव्य कलाकृति तैयार भी कराई गई है. वहीं, इस कलाकृति को तैयार करने में नगर निगम के बहुत कबाड़ का इस्तेमाल किया गया. इसमें साइकिल के पेडल, चेन, टीनशेड और कई तरह के कबाड़ का इस्तेमाल हुआ है. इसके अलावा गोलघर चौराहा पर कबाड़ से तितलियां बनाई गई हैं, जिसमें हेलमेट और अन्य कई तरह की चीजों के साथ साइकिल के लोहे वाले पहियों का इस्तेमाल किया गया है.

चौकाघाट चौराहे पर भी कबाड़ से घाटों के दृश्य को दर्शाने की कोशिश की गई है. इसी तरह अलग-अलग इलाकों में कबाड़ के जरिए चौराहों को सुंदर बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है. यह योजना हाल में ही शुरू हुई है और कई अन्य चौराहों को भी इसके लिए सिलेक्ट किया गया है. इसके दो फायदे हो रहे हैं एक तो चौराहे अलग और सुंदर दिखाई दे रहे हैं. दूसरा विभाग के कबाड़ का सही इस्तेमाल होते हुए इसका निस्तारण भी हो जा रहा है.

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वाराणसी: स्मार्ट सिटी योजना के तहत जिले को संवारने का अलग तरीके से प्रयास किया जा रहा है. कहीं स्मार्ट ग्लो साइन बोर्ड लगाए जा रहे हैं तो कहीं घाटों पर उनकी ऐतिहासिक पौराणिकता को बताने के लिए अलग प्रयास किए जा रहे हैं. गलियों से लेकर घाटों तक को सजाने संवारने के कई प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन, इन सबके बीच अब सरकारी कबाड़ से शहर को सुंदर बनाने की कवायद शुरू की गई है.

सरकारी विभागों के लिए कबाड़ एक बहुत बड़ा सरदर्द होता है. नगर निगम के अधीन कई तरह के अलग-अलग विभाग आते हैं. इसमें परिवहन से लेकर पब्लिक यूटिलिटी और कई अन्य विभाग शामिल हैं. इसलिए यहां पर कबाड़ भी बड़ी मात्रा में निकलता है. हर साल कबाड़ के निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से नगर निगम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस परेशानी को देखते हुए वाराणसी नगर निगम ने स्मार्ट सिटी योजना के तहत चौराहों के सुंदरीकरण के लिए इसी कबाड़ का प्रयोग करते हुए कुछ अलग करने की योजना बनाई. योजना के तहत बनारस के कुछ चौराहों को सेलेक्ट किया गया, जहां कबाड़ की कलाकृतियों से चौराहों को सजाने का काम शुरू हुआ. इन चौराहों में कचहरी, गोलघर चौराहा, पुलिस लाइन चौराहा, समेत पांडेयपुर और कई अन्य चौराहे शामिल हैं.

जानकारी देतीं सहायक नगर आयुक्त प्रमिता सिंह

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सहायक नगर आयुक्त प्रमिता सिंह का कहना है कि नगर निगम सहित कई अन्य विभागों के कबाड़ का इस्तेमाल करके कलाकृतियां बनाने की योजना बनाई गई थी. इसके तहत वाराणसी के कचहरी चौराहे पर ग्लोब और अशोक स्तंभ को दर्शाते हुए एक भव्य कलाकृति तैयार भी कराई गई है. वहीं, इस कलाकृति को तैयार करने में नगर निगम के बहुत कबाड़ का इस्तेमाल किया गया. इसमें साइकिल के पेडल, चेन, टीनशेड और कई तरह के कबाड़ का इस्तेमाल हुआ है. इसके अलावा गोलघर चौराहा पर कबाड़ से तितलियां बनाई गई हैं, जिसमें हेलमेट और अन्य कई तरह की चीजों के साथ साइकिल के लोहे वाले पहियों का इस्तेमाल किया गया है.

चौकाघाट चौराहे पर भी कबाड़ से घाटों के दृश्य को दर्शाने की कोशिश की गई है. इसी तरह अलग-अलग इलाकों में कबाड़ के जरिए चौराहों को सुंदर बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है. यह योजना हाल में ही शुरू हुई है और कई अन्य चौराहों को भी इसके लिए सिलेक्ट किया गया है. इसके दो फायदे हो रहे हैं एक तो चौराहे अलग और सुंदर दिखाई दे रहे हैं. दूसरा विभाग के कबाड़ का सही इस्तेमाल होते हुए इसका निस्तारण भी हो जा रहा है.

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