वाराणसी: महाराष्ट्र के पालघर में मॉब लिंचिंग में दो साधुओं समेत उनके ड्राइवर की हत्या की गई है. उसके बाद पूरे देश में साधु संतों में उबाल है. इस दौरान वाराणसी में केंद्रीय संत समिति वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप के जरिए संतों की बैठक कर रही है. संत देश के अलग-अलग हिस्सों से इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक में जुड़ कर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं. इन सबके बीच सोमवार की बैठक में सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. गृह मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को संत समिति की तरफ से लेटर लिख कुछ बिंदुओं पर सीबीआई जांच की मांग की गई है.
केंद्रीय संत समिति की तरफ से बैठक का नेतृत्व संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री आचार्य जितेन्द्रानंद सरस्वती कर रहे हैं. अपने कार्यालय से उन्होंने मध्य प्रदेश महाराष्ट्र उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के जूना अखाड़ा पदाधिकारियों समेत संत समिति के प्रदेश महामंत्रियों की. बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. संत समिति की तरफ से इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह से इस मुद्दे की सीबीआई जांच कराने की मांग सबसे महत्वपूर्ण निर्णय है.
आचार्य जितेन्द्रानंद ने घटना को बताया निंदनीय
आचार्य जितेन्द्रानंद ने स्पष्ट कहा है कि यह अति निंदनीय घटना है और इसमें पुलिस की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता. जिस तरह से एक संत जो पुलिस के पीछे छिप रहा था, उसे भीड़ के आगे पुलिस वाले ने धकेल दिया है, इसलिए संत समिति मांग करता है कि ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी तत्काल मुकदमा दर्ज होना चाहिए. जो इस पूरे प्रकरण में दोषी हैं. इसके अलावा सीबीआई जांच की मांग भी संत समिति कर रहा है.
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उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस प्रकरण में जूना अखाड़े ने स्पष्ट कर दिया है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद संत समिति और जूना अखाड़े के साधु महाराष्ट्र के लिए कूच करेंगे और महाराष्ट्र की सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकेंगे. उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उद्धव ठाकरे को लेकर भी विवादित टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व की रक्षा करने वाले बाला साहब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे को यह प्रमाण देना होगा कि वह उसी ठाकरे परिवार के खून है या नहीं जो हमेशा हिंदुत्व की रक्षा के लिए आगे रहा है.