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स्वास्थ्य सलाहः गर्भवती न करें नादानी वर्ना हो सकती है ये परेशानी - Nutritious diet tips

गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान विभिन्न दिक्कतों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ता है. स्पेशल रिपोर्ट में जानिए गर्भावस्था के दौरान किस तरह ख्याल रखें?

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गर्भावस्था में देखभाल के टिप्स
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Published : Jul 13, 2022, 4:28 PM IST

वाराणसी: गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान विभिन्न दिक्कतों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ता है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है. इसमें जरा सी भी लापरवाही सिर्फ आप पर ही नहीं बल्कि गर्भस्थ के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है. आइए जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान कैसे ध्यान रखें.


कुपोषण का मां ही नहीं बच्चे पर भी पड़ता है दुष्प्रभावः जिला महिला चिकित्सालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मधुलिका पाण्डेय का कहना है कि अच्छी सेहत के लिए शरीर को पोषक तत्वों की विशेष जरूरत होती है. एक महिला के लिए यह नितांत जरूरी तब और हो जाता है जब वह गर्भवती होती हैं. गर्भावस्था में होने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए मां को पोषक तत्व ही सहारा देता है. गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए भी यह जरूरी होता है. शरीर को पर्याप्त पोषक तत्वों के न मिलने से गर्भवती कुपोषित हो जाती है.


कुपोषण से गर्भवती को जोखिमः डॉ. मधुलिका का कहना है कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कुपोषण होता है, उन्हें प्रसव के दौरान उनको ज्यादा जोखिम रहता है. कुपोषण से ग्रसित ऐसी महिलाएं कभी-कभी गर्भपात की भी शिकार हो जाती हैं. ऐसी अधिकतर गर्भवती आयरन की कमी के चलते एनीमिया की समस्या से ग्रसित हो जाती हैं. उनके शरीर में लालरक्त कणिकाएं कम हो जाती हैं, जिसकी वजह से उन्हें पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिलती है. प्रोटीन और ब्लडप्रेशर इतना बढ़ जाता है कि उससे गर्भवती को जान का भी जोखिम रहता है.



गर्भस्थ को जोखिमः डॉ. मृदुला मल्लिक बताती हैं कि मां के कुपोषित होने से गर्भ में पल रहे शिशु का ठीक से विकास नहीं हो पाता. इससे उसकी गर्भ में ही मृत होने की आशंका बनी रहती है अथवा वह अविकसित अंगों वाले शिशु के रूप में भी जन्म लेता है. ऐसे अधिकतर बच्चे जन्म के समय कम वजन वाले होते हैं और कई बीमारियों से उनके ग्रसित होने की आशंका ज्यादा होती है.बड़े होने पर ऐसे बच्चों में ब्रेन डैमेज, ह्रदय रोग, ब्लड प्रेशर,डायबिटीज होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है.



बरतें सतर्कता-स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मधुलिका पाण्डेय का कहना है कि स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए गर्भधारण के साथ ही महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए. इसके लिये उन्हें पौष्टिक आहार का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना जरूरी होता है. इसके साथ ही उन्हें समय-समय पर अपने करीब के स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराते रहना चाहिए. यहां से निःशुल्क मिलने वाली आयरन व कैल्शियम की गोली का सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार करना चाहिए.

यह भी पढ़ें: pregnancy tips: प्रेगनेंसी में न आने पाए दौरे, समय-समय पर कराते रहें जरूरी जांच

आंगनबाड़ी कार्यकताओं के माध्यम से सरकार की ओर से वितरित किये जा रहे निःशुल्क पोषक आहार का लाभ उठाना चाहिए. उनका कहना है कि गर्भवती को हर चार घंटे में कुछ न कुछ जरूर खाना चाहिए.हरी सब्जियां, दाल, राजमा, सोयाबीन, काबुली चना, दूध, अण्डा, मांस के साथ ही केला, अनानास,संतरा जैसे फल भी गर्भवती लिए फायदेमंद होते हैं. गर्म व मसालेदार चीजें खाने से गर्भवती को बचना चाहिए.गर्भवती को सब्जियों का सूप और जूस लेना चाहिए.

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वाराणसी: गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान विभिन्न दिक्कतों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ता है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है. इसमें जरा सी भी लापरवाही सिर्फ आप पर ही नहीं बल्कि गर्भस्थ के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है. आइए जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान कैसे ध्यान रखें.


कुपोषण का मां ही नहीं बच्चे पर भी पड़ता है दुष्प्रभावः जिला महिला चिकित्सालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मधुलिका पाण्डेय का कहना है कि अच्छी सेहत के लिए शरीर को पोषक तत्वों की विशेष जरूरत होती है. एक महिला के लिए यह नितांत जरूरी तब और हो जाता है जब वह गर्भवती होती हैं. गर्भावस्था में होने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए मां को पोषक तत्व ही सहारा देता है. गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए भी यह जरूरी होता है. शरीर को पर्याप्त पोषक तत्वों के न मिलने से गर्भवती कुपोषित हो जाती है.


कुपोषण से गर्भवती को जोखिमः डॉ. मधुलिका का कहना है कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कुपोषण होता है, उन्हें प्रसव के दौरान उनको ज्यादा जोखिम रहता है. कुपोषण से ग्रसित ऐसी महिलाएं कभी-कभी गर्भपात की भी शिकार हो जाती हैं. ऐसी अधिकतर गर्भवती आयरन की कमी के चलते एनीमिया की समस्या से ग्रसित हो जाती हैं. उनके शरीर में लालरक्त कणिकाएं कम हो जाती हैं, जिसकी वजह से उन्हें पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिलती है. प्रोटीन और ब्लडप्रेशर इतना बढ़ जाता है कि उससे गर्भवती को जान का भी जोखिम रहता है.



गर्भस्थ को जोखिमः डॉ. मृदुला मल्लिक बताती हैं कि मां के कुपोषित होने से गर्भ में पल रहे शिशु का ठीक से विकास नहीं हो पाता. इससे उसकी गर्भ में ही मृत होने की आशंका बनी रहती है अथवा वह अविकसित अंगों वाले शिशु के रूप में भी जन्म लेता है. ऐसे अधिकतर बच्चे जन्म के समय कम वजन वाले होते हैं और कई बीमारियों से उनके ग्रसित होने की आशंका ज्यादा होती है.बड़े होने पर ऐसे बच्चों में ब्रेन डैमेज, ह्रदय रोग, ब्लड प्रेशर,डायबिटीज होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है.



बरतें सतर्कता-स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मधुलिका पाण्डेय का कहना है कि स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए गर्भधारण के साथ ही महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए. इसके लिये उन्हें पौष्टिक आहार का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना जरूरी होता है. इसके साथ ही उन्हें समय-समय पर अपने करीब के स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराते रहना चाहिए. यहां से निःशुल्क मिलने वाली आयरन व कैल्शियम की गोली का सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार करना चाहिए.

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आंगनबाड़ी कार्यकताओं के माध्यम से सरकार की ओर से वितरित किये जा रहे निःशुल्क पोषक आहार का लाभ उठाना चाहिए. उनका कहना है कि गर्भवती को हर चार घंटे में कुछ न कुछ जरूर खाना चाहिए.हरी सब्जियां, दाल, राजमा, सोयाबीन, काबुली चना, दूध, अण्डा, मांस के साथ ही केला, अनानास,संतरा जैसे फल भी गर्भवती लिए फायदेमंद होते हैं. गर्म व मसालेदार चीजें खाने से गर्भवती को बचना चाहिए.गर्भवती को सब्जियों का सूप और जूस लेना चाहिए.

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