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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में आज पूरी नहीं हो सकी मुस्लिम पक्ष की बहस, कोर्ट ने कल तक का दिया वक्त

वाराणसी के जिला जज की कोर्ट में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई मंगलवार को लगातार दूसरे दिन भी पूरी नहीं हो सकी. इस मामले की सुनवाई 24 अगस्त को होगी.

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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी
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Published : Aug 23, 2022, 12:43 PM IST

Updated : Aug 23, 2022, 5:59 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण की सुनवाई मंगलवार को लगातार दूसरे दिन वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में हुई. कोर्ट में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष की बहस आज पूरी नहीं हो सकी. इस मामले की सुनवाई को लिए कोर्ट ने कल सुबह 11:30 बजे का समय निर्धारित किया है. मुस्लिम पक्ष को कल कोर्ट में सिर्फ आधे घंटे में अपनी बहस पूरी करनी होगी. कल मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी होने के बाद वादी पक्ष यानी हिंदू पक्ष की तरफ से दलीलें और काउंटर रखा जाएगा. जिसके बाद कोर्ट इस मामले में फैसला सुना सकता है. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई का कल कोर्ट में महत्वपूर्ण दिन होगा. वादी और प्रतिवादी पक्ष को कोर्ट ने कल तक का समय दिया है.

बता दें कि सोमवार को अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से वादिनी महिलाओं की दलीलों पर जवाबी बहस की गई थी. एडवोकेट शमीम अहमद ने कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है. इसलिए ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मसले की सुनवाई का अधिकार सिविल कोर्ट को नहीं है, बल्कि वक्फ बोर्ड को है. मसाजिद कमेटी ने आज कोर्ट में अपनी जवाबी बहस की. वादी महिलाओं के एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने बताया था कि मसाजिद कमेटी ने पहली बार स्वीकार किया कि मंदिर औरंगजेब द्वारा अधिग्रहीत किया गया था. उनका मानना है कि औरंगजेब भारत का शासक था. हम ज्ञानवापी मामले में वक्फ संपत्ति की धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने जा रहे हैं. मुस्लिमों का कहना है कि यह संपत्ति वक्फ नंबर 100 के रूप में रजिस्टर्ड है. वहीं, 18 अगस्त को श्रृंगार गौरी केस की सुनवाई में कोर्ट में मसाजिद कमेटी की ओर से कहा गया था कि उनके अधिवक्ता अभय नाथ यादव के निधन के बाद उनकी जगह अब मुकदमे की पैरवी एडवोकेट योगेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ मधु बाबू और शमीम अहमद करेंगे. दोनों एडवोकेट को मुकदमे को समझने और तैयारी के लिए 10 दिन का अतिरिक्त समय दिया जाए.

जानकारी देते वादी पक्ष के अधिवक्ता

इसे भी पढ़ेंः 23 अगस्त को होगी ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई, पिछली बार कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष पर लगाया था जुर्माना

इस पर अदालत ने सुनवाई की. अगली तिथि 22 अगस्त निर्धारित करते हुए कहा कि अब इससे ज्यादा समय तैयारी के लिए नहीं दिया जाएगा. सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में की जा रही है. इसे विलंबित नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही अदालत ने मसाजिद कमेटी पर लेट-लतीफी के लिए 500 रुपए का जुर्माना लगाया था.

मुकदमा सिर्फ श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए दाखिल किया गया है. दर्शन-पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए. दावा ज्ञानवापी की जमीन पर नहीं है. दावा सिर्फ श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है. देवता की संपत्ति नष्ट नहीं होती है. मंदिर टूट जाने से उसका अस्तित्व समाप्त नहीं होगा. वर्ष 1937 में बीएचयू के प्रोफेसर एएस अलटेकर ने अपनी पुस्तक में ज्ञानवापी स्थित मंदिर टूट जाने के बाद इस तथ्य का जिक्र किया है कि वहां क्या-क्या बचा है और कहां पूजा हो रही है.

वर्ष 1937 के दीन मोहम्मद केस का फैसला आया था. वह सभी पर बाध्यकारी नहीं है, क्योंकि उसमें हिंदू पक्षकार कोई नहीं था. हिंदू लॉ में अप्रत्यक्ष देवता भी मान्य हैं. देवता को हटा दिए जाने से भी उनका स्थान वही रहता है. मुस्लिम लॉ में स्पष्ट है कि जो प्रॉपर्टी वक्फ को दी जाती है वह मालिक द्वारा ही दी जा सकती है. ज्ञानवापी के संबंध में कोई वक्फ डीड नहीं है. फिलहाल इन सभी मुद्दों पर कल वादी और प्रतिवादी पक्ष अपनी बात रखेगा, उसके बाद कोर्ट फैसला सुनाएगा.

इसे भी पढे़ंः कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया कमेटी पर लगाया जुर्माना, जानिए क्यों ?

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण की सुनवाई मंगलवार को लगातार दूसरे दिन वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में हुई. कोर्ट में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष की बहस आज पूरी नहीं हो सकी. इस मामले की सुनवाई को लिए कोर्ट ने कल सुबह 11:30 बजे का समय निर्धारित किया है. मुस्लिम पक्ष को कल कोर्ट में सिर्फ आधे घंटे में अपनी बहस पूरी करनी होगी. कल मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी होने के बाद वादी पक्ष यानी हिंदू पक्ष की तरफ से दलीलें और काउंटर रखा जाएगा. जिसके बाद कोर्ट इस मामले में फैसला सुना सकता है. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई का कल कोर्ट में महत्वपूर्ण दिन होगा. वादी और प्रतिवादी पक्ष को कोर्ट ने कल तक का समय दिया है.

बता दें कि सोमवार को अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से वादिनी महिलाओं की दलीलों पर जवाबी बहस की गई थी. एडवोकेट शमीम अहमद ने कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है. इसलिए ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित मसले की सुनवाई का अधिकार सिविल कोर्ट को नहीं है, बल्कि वक्फ बोर्ड को है. मसाजिद कमेटी ने आज कोर्ट में अपनी जवाबी बहस की. वादी महिलाओं के एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने बताया था कि मसाजिद कमेटी ने पहली बार स्वीकार किया कि मंदिर औरंगजेब द्वारा अधिग्रहीत किया गया था. उनका मानना है कि औरंगजेब भारत का शासक था. हम ज्ञानवापी मामले में वक्फ संपत्ति की धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने जा रहे हैं. मुस्लिमों का कहना है कि यह संपत्ति वक्फ नंबर 100 के रूप में रजिस्टर्ड है. वहीं, 18 अगस्त को श्रृंगार गौरी केस की सुनवाई में कोर्ट में मसाजिद कमेटी की ओर से कहा गया था कि उनके अधिवक्ता अभय नाथ यादव के निधन के बाद उनकी जगह अब मुकदमे की पैरवी एडवोकेट योगेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ मधु बाबू और शमीम अहमद करेंगे. दोनों एडवोकेट को मुकदमे को समझने और तैयारी के लिए 10 दिन का अतिरिक्त समय दिया जाए.

जानकारी देते वादी पक्ष के अधिवक्ता

इसे भी पढ़ेंः 23 अगस्त को होगी ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई, पिछली बार कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष पर लगाया था जुर्माना

इस पर अदालत ने सुनवाई की. अगली तिथि 22 अगस्त निर्धारित करते हुए कहा कि अब इससे ज्यादा समय तैयारी के लिए नहीं दिया जाएगा. सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में की जा रही है. इसे विलंबित नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही अदालत ने मसाजिद कमेटी पर लेट-लतीफी के लिए 500 रुपए का जुर्माना लगाया था.

मुकदमा सिर्फ श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए दाखिल किया गया है. दर्शन-पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए. दावा ज्ञानवापी की जमीन पर नहीं है. दावा सिर्फ श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है. देवता की संपत्ति नष्ट नहीं होती है. मंदिर टूट जाने से उसका अस्तित्व समाप्त नहीं होगा. वर्ष 1937 में बीएचयू के प्रोफेसर एएस अलटेकर ने अपनी पुस्तक में ज्ञानवापी स्थित मंदिर टूट जाने के बाद इस तथ्य का जिक्र किया है कि वहां क्या-क्या बचा है और कहां पूजा हो रही है.

वर्ष 1937 के दीन मोहम्मद केस का फैसला आया था. वह सभी पर बाध्यकारी नहीं है, क्योंकि उसमें हिंदू पक्षकार कोई नहीं था. हिंदू लॉ में अप्रत्यक्ष देवता भी मान्य हैं. देवता को हटा दिए जाने से भी उनका स्थान वही रहता है. मुस्लिम लॉ में स्पष्ट है कि जो प्रॉपर्टी वक्फ को दी जाती है वह मालिक द्वारा ही दी जा सकती है. ज्ञानवापी के संबंध में कोई वक्फ डीड नहीं है. फिलहाल इन सभी मुद्दों पर कल वादी और प्रतिवादी पक्ष अपनी बात रखेगा, उसके बाद कोर्ट फैसला सुनाएगा.

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Last Updated : Aug 23, 2022, 5:59 PM IST
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