वाराणसी: ज्ञानवापी-श्रंगार गौरी प्रकरण को लेकर कोर्ट में लगातार सुनवाई की जा रही है. 12 जुलाई के बाद से कोर्ट प्रतिदिन इस प्रकरण में सुनवाई कर रहा है. बुधवार को हिंदू पक्ष की तरफ से अपनी दलीलें पेश की गई थी. इस मामले की गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट की सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने अपनी बहस को आगे बढ़ाया. हिंदू पक्ष ने शिव पुराण और फिर वक्फ से संबंधित नियमों का हवाला देते हुए अपनी दलीलें पेश की. इस दौरान अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश के सामने अपनी बात रखी.
कोर्ट ने लगभग 4:00 बजे तक हिंदू पक्ष को सुना और कल फिर दोपहर 2:15 बजे कोर्ट ने सुनवाई आगे बढ़ाने का समय निर्धारित किया. वहीं विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से फास्ट ट्रेक कोर्ट में सीनियर सिविल डिविजन महेंद्र नाथ पांडेय की अदालत में ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिम समुदाय का प्रवेश रोकने, ज्ञानवापी परिसर को हिंदू समुदाय को हैंड ओवर करने और नियमित पूजा पाठ की अनुमति संबंधित याचिका पर भी आज सुनवाई हुई. इस याचिका पर वादी पक्ष की तरफ से 5 में से 2 लोगों का सिग्नेचर ना होने पर प्रतिवादी के वकील ने इस पर आपत्ति जताई. जिसकी वजह से कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद 4:00 बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया. इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीक नियत की है.
ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी प्रकरण की सुनवाई वाराणसी के जिला जज की कोर्ट में गुरुवार को लगातार तीसरे दिन लगभग 2 घंटे तक चली. जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में हिंदू पक्ष ने कहा कि मां शृंगार गौरी का मुकदमा सुनने योग्य है. हिंदू पक्ष ने सिविल प्रक्रिया संहिता, वेद-पुराणों, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट, हिंदू लॉ, मुस्लिम लॉ और सुप्रीम कोर्ट के पुराने जजमेंट का हवाला देकर कहा कि ज्ञानवापी आदि विश्वेश्वर से संबंधित है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट में स्पष्ट है कि यहां की जमीन देवता में निहित है. कोर्ट में आज बहस करते हुए अधिवक्ता हरिशंकर और विष्णु शंकर जैन ने शिव पुराण के तमाम श्लोकों को पढ़कर जज के सामने यह प्रस्तुत करने की कोशिश की है कि प्रतिवादी पक्ष 1991 के वरशिप्ड एक्ट के आधार पर मस्जिद बता रहा है. उसका वर्णन हजारों लाखों साल पुरानी पौराणिक किताबों में मंदिर के रूप में दर्ज है.
इसके खिलाफ जो भी एक्ट या आदेश है वह शून्य है. जो मालिक होता है, वही किसी संपत्ति का वक्फ कर सकता है. यहां की जमीन का कोई मालिक नहीं है. ज्ञानवापी प्रकरण में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजन) 1991 लागू नहीं होगा. इसके साथ ही अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि शुक्रवार को नियत कर दी है. इस मामले में मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें और कानूनी नजीरें पेश कर चुका है. मुस्लिम पक्ष का दावा है कि श्रृंगार गौरी प्रकरण सुनवाई योग्य नहीं है, क्योकि ज्ञानवापी में वर्शिप एक्ट-1991 लागू होता है. इसलिए देश की आजादी के दिन ज्ञानवापी मस्जिद का जो स्वरूप था, वही आगे भी बरकरार रहेगा.जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण की सुनवाई चल रही है.
गौरतलब है कि इसके पहले सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में इस प्रकरण की सुनवाई की जा रही थी और उन्होंने ही इस मामले में कमीशन की कार्यवाही का आदेश भी दिया था. इस पर कमीशन की कार्यवाही पूरी होने के बाद उसका वीडियो लीक होने को लेकर भी काफी हंगामा हुआ था. इस दौरान अंदर वजूखाने में एक शिवलिंग भी मिलने का दावा किया गया है. इसे लेकर लगातार हिंदू पक्ष यहां पर पूजा-पाठ क्या अधिकार मांग रहा है. इसी बात को लेकर मुस्लिम पक्ष विरोध भी जता रहा है. 12 जुलाई तक मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की तरफ से दायर की गई याचिका के कुल 52 पॉइंट पर बहस की और लगभग साढे 3 दिन तक चली बहस के बाद हम हिंदू पक्ष अपनी बातें रख रहा है.
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