वाराणसी: काशी शहर की काया ही ऐसी ही कि देश-दुनिया से लोग इसे देखने के लिए चले आते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के काशी के सांसद बनने के बाद शहर का कायाकल्प किया गया. वाराणसी की तंग गलियों को विस्तार भी मिला है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) ने शहर की भव्यता को बढ़ाया है. दशाश्वमेध घाट पर अब कितनी भी भीड़ हो पर्यटकों को इसकी चिंता नहीं रहती, क्योंकि दशाश्वमेध भवन बनकर तैयार हो गया है.
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मंदिरों में पर्यटन सुविधाओं को बढ़ावा: क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना काल के बाद घरेलू पर्यटन बढ़ गया है. अब प्रतिदिन एक लाख लोग बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आ रहे हैं. जब प्रधानमंत्री मोदी ने देव दीपावली का आयोजन किया था उस समय से लेकर पर्यटन एकदम से बढ़ गया है. विदेशी टूरिस्ट्स की संख्या अभी उतनी नहीं हो पाई, जितनी कि होनी चाहिए थी. अभी विदेशी टूरिस्ट्स की संख्या 15 हजार से 16 हजार हो गई है. यहां क्रूज बोट और साउंड एंड लाइट शो का पहले से ही संचालन किया जा रहा था. अब काशी की पौराणिक परिक्रमाएं पावन पथ और पंचकोषी परिक्रमा के लिए बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया जा रहा है. पावन पथ परियोजना (Pawan Path Project) में सभी आस-पास के मंदिरों में पर्यटन सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है.
शंघाई सहयोग संगठन की सांस्कृतिक राजधानी बनी वाराणसी: देश-दुनिया में सांस्कृतिक राजधानी के रूप में काशी की पहचान पहले से ही है, लेकिन अब एक और उपलब्धि जुड़ने जा रही है. इसे शंघाई सहयोग संगठन (शंघाई कॉरपोरशन आर्गेनाइजेशन- SCO) की सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी घोषित किया गया है. शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization) में भारत की ओर से काशी एक वर्ष के लिए सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी बनेगी. इसके लिए सभी विभागों के समन्वय से बनारस का डोजियर (बायोडाटा) तैयार किया जाएगा.
दशाश्वमेध भवन ने खूबसूरती को निखारा: चुनार के गुलाबी पत्थरों से बना दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat Varanasi) पर बनकर तैयार दशाश्वमेध भवन (टूरिस्ट प्लाजा) में काशी की झलक दिखाई पड़ती है. इसमें पत्थरों पर नक्काशी की गई है. पर्यटकों के बैठने, खाने-पीने, बनारसी साड़ी, गुलाबी मीनाकारी, लकड़ी के खिलौने समेत जरूरी सामान एक ही स्थान पर मिलेंगे. बाहर 15 फीट चौड़े और 40 फीट लंबी दीवार पर सभी घाटों की झलक दिखाई पड़ेती है.
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