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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के विदेशी छात्रों में कोरोना का डर, खाली पड़े इंटरनेशनल छात्रावास के कमरे

वाराणसी के डॉ. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में काफी संख्या में विदेशी छात्र पढ़ने आते हैं. लेकिन, कोविड-19 महामारी के डर से काफी छात्र यहां से चले गए. उनके जाने के बाद से विदेशी छात्रों का आना कम हो गया है.

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय
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Published : Jul 13, 2022, 12:53 PM IST

Updated : Jul 13, 2022, 2:24 PM IST

वाराणसी: काशी को सर्व विद्या की राजधानी कहा जाता है. क्योंकि, यहां पर विश्वस्तरीय काशी हिंदू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, डॉ. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के अलावा तिब्बती विश्वविद्यालय है. इस शहर में देश के ही नहीं, बल्कि विदेशों के भी छात्र बड़ी संख्या में अलग-अलग विश्वविद्यालयों में पढ़ने आते हैं. लेकिन, यहां काशी के महात्म्य, काशी की संस्कृति के अनुरूप संस्कृत शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में विदेशी छात्र संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पढ़ने आते हैं. प्रत्येक वर्ष सैकड़ों की संख्या में छात्रों का यहां के अलग-अलग विभागों में प्रवेश होता है. लेकिन, 2019 के अंत में आए कोविड-19 वायरस ने अब तक इस यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों में दहशत फैला रखी है.

दरअसल, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में धर्म विद्या, ज्योतिष, पाली समेत शास्त्री और आचार्य की डिग्री लेने के लिए विदेशों से बड़ी संख्या में छात्र आते हैं. ये विदेशी छात्र भारतीय संस्कृति और परंपरा को जानने के लिए यहां आते हैं. इसके बाद छात्र अपने देश में जाकर भारतीय संस्कृति सभ्यता का प्रचार करते हैं. लेकिन, 2019 के अंत में आए कोविड-19 वायरस की वजह से पठन-पाठन रुकने के बाद अपने देश लौटे विदेशी छात्र अब तक लौट के नहीं आए हैं. कई छात्र बीच में पढ़ाई छोड़कर चले गए और लौटकर नहीं आए. ऐसे छात्रों का इंतजार विश्वविद्यालय प्रशासन अभी भी कर रहा है. तब से किसी भी नए छात्र ने विश्वविद्यालय में एडमिशन नहीं लिया है. इसकी वजह से बीते 5 सालों में इस वर्ष सबसे कम विदेशी छात्रों के साथ पठन-पाठन शुरू हुआ है.

विदेशी छात्रों की कमी पर इंटरनेशनल छात्रावास के वार्डेन का बयान.

जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय में 2018 से लेकर 2022 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो कई चीजें स्पष्ट हो रही हैं. क्योंकि, 2018-19 में जहां अलग-अलग विभागों में कुल 71 विदेशी छात्रों ने एडमिशन लिया था. वहीं, 2019-20 में यह संख्या 70 के आसपास ही रही. लेकिन, कोविड-19 शुरू होने के बाद इसमें लगातार गिरावट आती गई. अब हालात यह हैं कि पिछले साल 2020-21 में सिर्फ 31 विदेशी छात्र ही संस्कृत विश्वविद्यालय में बचे हैं. इसके अलावा यही हालात 2022 में भी बने हुए हैं. क्योंकि, पिछले और नए छात्रों को मिलाकर अब तक सिर्फ 43 छात्रों ने ही एडमिशन लिया है.

इंटरनेशनल छात्रावास
इस वर्ष विदेशी छात्रों का प्रवेश नहीं हुआ है. विदेशी छात्रों की हो रही कमी और उनके न आने की वजह से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल छात्रावास के कमरे भी खाली पड़े हुए हैं. सबसे ज्यादा समस्या तो इस बात की है कि यहां पर आने वाले नेपाल के छात्रों के अलावा श्रीलंका, जापान, म्यांमार, फ्रांस, इजराइल के भी कई छात्र पठन-पाठन के लिए इन 5 वर्षों के दौरान आए थे. लेकिन, 2019 में कुल 47 छात्रों को विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद यहां से सुरक्षित उनके देश भेजा गया. इनमें से नेपाल और तटवर्ती इलाकों के छात्र तो आ चुके हैं. लेकिन अब तक म्यान्मार, श्रीलंका और फ्रांस समेत दूर देशों से आने वाले विदेशी छात्र बीच में छोड़कर गई अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए अब तक नहीं लौटे हैं. इसकी वजह से इंटरनेशनल छात्रावास के चार कमरे अब तक बंद हैं.

विदेशी छात्रों के संपर्क में विश्वविद्यालय
इन छात्रावास के कमरों में विदेशी छात्रों का सामान रखा हुआ है. उन्हें न ही वह लेने आ रहे हैं और न ही अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से यहां पहुंच रहे हैं. इस संबंध में संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के डीन ऑफ स्टूडेंट का कहना है कि हमेशा विदेशी छात्रों से गुलजार रहने वाली यह बगिया बीते 2 से 3 सालों से उनकी राह देख रही है. विश्वविद्यालय प्रशासन इन छात्रों से संपर्क में है. प्रशासन का कहना है कि विदेशी छात्र कह रहे हैं कि वह वापस आएंगे. लेकिन, इन छात्रों के सामने संकट यह है उनके देशों से प्रॉपर फ्लाइट की सुविधा नहीं है. जो छात्र वीजा पर भारत आकर पठन-पाठन कर रहे थे, उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस वजह से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मंत्रालय से संपर्क कर इन छात्रों की पढ़ाई को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.

छात्रावास के वार्डेन का बयान
इंटरनेशनल छात्रावास के वार्डेन डॉ. रविशंकर पांडेय का कहना है कि यह विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार है, जब विदेशी छात्रों की संख्या कम होती जा रही है. यहां एक वक्त ऐसा भी था, जब हर कमरे में दो से तीन छात्र रहकर संस्कृत की पढ़ाई करते थे. लेकिन, कोविड-19 महामारी के दौर के बाद जो छात्र गए, वह न लौटकर आए और न ही नए छात्रों ने एडमिशन लिया. इसकी वजह से विदेशी छात्रों के छात्रावास के लगभग 7 से 8 कमरे खाली पड़े हैं.

यह भी पढ़ें- हाउस टैक्स निर्धारण की प्रक्रिया होगी ऑनलाइन, गलत जानकारी पर देना होगा चार गुना कर

  • ऐसे घटी विदेशी छात्रों की संख्या
  • शास्त्री प्रथम वर्ष में 2018-19 में 4 छात्र, 2019-20 में 6 छात्र, 2020-21 में 9 छात्र और 2021-22 में 14 थे.
  • शास्त्री द्वितीय वर्ष 2018-19 में 11 छात्र, 2019-20 में 3 छात्र, 2020-21 में 6 छात्र और 2021-22 में 7 छात्र थे.
  • शास्त्री तृतीय वर्ष 2018-19 में 4 छात्र, 2019-20 में 7 छात्र, 2020-21 में 7 छात्र और 2021-22 में 14 छात्र थे.
  • आचार्य प्रथम वर्ष में 2018-19 में 37 छात्र, 2019-20 में 16 छात्र, 2020-21 में 8 छात्र और 2021-22 में 7 छात्र थे.
  • आचार्य तृतीय वर्ष में 2018-19 में 15 छात्र, 2019-20 में 30 छात्र, 2020-21 में 1 छात्र और 2021-22 में 7 छात्र थे.

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वाराणसी: काशी को सर्व विद्या की राजधानी कहा जाता है. क्योंकि, यहां पर विश्वस्तरीय काशी हिंदू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, डॉ. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के अलावा तिब्बती विश्वविद्यालय है. इस शहर में देश के ही नहीं, बल्कि विदेशों के भी छात्र बड़ी संख्या में अलग-अलग विश्वविद्यालयों में पढ़ने आते हैं. लेकिन, यहां काशी के महात्म्य, काशी की संस्कृति के अनुरूप संस्कृत शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में विदेशी छात्र संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पढ़ने आते हैं. प्रत्येक वर्ष सैकड़ों की संख्या में छात्रों का यहां के अलग-अलग विभागों में प्रवेश होता है. लेकिन, 2019 के अंत में आए कोविड-19 वायरस ने अब तक इस यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों में दहशत फैला रखी है.

दरअसल, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में धर्म विद्या, ज्योतिष, पाली समेत शास्त्री और आचार्य की डिग्री लेने के लिए विदेशों से बड़ी संख्या में छात्र आते हैं. ये विदेशी छात्र भारतीय संस्कृति और परंपरा को जानने के लिए यहां आते हैं. इसके बाद छात्र अपने देश में जाकर भारतीय संस्कृति सभ्यता का प्रचार करते हैं. लेकिन, 2019 के अंत में आए कोविड-19 वायरस की वजह से पठन-पाठन रुकने के बाद अपने देश लौटे विदेशी छात्र अब तक लौट के नहीं आए हैं. कई छात्र बीच में पढ़ाई छोड़कर चले गए और लौटकर नहीं आए. ऐसे छात्रों का इंतजार विश्वविद्यालय प्रशासन अभी भी कर रहा है. तब से किसी भी नए छात्र ने विश्वविद्यालय में एडमिशन नहीं लिया है. इसकी वजह से बीते 5 सालों में इस वर्ष सबसे कम विदेशी छात्रों के साथ पठन-पाठन शुरू हुआ है.

विदेशी छात्रों की कमी पर इंटरनेशनल छात्रावास के वार्डेन का बयान.

जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय में 2018 से लेकर 2022 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो कई चीजें स्पष्ट हो रही हैं. क्योंकि, 2018-19 में जहां अलग-अलग विभागों में कुल 71 विदेशी छात्रों ने एडमिशन लिया था. वहीं, 2019-20 में यह संख्या 70 के आसपास ही रही. लेकिन, कोविड-19 शुरू होने के बाद इसमें लगातार गिरावट आती गई. अब हालात यह हैं कि पिछले साल 2020-21 में सिर्फ 31 विदेशी छात्र ही संस्कृत विश्वविद्यालय में बचे हैं. इसके अलावा यही हालात 2022 में भी बने हुए हैं. क्योंकि, पिछले और नए छात्रों को मिलाकर अब तक सिर्फ 43 छात्रों ने ही एडमिशन लिया है.

इंटरनेशनल छात्रावास
इस वर्ष विदेशी छात्रों का प्रवेश नहीं हुआ है. विदेशी छात्रों की हो रही कमी और उनके न आने की वजह से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल छात्रावास के कमरे भी खाली पड़े हुए हैं. सबसे ज्यादा समस्या तो इस बात की है कि यहां पर आने वाले नेपाल के छात्रों के अलावा श्रीलंका, जापान, म्यांमार, फ्रांस, इजराइल के भी कई छात्र पठन-पाठन के लिए इन 5 वर्षों के दौरान आए थे. लेकिन, 2019 में कुल 47 छात्रों को विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद यहां से सुरक्षित उनके देश भेजा गया. इनमें से नेपाल और तटवर्ती इलाकों के छात्र तो आ चुके हैं. लेकिन अब तक म्यान्मार, श्रीलंका और फ्रांस समेत दूर देशों से आने वाले विदेशी छात्र बीच में छोड़कर गई अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए अब तक नहीं लौटे हैं. इसकी वजह से इंटरनेशनल छात्रावास के चार कमरे अब तक बंद हैं.

विदेशी छात्रों के संपर्क में विश्वविद्यालय
इन छात्रावास के कमरों में विदेशी छात्रों का सामान रखा हुआ है. उन्हें न ही वह लेने आ रहे हैं और न ही अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से यहां पहुंच रहे हैं. इस संबंध में संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के डीन ऑफ स्टूडेंट का कहना है कि हमेशा विदेशी छात्रों से गुलजार रहने वाली यह बगिया बीते 2 से 3 सालों से उनकी राह देख रही है. विश्वविद्यालय प्रशासन इन छात्रों से संपर्क में है. प्रशासन का कहना है कि विदेशी छात्र कह रहे हैं कि वह वापस आएंगे. लेकिन, इन छात्रों के सामने संकट यह है उनके देशों से प्रॉपर फ्लाइट की सुविधा नहीं है. जो छात्र वीजा पर भारत आकर पठन-पाठन कर रहे थे, उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस वजह से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मंत्रालय से संपर्क कर इन छात्रों की पढ़ाई को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.

छात्रावास के वार्डेन का बयान
इंटरनेशनल छात्रावास के वार्डेन डॉ. रविशंकर पांडेय का कहना है कि यह विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार है, जब विदेशी छात्रों की संख्या कम होती जा रही है. यहां एक वक्त ऐसा भी था, जब हर कमरे में दो से तीन छात्र रहकर संस्कृत की पढ़ाई करते थे. लेकिन, कोविड-19 महामारी के दौर के बाद जो छात्र गए, वह न लौटकर आए और न ही नए छात्रों ने एडमिशन लिया. इसकी वजह से विदेशी छात्रों के छात्रावास के लगभग 7 से 8 कमरे खाली पड़े हैं.

यह भी पढ़ें- हाउस टैक्स निर्धारण की प्रक्रिया होगी ऑनलाइन, गलत जानकारी पर देना होगा चार गुना कर

  • ऐसे घटी विदेशी छात्रों की संख्या
  • शास्त्री प्रथम वर्ष में 2018-19 में 4 छात्र, 2019-20 में 6 छात्र, 2020-21 में 9 छात्र और 2021-22 में 14 थे.
  • शास्त्री द्वितीय वर्ष 2018-19 में 11 छात्र, 2019-20 में 3 छात्र, 2020-21 में 6 छात्र और 2021-22 में 7 छात्र थे.
  • शास्त्री तृतीय वर्ष 2018-19 में 4 छात्र, 2019-20 में 7 छात्र, 2020-21 में 7 छात्र और 2021-22 में 14 छात्र थे.
  • आचार्य प्रथम वर्ष में 2018-19 में 37 छात्र, 2019-20 में 16 छात्र, 2020-21 में 8 छात्र और 2021-22 में 7 छात्र थे.
  • आचार्य तृतीय वर्ष में 2018-19 में 15 छात्र, 2019-20 में 30 छात्र, 2020-21 में 1 छात्र और 2021-22 में 7 छात्र थे.

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Last Updated : Jul 13, 2022, 2:24 PM IST
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