वाराणसी: सुहागिन महिलाओं के लिए तीज का व्रत (kajari teej) काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और भारत में तीन अलग-अलग तीज मनाए जाने की परंपरा है. रविवार को आज कजरी तीज का त्यौहार (kajari teej in varanasi) मनाया जा रहा है. तीन तीजों में हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज शामिल हैं.
उत्तर भारतीय राज्यों में विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार की महिलाएं तीज मनाई जाती है. आज के दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और देवी पार्वती (varanasi married women worship on kajari teej) से प्रार्थना करती हैं और अपने पति की भलाई के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. कजरी तीज को छोटी तीज के विपरीत बड़ी तीज के रूप में भी जाना जाता है, जिसे हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है. कजरी तीज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. यह हरियाली तीज के 15 दिनों के बाद आती है.
सुहाग से जुड़ा यह व्रत और इसके पूजा की विधि के बारे में पंडित ज्योतिषाचार्य और पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि कजरी तीज मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाई जाती है. कुछ जगहों पर इस त्यौहार को बूढ़ी तीज और सतोड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस साल कजरी तीज 14 अगस्त रविवार (Kajari Teej 14th August Sunday) को पड़ी है. इस दिन भगवान महादेव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. हरियाली तीज और हरतालिका तीज की तरह कजरी तीज भी शादीशुदा महिलाओं के लिए काफी अहमियत रखती है.
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पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि इस व्रत से जुड़ी कथा में बताया गया है कि देवी पार्वती भगवान शिव से शादी करना चाहती थीं और उन्होंने अपनी इच्छा पूरी करने के लिए घोर तपस्या की ऐसा माना जाता है, कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कजरी तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत भी रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं. महिलाएं विभिन्न अनुष्ठानों और परंपराओं के बीच नीम के पेड़ की पवित्र पूजा भी करती हैं. इसके अलावा अविवाहित महिलाएं मनचाहे जीवनसाथी की कामना के लिए तीज व्रत का पालन कर सकती हैं.
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