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बड़ा गणेश मंदिर है कई भक्तों की उन्नति का आधार, पेशवा बाजीराव ने कराया था जीर्णोद्धार

यूपी के वाराणसी में गणपति का एक प्राचीन और प्रमुख मंदिर है. कहा जाता है कि यह मंदिर 2000 साल पुराना है और इसका जीर्णोद्धार पेशवा बाजीराव ने कराया था.साथ ही यह मंदिर 40 खंभों पर बना है.

गणपति का एक प्राचीन और प्रमुख मंदिर है बड़ा गणेश
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Published : Aug 19, 2019, 12:56 PM IST

वाराणसी: महादेव की नगरी वाराणसी में गणेश चौथ के दिन भगवान गणपति के जयकारे की धूम रहती है. शहर के कई बड़े गणेश मंदिरों में सुबह से ही दर्शन करने वालों की कतार लगी रहती है. मान्यता है कि भगवान गणेश के दर्शन करने से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है. इसके साथ ही सभी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं.

गणपति का एक प्राचीन और प्रमुख मंदिर है बड़ा गणेश

40 खंभों पर बना है यह मंदिरः

  • वाराणसी में भगवान गणेश का विख्यात मंदिर है जिसे लोग बड़ा गणेश के नाम से जानते हैं.
  • लोहटिया में स्थित 40 खंभों पर बना यह मंदिर मनोकामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है.
  • मान्यता है कि संकष्ठी चतुर्थी के दिन कृष्ण पक्ष में प्रथम भगवान गणपति का आविर्भाव हुआ था.
  • भगवान गणेश की इस मंदिर में स्थित मूर्ति स्वयंभू है.
  • यहां बंद कपाट में खास पूजा होती है, जिसको देखने की अनुमति किसी को नहीं है.
  • मंदिर के इतिहास की बात की जाए तो यह इतिहास 2000 साल पुराना है.
  • मंदिर का जीर्णोद्धार पेशवा बाजीराव ने करवाया था.
  • गणपति की स्वयंभू मूर्ति यहां त्रिनेत्रधारी है. ऐसी मूर्ति कहीं नहीं देखने को मिलती.
  • गणपति भगवान का यह तीसरा नेत्र ज्ञान का नेत्र है.

गजानन यहां परिवार सहित विराजते हैंः

  • भगवान गणेश अपनी दोनों धर्म पत्नियों रिद्धि और सिद्धि.
  • पुत्र शुभ लाभ के साथ यहां विराजते हैं और इसलिए इस मंदिर की विशेष मान्यता है.
  • मंदिर परिसर में विभिन्न देवी देवताओ के विग्रह स्थापित हैं, जिनमें पतालेश्वर महादेव, मनसा देवी प्रमुख हैं.
  • मंदिर परिसर में मूसकराज की आदमकद प्रतिमा भी स्थापित है.

वाराणसी: महादेव की नगरी वाराणसी में गणेश चौथ के दिन भगवान गणपति के जयकारे की धूम रहती है. शहर के कई बड़े गणेश मंदिरों में सुबह से ही दर्शन करने वालों की कतार लगी रहती है. मान्यता है कि भगवान गणेश के दर्शन करने से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है. इसके साथ ही सभी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं.

गणपति का एक प्राचीन और प्रमुख मंदिर है बड़ा गणेश

40 खंभों पर बना है यह मंदिरः

  • वाराणसी में भगवान गणेश का विख्यात मंदिर है जिसे लोग बड़ा गणेश के नाम से जानते हैं.
  • लोहटिया में स्थित 40 खंभों पर बना यह मंदिर मनोकामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है.
  • मान्यता है कि संकष्ठी चतुर्थी के दिन कृष्ण पक्ष में प्रथम भगवान गणपति का आविर्भाव हुआ था.
  • भगवान गणेश की इस मंदिर में स्थित मूर्ति स्वयंभू है.
  • यहां बंद कपाट में खास पूजा होती है, जिसको देखने की अनुमति किसी को नहीं है.
  • मंदिर के इतिहास की बात की जाए तो यह इतिहास 2000 साल पुराना है.
  • मंदिर का जीर्णोद्धार पेशवा बाजीराव ने करवाया था.
  • गणपति की स्वयंभू मूर्ति यहां त्रिनेत्रधारी है. ऐसी मूर्ति कहीं नहीं देखने को मिलती.
  • गणपति भगवान का यह तीसरा नेत्र ज्ञान का नेत्र है.

गजानन यहां परिवार सहित विराजते हैंः

  • भगवान गणेश अपनी दोनों धर्म पत्नियों रिद्धि और सिद्धि.
  • पुत्र शुभ लाभ के साथ यहां विराजते हैं और इसलिए इस मंदिर की विशेष मान्यता है.
  • मंदिर परिसर में विभिन्न देवी देवताओ के विग्रह स्थापित हैं, जिनमें पतालेश्वर महादेव, मनसा देवी प्रमुख हैं.
  • मंदिर परिसर में मूसकराज की आदमकद प्रतिमा भी स्थापित है.
Intro:वाराणसी। महादेव की नगरी काशी में गणेश चौथ के दिन भगवान गणपति के जयकारे की धूम रहती है। शहर के कई बड़े गणेश मंदिरों में सुबह से ही दर्शन करने वालों की लाइन लगी रहती है और भक्तों में यह मान्यता है कि भगवान गणेश के दर्शन करने से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। इसके साथ ही सभी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। काशी के गणपति भगवान के प्रमुख मंदिरों में से एक है बनारस का बड़ा गणेश मंदिर।


Body:VO1: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है और बनारस में भगवान गणेश का विख्यात मंदिर है जिसे लोग बड़ा गणेश के नाम से जानते हैं। बनारस के लोहटिया में स्थित 40 खंभों पर बना यह मंदिर लाखों श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन, अर्चन और मुराद की पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है कहा जाता है कि यहां दर्शन करने से हर मुराद पूरी होती है और गणेश चौथ के दिन इस मंदिर का विशेष महत्व होता है। काशी के विद्वानों की माने तो मान्यता है कि संकष्ठी चतुर्थी के दिन कृष्ण पक्ष में प्रथम देवाधिदेव भगवान गणपति का आविर्भाव हुआ था। भगवान गणेश की इस मंदिर में स्थित मूर्ति स्वयंभू है और यहां बंद कपाट में खास पूजा होती है जिसको देखने की अनुमति किसी को नहीं है ।

बाइट: आनंद कुमार दुबे, महंत परिवार के सदस्य


Conclusion:VO2: इस मंदिर के इतिहास की बात की जाए तो यह इतिहास 2000 साल पुराना है और इनके श्रृंगार और दर्शन पूजन की विशेष महत्व है। मंदिर के व्यवस्थापक परिवार के सदस्य आनंद कुमार दुबे का कहना है काशी में 56 विनायकों के प्रधान बड़ा गणेश मंदिर में गणपति भगवान के रूप में विराजते हैं। मंदिर के पुजारी का कहना है की यहां पर स्थित भगवान गणेश अपनी दोनों धर्म पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ ही अपने दोनों पुत्र शुभ लाभ के साथ यहां विराजते हैं और इसलिए इस मंदिर की विशेष मान्यता है। न सिर्फ भक्ति से बल्कि इस मंदिर का महत्व भारत के इतिहास से भी जुड़ा हुआ है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार पेशवा बाजीराव ने करवाया था, जिसके बाद लोगों को यहां आ कर पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति का ज्ञान हुआ भगवान गणपति की स्वयंभू मूर्ति यहां त्रिनेत्र में है जो कि और कहीं नहीं देखने को मिलती है कहा जाता है कि गणपति भगवान का यह तीसरा नेत्र ज्ञान का नेत्र है।

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236
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