वाराणसी: बलिया में वर्ष 2002 से वर्ष 2005 के मध्य केंद्र सरकार की ओर से चलाई गई संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एस.जी.आर.वाई) में अनियमितता मिली थी. काम के बदले अनाज देने की इस योजना के खाद्यान्न को बाजार में बेच दिया गया. पियरी ब्लॉक के विभिन्न गांवों में इस योजना से मिट्टी खोदाई, नाली निर्माण, खड़ंजा, पटरी मरम्मत, सम्पर्क मार्ग, सीसी और पुलिया निर्माण का कार्य होना था.
योजना के तहत ग्रामीण परिवारों, अति निर्धन और गरीब बाल श्रमिकों के माता-पिता को रोजगार देकर खाद्यान्न और नगद धनराशि का भुगतान किए जाना था. अधिकारियों ने कोटेदारों के साथ मिलकर पेमेंट ऑर्डर, मास्टर रोल और खाद्यान्न वितरण रजिस्टर में कूट रचना कर मजदूरों के फर्जी हस्ताक्षर बनवाए थे. मास्टर रोल में मजदूरों के फर्जी नाम और पते लिखे गए थे.
बुधवार को आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन वाराणसी के निरीक्षक सुनील कुमार वर्मा के नेतृत्व में गठित टीम ने आरोपी बलिया निवासी रिटायर्ड सहायक विकास अधिकारी (सहकारिता) धर्मदेव सिंह यादव को दोपहर में उनके निवास स्थान से गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार अभियुक्त ने अपने साथियों के साथ मिलकर विकास कार्यों में मानकों का उल्लंघन कर लगभग 14.50 लाख रु का खाद्यान्न और 15.80 लाख रु का नगद भुगतान केवल कागज में फर्जी तरीके से दिखा कर गबन किया था. आरोपी के विरुद्ध थाना दोकटी, बलिया में वर्ष 2006 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित कई धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए थे.
मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन वाराणसी की टीम गिरफ्तार आरोपी को लेकर बनारस एंटी करप्शन कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए रवाना हुई. जांच एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में काफी आरोपी पहले ही जेल भेजे जा चुके हैं. वर्ष 2006 में जिले के 14 थानों में 51 मुकदमे पंजीकृत हुए थे, जिसमें लगभग 6 हजार से ऊपर आरोपी हैं. इस पूरे प्रकरण में तत्कालीन सीडीओ के साथ साथ जिला पंचायत, ग्राम पंचायत से जुड़े अफसरों, वीडीओ, सचिव और कोटेदार शामिल थे. आरोपी गिरफ्तार एडीओ (सहकारिता) वर्ष 1995 से विकास खंड मुरली छपरा, बलिया में नियुक्त था.