सुलतानपुर: वन्य प्राणी सप्ताह के समापन अवसर पर वन्यजीव प्रेमियों ने लोगों को जियो और जीने दो की तर्ज पर जीवन यापन करने का संकल्प दिलाया. गौरैया संरक्षण में प्रदेश में अहम स्थान रखने वाले प्रकाश विजय ने अपने जीवन की अंतिम इच्छा बताते हुए कहा, 'मेरी मौत पर मुझे मिट्टी में दबा देना, ताकि मैं जैविक खाद बन जाऊं'. कहा कि प्रकृति और मनुष्य एक-दूसरे के पूरक हैं. एक-दूसरे का संरक्षण कर सहजीवन व्यतीत करें, यही पर्यावरण का संदेश है.
वन्य जीव सप्ताह कार्यक्रम पर्यावरण पार्क में बुधवार को आयोजित किया गया. इसमें स्थानीय नागरिकों ने भी बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया. वन्यजीव संरक्षक भी शामिल हुए. इसमें प्राणियों के संरक्षण और उनके संवर्धन पर विचार-विमर्श किया गया. इस दौरान नागरिकों से आह्वान किया गया कि वे वन्यजीवों के जख्मी होने या संकट में होने की दशा में अभिभावक की भूमिका निभाएं. वन विभाग के अफसरों को जानकारी दें और उनका जीवन बचाएं. नागरिकों ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे. वन विभाग ने वन्यजीवों के संरक्षण में पूरा सहयोग देने का वादा किया.
इस मौके पर वन्य जीव प्रेमी प्रकाश विजय ने कहा कि मैं यही संदेश देना चाहूंगा कि वन्यजीवों के साथ ही मानव का जीवन है. इसके बिना जीवन की परिकल्पना करना संभव नहीं है. प्रत्येक मनुष्य का दायित्व है कि वह जीवों का संरक्षण करें, उनके प्राकृतिक आवास और जीवन शैली का संरक्षण करें. नागरिक अपना कर्तव्य निभाएं. जियो और जीने दो के सिद्धांत पर जीवन जिएं. उन्होंने कहा कि मेरा वन विभाग के साथ लंबा नाता रहा है. मेरा अंतिम आह्वान यही है कि मेरे मरने के बाद मुझे मिट्टी में दबा दिया जाए, जिससे मैं प्राकृतिक खाद बन जाऊं.
वहीं रेंजर तहसील सदर अमरजीत मिश्रा ने कहा कि हमारा नागरिकों से आह्वान है कि वह वन्यजीवों के संकट में होने या जख्मी होने की दशा में तत्काल वन अधिकारियों को सूचना दें. हम तत्काल राहत कार्य करने के लिए तत्पर हैं. प्राणी सप्ताह के अंतिम दिन हमारा नागरिकों से यही आह्वान और संदेश है.