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सहारनपुर के किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का नहीं मिल रहा कोई लाभ - pm modi

सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना महज कागजों और विज्ञापनों तक ही सीमित रह गई. ईटीवी भारत ने सहारनपुर के किसानों के बीच पहुंच कर फसल बीमा योजना की पड़ताल की तो योजना का पूरा सच सामने आया.

किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का नहीं मिला कोई लाभ
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Published : Feb 27, 2019, 9:48 PM IST

Updated : Feb 28, 2019, 5:47 PM IST

सहारनपुर : पीएम मोदी किसानों की आय दोगुनी करने के दावे कर रहे हैं, लेकिन हकीकत सच्चाई से कोसों दूर है. पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना न सिर्फ दम तोड़ती नजर आ रही है, बल्कि सरकार के दावों की भी पोल खोल रही है. प्राकृतिक आपदा से बर्बाद हुई किसानों की फसल के बाद किसानों को आर्थिक मदद तो दूर फसल बीमा योजना से भी वंचित रखा जा रहा है. ओलों और बारिश से आधे से ज्यादा फसल गवां चुके किसानों ने ईटीवी भारत को अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि उन्हें सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का किसी भी तरह का कोई लाभ नहीं मिल रहा है.

किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का नहीं मिला कोई लाभ


बेबसकिसानों को साहूकारों से कर्ज लेकर अपने बच्चों की स्कूल की फीस के साथ घरेलू खर्च चलाने पड़ रहे हैं, जबकि कृषि अधिकारी योजना के मुताबिक किसानों का सर्वे कर 1200 किसानों को 50 लाख रुपये की बीमा राशि देने की बात कर रहे हैं. किसानों की फसल बर्बाद होने के बाद थोड़ी राहत देने के लिए पीएम मोदी ने 3 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया था. योजना को लागू हुए तीन साल का वक्त बीत चुका है. बावजूद इसके किसानों को इस योजना का कोई लाभ नहीं मिला. किसान महिपाल ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले दिनों हुई तेज बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों की फसल आधे से ज्यादा बर्बाद हो गई लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा उनकी फसल का सर्वे तक करने नहीं आया.


महिला किसान मुंदर ने भी सरकार की इस योजना पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उन्हें सरकार से कोई बीमे की रकम नहीं मिलती. पैसे उधार लेकर अपनी आगामी फसल की बुआई करती हैं. फसल के नुकसान से उनके घर और रसोई का बजट पूरी तरह बिगड़ जाता है. उप कृषि निदेशक राकेश बाबू का कहना है कि बारिश ओर ओलावृष्टि के कारण किसानों को हुए नुकसान के लिए करीब 1200 किसानों को 50 लाख रुपये से ज्यादा बीमा राशि वितरित की गई. इस योजना के तहत सभी किसानों को उनके नुकसान के अनुसार इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. सभी किसानों को उनके नुकसान का चेक भेज दिया गया है.

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सहारनपुर : पीएम मोदी किसानों की आय दोगुनी करने के दावे कर रहे हैं, लेकिन हकीकत सच्चाई से कोसों दूर है. पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना न सिर्फ दम तोड़ती नजर आ रही है, बल्कि सरकार के दावों की भी पोल खोल रही है. प्राकृतिक आपदा से बर्बाद हुई किसानों की फसल के बाद किसानों को आर्थिक मदद तो दूर फसल बीमा योजना से भी वंचित रखा जा रहा है. ओलों और बारिश से आधे से ज्यादा फसल गवां चुके किसानों ने ईटीवी भारत को अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि उन्हें सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का किसी भी तरह का कोई लाभ नहीं मिल रहा है.

किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का नहीं मिला कोई लाभ


बेबसकिसानों को साहूकारों से कर्ज लेकर अपने बच्चों की स्कूल की फीस के साथ घरेलू खर्च चलाने पड़ रहे हैं, जबकि कृषि अधिकारी योजना के मुताबिक किसानों का सर्वे कर 1200 किसानों को 50 लाख रुपये की बीमा राशि देने की बात कर रहे हैं. किसानों की फसल बर्बाद होने के बाद थोड़ी राहत देने के लिए पीएम मोदी ने 3 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया था. योजना को लागू हुए तीन साल का वक्त बीत चुका है. बावजूद इसके किसानों को इस योजना का कोई लाभ नहीं मिला. किसान महिपाल ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले दिनों हुई तेज बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों की फसल आधे से ज्यादा बर्बाद हो गई लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा उनकी फसल का सर्वे तक करने नहीं आया.


महिला किसान मुंदर ने भी सरकार की इस योजना पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उन्हें सरकार से कोई बीमे की रकम नहीं मिलती. पैसे उधार लेकर अपनी आगामी फसल की बुआई करती हैं. फसल के नुकसान से उनके घर और रसोई का बजट पूरी तरह बिगड़ जाता है. उप कृषि निदेशक राकेश बाबू का कहना है कि बारिश ओर ओलावृष्टि के कारण किसानों को हुए नुकसान के लिए करीब 1200 किसानों को 50 लाख रुपये से ज्यादा बीमा राशि वितरित की गई. इस योजना के तहत सभी किसानों को उनके नुकसान के अनुसार इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. सभी किसानों को उनके नुकसान का चेक भेज दिया गया है.

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Intro:सहारनपुर : एक ओर जहां पीएम मोदी किसानों की आय दोगुनी करने के दावे कर रहे है लेकिन हकीकत सच्चाई से कोसो दूर है। पीएम मोदी की महत्वकांक्षी फसल बीमा योजना न सिर्फ दम तोड़ती नजर आ रही है सरकार के दावो की भी पोल खोल रही है। प्राकृतिक आपदा से बर्बाद हुई किसानों की फसल के बाद किसानों को आर्थिक मदद तो दूर योजना के मुताबिक दिए जा रहे फसल बीमा योजना से भी वंचित रखा जा रहा है। सरकार की यह योजना महज कागजो और विज्ञापनों तक ही सीमित रह गई। ईटीवी ने सहारनपुर के किसानों के बीच पहुंच कर फसल बीमा योजना की पड़ताल की तो योजना का पूरा सच सामने आया है। खेतो में दिन रात मेहनत कर दो जून की रोटी कमाने वाले किसानों की फसल बर्बाद होने बीमे की रकम मिलना तो दूर उनकी सुनवाई भी नही होती है। ओलो और बारिश से आधे से ज्यादा फसल गवां चुके किसानों ने ईटीवी को अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि उन्हें सरकार की प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का किसी भी तरह का कोई लाभ नही मिल रहा है। जिसके चलते बेबश किसानों को साहूकारों से कर्ज लेकर अपने बच्चों की स्कूल की फीस के साथ घरेलू खर्च चलाने पड़ रहे हैं। जबकि कृषि अधिकारी योजना के मुताबिक किसानों का सर्वे कर 1200 किसानों को 50 लाख रुपये का बीमा राशि देने की बात कर रहे है।





Body:VO1 - आपको बता दें कि सूखा, ओलावृष्टि, आंधी, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की फसले बर्बाद हो जाती थी। जिससे किसानों को भारी नुकसान होता रहता था। किसानों की फसल बर्बाद होने के बाद थोड़ी राहत देने के लिए पीएम मोदी ने 3 जनवरी 2016 को प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया था। जिससे न सिर्फ किसानों के हुए नुकसान की भरपाई हो सकेगी बल्कि किसानों वार्षिक आय भी प्रभावित नही हो सकेगी। योजना को लागू हुए तीन साल का वक्त बीत चुका है बावजूद इसके किसानों को इस योजना का कोई लाभ नही मिला। जिससे अन्नदाता के सामने आर्थिक संकट तो मंडरा ही रहा है साथ खेतो में पैदावार भी लांगत से कम हो रही है। ईटीवी की टीम ने प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना का सच जानने की कोशिश की तो चोकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। इस दौरान हमने किसानों से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा चलाई गई फसल बीमा योजना केवल कागजो तक ही सीमित है। ओला वृष्टि ओर तेज बारिश से गेहूं , सरसो की फसल तो क्या भारीभरकम गन्ने की फसल भी खासी प्रभावित हुई है। किसान महिपाल ने ईटीवी को बताया कि पिछले दिनों हुई तेज बारिश और ओला वृष्टि से गेहूं और सरसों की फसल आधे से ज्यादा बर्बाद हो गई। लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा उनकी फसल जा सर्वे तक करने नही आया। वही महिला किसान मुंदर ने भी सरकार की इस योजना पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उन्हें सरकार से कोई बीमे की रकम नही मिलती। ये पैसे उधार लेकर अपनी आगामी फसल की बुआई करते है। फसल के नुकसान से उनके घर और रसोई का बजट पूरी तरह बिगड़ जाता है।

बाइट - महिपाल सिंह ( किसान )
बाइट - मुंदर ( महिला किसान )

VO 2 - अब हम आपको सईद नाम के इस किसान से मिलवाते है सईद वैसे तो अपने खेतों में गन्ने के अलावा गेंहू , सरसो की फसल उगाते है लेकिन कुदरत की बेरुखी के चलते इनकी फसल बारिश और ओलावृष्टि की भेंट चढ़ गई। बेमौसम बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि ने इनकी मेहनत पर भी पानी फेर दिया। ओलावृष्टि से 40-50 फीसदी फसलें तबाह हो गई। जिससे किसान सईद के खेतों में खड़ी फसल को भारी नुकसान हो गया। हालात यह है पैदावार लांगत से भी आधी रह गई। जिसके चलते उन्हें साहूकारों से उधार लेकर न सिर्फ आगामी फसल की तैयारी करनी पड़ रही बल्कि अपने बच्चों की स्कूल फीस , ब्याह शादी और घर के जरूरी खर्च भी कर्ज लेकर करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के लिए उन्हें अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे है।

बाइट - सईद ( किसान )

VO 3 - जनपद सहारनपुर में मुख्य रूप से रबी में गेहूं, सरसो, गन्ना आदि और खरीफ में धान की फसल की जाती है। लेकिन अचानक तेज बारिश और ओलावृष्टि के केसतब तेज हवाओं से किसानों की फसलों को बर्बाद कर देती है। अगर हम हाल ही बात करे तो कुछ दिन पहले ही बेमौसम हुई तेज बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की गेंहू सरसो की आधे से ज्यादा फसल नष्ट हो गई। ईटीवी की टीम ने खेतो में जाकर किसानों से उनका दर्द जाना तो फसल बीमा योजना का सच सामने आया। साक्खन ग़ांव निवासी लालसिंह और उनकी पत्नी से मुलाकात हुई। दोनों पति पत्नी अपने खेत मे गन्ने की फसल काट रहे थे। जब हमने उनसे प्रधान मंत्री फसल बेमा योजना के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वे गन्ना, गेहूं सरसों की फसल करते है। इस बार ओलावृष्टि और बारिश हुई तो आधी फसल बर्बाद हो गई। इतना ही नही 60 कुंतल प्रति बीघा निकलने वाला गन्ना भी केवल 20- 30 कुंतल के हिसाब से ही निकल रहा है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदा से फसल के नष्ट होने बाद उनके पास न तो कोई अधिकारी ब्लॉक से आया और ना ही तहसील स्तर के अधिकारियों ने उनकी सुध ली है। फसल बीमा योजना इन्हें कोई लाभ नही मिला जबकि ये कई बार अधिकारियों केपास जाते है तो अधिकारी बजट नही आने की बात कहकर टाल देते है। जिसके चलते उनके सामने आर्थिक संकट बना हुआ है। वही बेमौसम हुई बारिश से हुए नुकसान पर किसान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खेत मे हाथ बंटा रही का दर्द भी छलक गया।

बाइट - लाल सिंह ( पीडिटी किसान )
बाइट - कश्मीरी ( किसान की पत्नी )

VO 4 - जबकि उप कृषि निदेशक राकेश बाबू का कहना है कि बारिश ओर ओलावृष्टि के कारण किसानों को हुए नुकसान के लिए करीब 1200 किसानों को 50 लाख रुपये से ज्यादा बेमा राशि वितरित की गई। इस योजना के तहत सभी किसानों को उनके नुकसान के अनुसार इस योजना का लाभ प्राप्त दिया जा रहा है। सभी किसानों को उनके नुकसान का चेक भेज दिया गया है। हालांकि फसल के उत्पादन में हुई बढ़ोतरी से किसानों कोइ योजना का कोई लाभ नही मिलता। 

बाइट - राकेश बाबू ( उप कृषि निदेशक )






Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
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Last Updated : Feb 28, 2019, 5:47 PM IST
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