सहारनपुर : पीएम मोदी किसानों की आय दोगुनी करने के दावे कर रहे हैं, लेकिन हकीकत सच्चाई से कोसों दूर है. पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना न सिर्फ दम तोड़ती नजर आ रही है, बल्कि सरकार के दावों की भी पोल खोल रही है. प्राकृतिक आपदा से बर्बाद हुई किसानों की फसल के बाद किसानों को आर्थिक मदद तो दूर फसल बीमा योजना से भी वंचित रखा जा रहा है. ओलों और बारिश से आधे से ज्यादा फसल गवां चुके किसानों ने ईटीवी भारत को अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि उन्हें सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का किसी भी तरह का कोई लाभ नहीं मिल रहा है.
बेबसकिसानों को साहूकारों से कर्ज लेकर अपने बच्चों की स्कूल की फीस के साथ घरेलू खर्च चलाने पड़ रहे हैं, जबकि कृषि अधिकारी योजना के मुताबिक किसानों का सर्वे कर 1200 किसानों को 50 लाख रुपये की बीमा राशि देने की बात कर रहे हैं. किसानों की फसल बर्बाद होने के बाद थोड़ी राहत देने के लिए पीएम मोदी ने 3 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया था. योजना को लागू हुए तीन साल का वक्त बीत चुका है. बावजूद इसके किसानों को इस योजना का कोई लाभ नहीं मिला. किसान महिपाल ने ईटीवी भारत को बताया कि पिछले दिनों हुई तेज बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों की फसल आधे से ज्यादा बर्बाद हो गई लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा उनकी फसल का सर्वे तक करने नहीं आया.
महिला किसान मुंदर ने भी सरकार की इस योजना पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उन्हें सरकार से कोई बीमे की रकम नहीं मिलती. पैसे उधार लेकर अपनी आगामी फसल की बुआई करती हैं. फसल के नुकसान से उनके घर और रसोई का बजट पूरी तरह बिगड़ जाता है. उप कृषि निदेशक राकेश बाबू का कहना है कि बारिश ओर ओलावृष्टि के कारण किसानों को हुए नुकसान के लिए करीब 1200 किसानों को 50 लाख रुपये से ज्यादा बीमा राशि वितरित की गई. इस योजना के तहत सभी किसानों को उनके नुकसान के अनुसार इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. सभी किसानों को उनके नुकसान का चेक भेज दिया गया है.
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