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अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के सहारे रालोद, पश्चिमी यूपी में दोबारा सियासी ताकत दिखाने की तैयारी

चौधरी चरण सिंह जिन्हें किसानों का मसीहा भी कहा जाता था, ने कांग्रेस मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बात भारतीय क्रांति दल की स्थापना की थी. इसके बाद 1974 में उन्‍होंने इसका नाम बदलकर लोकदल कर दिया. इसके बाद 1977 में इस पार्टी का जनता पार्टी में विलय हो गया. जनता पार्टी जब 1980 में टूटी तो चौधरी चरण सिंह ने जनता पार्टी एस का गठन किया. 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इस दल का नाम बदलकर दलित मजदूर किसान पार्टी हो गया. इस तरह यह पार्टी कई बार बनती बिगड़ती चली गई..

अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद
अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद
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Published : Sep 15, 2021, 10:53 AM IST

Updated : Sep 15, 2021, 2:33 PM IST

मेरठ : एक समय था जब राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष रहे चौधरी अजित सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले थे. पर मुलायम के राजनीतिक दावों के आगे उन्हें चित होना पड़ा. इसके बाद वे उत्तर प्रदेश में अपना राजनीतिक कद बचाते नजर आए.

अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद
अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद

उधर, मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना रसूख बचाने की जद्दोजहद में चौधरी अजित सिंह को आखिरकार उसी पार्टी का सहारा मिला जिसे उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह मे स्थापित किया था और जो कई बार गठित और अन्य पार्टियों में विलय का शिकार हो चुकी थी.

अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद
अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद

हालांकि यह पार्टी भी वह राजनीतिक प्रभाव नहीं हासिल कर सकी जिसकी इससे अपेक्षा थी. यह पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही सिमटकर रह गई. पर अब चौधरी अजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे जयंत चौधरी रसम पगड़ी के नाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल की खोई जमीन को दोबारा तलाशने के प्रयास में नजर आ रहे हैं.

दरअसल, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष रहे चौधरी अजित सिंह की स्मृति में बागपत के छपरौली में श्रद्धांजलि सभा का कार्यक्रम होने जा रहा है. राष्ट्रीय लोकदल नेताओं का दावा है कि कार्यक्रम में देशभर से लोग शामिल होने पहुंचेंगे.

चौधरी अजित सिंह की रसम पगड़ी के नाम पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खोई जमीन तलाशने में जुटा रालोद
चौधरी अजित सिंह की रसम पगड़ी के नाम पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खोई जमीन तलाशने में जुटा रालोद

इनमें विभिन्न खापों के चौधरी व किसान और मजदूर शामिल होंगे. RLD श्रद्धांजलि सभा और रसम पगड़ी के 19 सितंबर को होने वाले इस कार्यक्रम को कार्यकर्ताओं का महाकुंभ बता रही है.

2022 में यूपी में विधानसभा का चुनाव है. राजनीति के जानकारों की मानें तो ऐसे में रालोद अपने नेता चौधरी अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के जरिये खासतौर से पश्चिमी यूपी में अपनी ताकत का एहसास कराना चाहती है. इसी लक्ष्य को लेकर कार्यक्रम की तैयारियां भी उसी स्तर पर की जा रहीं हैं.

बता दें कि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष रहे व भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण के पुत्र अजित सिंह का 6 मई को निधन हो गया था. तब उनका कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए गुरुग्राम में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया था. अब राष्ट्रीय लोकदल अपने दिवंगत नेता के लिए श्रद्धांजलि सभा का कार्यक्रम रविवार यानी 19 सितंबर को आयोजित करने जा रहा है.

इस बारे में ईटीवी भारत ने राष्ट्रीय लोकदल के क्षेत्रीय अध्यक्ष पश्चिम क्षेत्र यशवीर सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि बागपत के छपरौली में वहां के पार्टी के कार्यकर्ताओं के द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का कार्यक्रम होना है. बताया कि इस मौके पर दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री के पुत्र व राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद जयंत चौधरी का रसम पगड़ी की जाएगी.

रालोद नेता ने कहा कि ये एक भव्य कार्यक्रम होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये महाकुंभ होगा. इस कार्यक्रम में लाखों लोगों के पहुंचने की उम्मीद है. रालोद नेता ने कहा कि स्थानीय प्रशासन को पहले ही अवगत कराया जा चुका है. इस कार्यक्रम में देश के कोने कोने से खाप चौधरियों समेत किसानों के भी पहुंचने की उम्मीद है.

ईटीवी भारत के इस सवाल के जवाब में कि क्या कार्यक्रम हाल ही में हुई महापंचायत सरीखा होगा तो राष्ट्रीय लोकदल नेताओं ने कहा कि बिल्कुल देशभर से लोग पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह को श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे.

यह भी पढ़ें: महात्मा गांधी की हत्या में शामिल नारायण आप्टे की मूर्ति स्थापित करने की तैयारी में हिंदू महासभा

प्रदेश मीडिया संयोजक सुनील रोहटा ने बताया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री व बागपत से कई बार सांसद रहे चौधरी अजित सिंह का गुरुग्राम में तब निधन हुआ था. उस वक्त कोरोना काफी तेजी से फैल रहा था. उन्होंने कहा कि इसके चलते तब से कोई कार्यक्रम भी आयोजित नहीं हुआ था. कहा कि उत्तरप्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के खाप चौधरी व किसान और मजदूर छपरौली में जुटेंगे.

चौधरी अजित सिंह के उत्तराधिकारी चुने जाने के बाद जयंत चौधरी के कंधों पर बढ़ी जिम्मेदारी

इस वर्ष मई में राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद उनके सियासी उत्तराधिकारी के चयन के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की गई. इस वर्चुअल बैठक में जयंत चौधरी को अध्यक्ष चुना गया. जयंत चौधरी ने अध्यक्ष पद संभालते ही संयुक्त किसान आंदोलन का समर्थन किया. वहीं किसानों के आंदोलन में वह बढ़ चढ़ कर भाग भी लेते रहे हैं. बताया जाता है कि पार्टी का अध्यक्ष पद पाने के बाद उनपर जिम्मेदारी भी पढ़ी है जिसे लेकर अब वह खुद को मजबूत करने में जुटे हैं. इसी क्रम में रसम पगड़ी का भी आयोजन किया जा रहा है.

पहली वार पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने किया था लोकदल का गठन

चौधरी चरण सिंह जिन्हें किसानों का मसीहा भी कहा जाता था, ने कांग्रेस मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बात भारतीय क्रांति दल की स्थापना की थी. इसके बाद 1974 में उन्‍होंने इसका नाम बदलकर लोकदल कर दिया. इसके बाद 1977 में इस पार्टी का जनता पार्टी में विलय हो गया.

जनता पार्टी जब 1980 में टूटी तो चौधरी चरण सिंह ने जनता पार्टी एस का गठन किया. 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इस दल का नाम बदलकर दलित मजदूर किसान पार्टी हो गया और इसी बैनर तले चुनाव लड़ा गया. पार्टी में विवाद के चलते हेमवती नन्दन बहुगुणा इससे अलग हो गए और 1985 में चौधरी चरण सिंह ने लोकदल का गठन किया.

इसी बीच 1987 में चौधरी अजित सिंह के राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते पार्टी में फिर विवाद हुआ और लोकदल (अ) का गठन किया गया. इसके बाद लोकदल (अ) का 1988 में जनता दल में विलय हो गया. जब जनता दल में आपसी टकराव हुआ तो 1987 लोकदल (अ) और लोकदल (ब) बन गया. किसानों की कहे जाने वाले इस दल का 1988 में जनता पार्टी में विलय हो गया.

फिर जब जनता दल बना तो अजित सिंह का दल उसके साथ हो गया. लोकदल (अ) यानी चौ. अजित सिंह का 1993 में कांग्रेस में विलय हो गया. चौधरी अजित सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस से अलग होकर 1996 में किसान कामगार पार्टी का गठन किया. इसके बाद 1998 में चौ. चरण सिंह की विचारधारा पर चलने वाले इस दल का नाम उनके पुत्र चौ. अजित सिंह ने बदलकर राष्ट्रीय लोकदल कर दिया.

अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन जिलों में रहा है पार्टी का प्रभाव

चौधरी चरण सिंह की राजनीति जिन जिलों में अधिक प्रभावी रही उनमें मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, बागपत, रामपुर, आगरा, अलीगढ, मथुरा, फिरोजाबाद, महामायानगर, एटा, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, जेपी नगर, मैनपुरी, बरेली, बदायूं, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, शाहजहांपुर आदि जिले शामिल हैं.

मेरठ : एक समय था जब राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष रहे चौधरी अजित सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले थे. पर मुलायम के राजनीतिक दावों के आगे उन्हें चित होना पड़ा. इसके बाद वे उत्तर प्रदेश में अपना राजनीतिक कद बचाते नजर आए.

अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद
अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद

उधर, मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना रसूख बचाने की जद्दोजहद में चौधरी अजित सिंह को आखिरकार उसी पार्टी का सहारा मिला जिसे उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह मे स्थापित किया था और जो कई बार गठित और अन्य पार्टियों में विलय का शिकार हो चुकी थी.

अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद
अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद

हालांकि यह पार्टी भी वह राजनीतिक प्रभाव नहीं हासिल कर सकी जिसकी इससे अपेक्षा थी. यह पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही सिमटकर रह गई. पर अब चौधरी अजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे जयंत चौधरी रसम पगड़ी के नाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल की खोई जमीन को दोबारा तलाशने के प्रयास में नजर आ रहे हैं.

दरअसल, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष रहे चौधरी अजित सिंह की स्मृति में बागपत के छपरौली में श्रद्धांजलि सभा का कार्यक्रम होने जा रहा है. राष्ट्रीय लोकदल नेताओं का दावा है कि कार्यक्रम में देशभर से लोग शामिल होने पहुंचेंगे.

चौधरी अजित सिंह की रसम पगड़ी के नाम पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खोई जमीन तलाशने में जुटा रालोद
चौधरी अजित सिंह की रसम पगड़ी के नाम पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खोई जमीन तलाशने में जुटा रालोद

इनमें विभिन्न खापों के चौधरी व किसान और मजदूर शामिल होंगे. RLD श्रद्धांजलि सभा और रसम पगड़ी के 19 सितंबर को होने वाले इस कार्यक्रम को कार्यकर्ताओं का महाकुंभ बता रही है.

2022 में यूपी में विधानसभा का चुनाव है. राजनीति के जानकारों की मानें तो ऐसे में रालोद अपने नेता चौधरी अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के जरिये खासतौर से पश्चिमी यूपी में अपनी ताकत का एहसास कराना चाहती है. इसी लक्ष्य को लेकर कार्यक्रम की तैयारियां भी उसी स्तर पर की जा रहीं हैं.

बता दें कि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष रहे व भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण के पुत्र अजित सिंह का 6 मई को निधन हो गया था. तब उनका कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए गुरुग्राम में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया था. अब राष्ट्रीय लोकदल अपने दिवंगत नेता के लिए श्रद्धांजलि सभा का कार्यक्रम रविवार यानी 19 सितंबर को आयोजित करने जा रहा है.

इस बारे में ईटीवी भारत ने राष्ट्रीय लोकदल के क्षेत्रीय अध्यक्ष पश्चिम क्षेत्र यशवीर सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि बागपत के छपरौली में वहां के पार्टी के कार्यकर्ताओं के द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का कार्यक्रम होना है. बताया कि इस मौके पर दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री के पुत्र व राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद जयंत चौधरी का रसम पगड़ी की जाएगी.

रालोद नेता ने कहा कि ये एक भव्य कार्यक्रम होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये महाकुंभ होगा. इस कार्यक्रम में लाखों लोगों के पहुंचने की उम्मीद है. रालोद नेता ने कहा कि स्थानीय प्रशासन को पहले ही अवगत कराया जा चुका है. इस कार्यक्रम में देश के कोने कोने से खाप चौधरियों समेत किसानों के भी पहुंचने की उम्मीद है.

ईटीवी भारत के इस सवाल के जवाब में कि क्या कार्यक्रम हाल ही में हुई महापंचायत सरीखा होगा तो राष्ट्रीय लोकदल नेताओं ने कहा कि बिल्कुल देशभर से लोग पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह को श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे.

यह भी पढ़ें: महात्मा गांधी की हत्या में शामिल नारायण आप्टे की मूर्ति स्थापित करने की तैयारी में हिंदू महासभा

प्रदेश मीडिया संयोजक सुनील रोहटा ने बताया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री व बागपत से कई बार सांसद रहे चौधरी अजित सिंह का गुरुग्राम में तब निधन हुआ था. उस वक्त कोरोना काफी तेजी से फैल रहा था. उन्होंने कहा कि इसके चलते तब से कोई कार्यक्रम भी आयोजित नहीं हुआ था. कहा कि उत्तरप्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के खाप चौधरी व किसान और मजदूर छपरौली में जुटेंगे.

चौधरी अजित सिंह के उत्तराधिकारी चुने जाने के बाद जयंत चौधरी के कंधों पर बढ़ी जिम्मेदारी

इस वर्ष मई में राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद उनके सियासी उत्तराधिकारी के चयन के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की गई. इस वर्चुअल बैठक में जयंत चौधरी को अध्यक्ष चुना गया. जयंत चौधरी ने अध्यक्ष पद संभालते ही संयुक्त किसान आंदोलन का समर्थन किया. वहीं किसानों के आंदोलन में वह बढ़ चढ़ कर भाग भी लेते रहे हैं. बताया जाता है कि पार्टी का अध्यक्ष पद पाने के बाद उनपर जिम्मेदारी भी पढ़ी है जिसे लेकर अब वह खुद को मजबूत करने में जुटे हैं. इसी क्रम में रसम पगड़ी का भी आयोजन किया जा रहा है.

पहली वार पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने किया था लोकदल का गठन

चौधरी चरण सिंह जिन्हें किसानों का मसीहा भी कहा जाता था, ने कांग्रेस मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बात भारतीय क्रांति दल की स्थापना की थी. इसके बाद 1974 में उन्‍होंने इसका नाम बदलकर लोकदल कर दिया. इसके बाद 1977 में इस पार्टी का जनता पार्टी में विलय हो गया.

जनता पार्टी जब 1980 में टूटी तो चौधरी चरण सिंह ने जनता पार्टी एस का गठन किया. 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इस दल का नाम बदलकर दलित मजदूर किसान पार्टी हो गया और इसी बैनर तले चुनाव लड़ा गया. पार्टी में विवाद के चलते हेमवती नन्दन बहुगुणा इससे अलग हो गए और 1985 में चौधरी चरण सिंह ने लोकदल का गठन किया.

इसी बीच 1987 में चौधरी अजित सिंह के राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते पार्टी में फिर विवाद हुआ और लोकदल (अ) का गठन किया गया. इसके बाद लोकदल (अ) का 1988 में जनता दल में विलय हो गया. जब जनता दल में आपसी टकराव हुआ तो 1987 लोकदल (अ) और लोकदल (ब) बन गया. किसानों की कहे जाने वाले इस दल का 1988 में जनता पार्टी में विलय हो गया.

फिर जब जनता दल बना तो अजित सिंह का दल उसके साथ हो गया. लोकदल (अ) यानी चौ. अजित सिंह का 1993 में कांग्रेस में विलय हो गया. चौधरी अजित सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस से अलग होकर 1996 में किसान कामगार पार्टी का गठन किया. इसके बाद 1998 में चौ. चरण सिंह की विचारधारा पर चलने वाले इस दल का नाम उनके पुत्र चौ. अजित सिंह ने बदलकर राष्ट्रीय लोकदल कर दिया.

अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा के नाम पर पश्चिमी यूपी में सियासी जमीन तलाशने में जुटी रालोद

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन जिलों में रहा है पार्टी का प्रभाव

चौधरी चरण सिंह की राजनीति जिन जिलों में अधिक प्रभावी रही उनमें मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, बागपत, रामपुर, आगरा, अलीगढ, मथुरा, फिरोजाबाद, महामायानगर, एटा, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, जेपी नगर, मैनपुरी, बरेली, बदायूं, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, शाहजहांपुर आदि जिले शामिल हैं.

Last Updated : Sep 15, 2021, 2:33 PM IST
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