मथुरा: केंद्र सरकार ने बीते शनिवार आम आदमी को राहत देते हुए गैस सिलेंडर में सब्सिडी देने का ऐलान कर दिया. सरकार ने गैस सिलिंडर के ग्राहकों को दो सौ रुपए की सब्सिडी देने की घोषणा की. हालांकि यह सब्सिडी केवल प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थियों (Beneficiaries of Pradhan Mantri Ujjwala Yojana) को ही दी जाएगी.
वहीं, मथुरा में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थी सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय से नाखुश नजर आए. लाभार्थियों का कहना था कि जब पैसे देकर सिलिंडर खरीदा जाता था, तब सिलेंडर के दाम काफी कम थे. जिससे हमें राहत थी. लेकिन, अब सिलिंडर इतना महंगा होने के बाद मात्र कुछ रुपये की ही सब्सिडी दी जा रही है. इससे लाभार्थियों को कोई राहत नहीं मिल पाएगी.
इस बार भी यही लग रहा है कि कुछ महीने तक तो सब्सिडी मिलेगी, लेकिन उसके बाद बंद कर दी जाएगी. अब हम उज्ज्वला सिलिंडर का इस्तेमाल केवल बहुत आवश्यकता पड़ने पर ही करते हैं. रोजमर्रा के रसोई के काम के लिए मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग करते हैं.
योजना के लाभार्थियों ने कही यह बात: जिले के लक्ष्मी नगर क्षेत्र की रहने वाली लीलावती ने कहा, कि गैस सिलिंडर 1000 रुपये के पार है और सरकार 200 रुपये सब्सिडी दे रही है. 200 रुपये की सब्सिडी ऊंट के मुंह में जीरे का काम कर रही है.
इससे अच्छा पहले हमारे द्वारा पैसों से सिलिंडर खरीदा जाता था, लेकिन सिलिंडर की कीमत 350 से 400 रुपये के बीच थी जिससे लोगों को काफी राहत थी. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के नाम पर मुफ्त में सिलिंडर तो दे दिया, लेकिन उसे भरवाने की कीमत इतनी है कि सिलिंडर भरवाने से पहले कई बार सोचना पड़ता है. मजबूरी में दोबारा से मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल करना पड़ रहा है.
वहीं, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना लाभार्थी राधा ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पति की मृत्यु हो चुकी है. उनके पास चार लड़कियां और एक लड़का है. वह अपने घर का खर्चा कपड़ों की सिलाई कर चलाती हैं. उन्हें उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त में गैस सिलेंडर मिला था. जिसे वह भरवाने में भी असमर्थ हैं. 200 रुपये की सब्सिडी से उन्हें किसी भी प्रकार की कोई राहत नहीं मिल रही है.
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राधा ने बताया कि पहले सिलिंडर पैसों से खरीदा जाता था. लेकिन उसे भरवाने की कीमत इतनी कम थी कि लोग आसानी से सिलिंडर को भरवा लिया करते थे. अब वह योजना के तहत मिले सिलिंडर को केवल तब ही इस्तेमाल करती हैं, जब उनके घर पर कोई रिश्तेदार आया हो या बहुत ज्यादा आवश्यकता हो. नहीं तो वह मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल करती हैं उसी पर रोज खाना पकाती हैं.
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