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सरकार से मिली सहायता तो युवाओं ने शुरू किया स्टार्टअप, ग्रामोद्योग को लगे पंख

उत्तर प्रदेश में अब तक की बात करें तो 15,000 से अधिक ग्रामोद्योग से जुड़ी इकाइयों को स्थापित कराने का काम किया गया है. करीब 1982 करोड़ रुपए का अनुदान भी दिया गया.

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Published : May 16, 2022, 10:19 PM IST

तैयार किया गया सामान
तैयार किया गया सामान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने पंडित दीनदयाल ग्रामोद्योग रोजगार योजना शुरू की और ग्रामीण स्तर पर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामोद्योग स्थापित करने में अनुदान देने का काम शुरू किया. इस योजना का युवाओं ने खूब लाभ उठाया और स्टार्टअप शुरू करने में कामयाब हुए.

उत्तर प्रदेश में अब तक की बात करें तो 15,000 से अधिक ग्रामोद्योग से जुड़ी इकाइयों को स्थापित कराने का काम किया गया है. करीब 1982 करोड़ रुपए का अनुदान भी दिया गया. जिसके माध्यम से लोगों ने अपने स्वरोजगार स्थापित किए और बड़ी संख्या में दूसरे लोगों को रोजगार देने का भी काम किया. ईटीवी भारत ने स्टार्टअप करने वाले कुछ लोगों से बात की और समझा कि सरकार से मिली सहूलियत से उन्हें कितना लाभ हुआ और स्टार्टअप शुरू करने के बाद क्या फायदा हुआ.

जानकारी देते संवाददाता धीरज त्रिपाठी
आंकड़ों की बात करें तो ग्रामोद्योग रोजगार योजना के माध्यम से गत 5 वर्षों में 15090 इकाइयों की स्थापना कराई गई और 1982 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश कराया गया. इससे करीब एक लाख 60 हजार लोगों को रोजगार के अवसर भी मिले. खास बात यह रही कि युवाओं को खादी ग्रामोद्योग विभाग से अनुदान मिला तो उनके हुनर को पंख लगे और स्वरोजगार स्थापित करने में बड़ी मदद मिली.
तैयार किया गया सामान
तैयार किया गया सामान
खादी बोर्ड के माध्यम से हमें अपना ग्रामोद्योग स्थापित करने में मदद मिली. सरकार की तरफ से हमें जीरो परसेंट ब्याज में पैसा मिला और सरकार ने हमें अनुदान भी दिया है. तमाम तरह की सुविधाएं और मिली हैं. जिससे हमें लाभ मिला और हमारा ग्रामोद्योग स्थापित हो सका. हमने करीब अपने 40 लोगों को रोजगार दिया है. हमारी सीतापुर में ग्रामोद्योग की इकाई लगी हुई है और दरी आदि का काम हम करते हैं. हमारे यहां हैंडलूम का काम भी होता है. हमारे कारखाने में करीब 40 लोग हैं. जिसमें 27 महिलाएं भी काम करती हैं. इन लोगों को हमने रोजगार दिया है. हमारे सामान की आपूर्ति दिल्ली, गुजरात, कोलकाता, दुबई और अमेरिका में भी होती है. हमें सरकार की तरफ से बहुत सपोर्ट मिला और सरकार के सहयोग की वजह से ही हम अपना उद्योग लगा पाए हैं. इसके लिए हम सरकार के आभारी हैं. सरकार की तरफ से हमें सपोर्ट नहीं मिलता तो हम इतना काम नहीं कर पाते.
तैयार किया गया सामान
तैयार किया गया सामान

ये भी पढ़ें : निर्यात के क्षेत्र में यूपी की शानदार उपलब्धि, वित्तीय वर्ष 2011-22 में बढ़ा 30 फीसदी निर्यात


हम तीन महिला साथियों ने मिलकर अपना स्टार्टअप शुरू किया है. हम लोगों को सरकार की तरफ से नर्सरी लगाने में सहायता मिली है. नर्सरी लगाने के लिए सरकार की तरफ से 50 फीसद सब्सिडी मिली है और हमने अपने स्तर से काम करते हुए अपना स्टार्टअप शुरू किया है. बांस की बहुत सारी प्रजातियों पर हम काम कर रहे हैं. हैंडीक्राफ्ट पर भी हम काम कर रहे हैं. बाराबंकी में हमारी यूनिट लगी हुई है. हैंडीक्राफ्ट में हम पेपरवेट सहित अन्य इनोवेटिव चीजें बना रहे हैं. हमारा प्रयास है कि इनोवेटिव तरीके से हम चीजें बना सकें. फर्नीचर में ऑफिस चेयरस, सोफा, टेबल जैसा अन्य सामान भी हम बना रहे हैं. हमारे इस बांस से जुड़े उद्योग को लेकर रिस्पांस मिल रहा है, लेकिन अभी लोगों को उसके बारे में बहुत जानकारी नहीं है. हम लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं. प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण के लिए बहुत खतरनाक है. ऐसे में बांस से बनी हुई चीजों के उपयोग को बढ़ावा देना होगा. इससे पर्यावरण भी बेहतर होगा.

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने पंडित दीनदयाल ग्रामोद्योग रोजगार योजना शुरू की और ग्रामीण स्तर पर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामोद्योग स्थापित करने में अनुदान देने का काम शुरू किया. इस योजना का युवाओं ने खूब लाभ उठाया और स्टार्टअप शुरू करने में कामयाब हुए.

उत्तर प्रदेश में अब तक की बात करें तो 15,000 से अधिक ग्रामोद्योग से जुड़ी इकाइयों को स्थापित कराने का काम किया गया है. करीब 1982 करोड़ रुपए का अनुदान भी दिया गया. जिसके माध्यम से लोगों ने अपने स्वरोजगार स्थापित किए और बड़ी संख्या में दूसरे लोगों को रोजगार देने का भी काम किया. ईटीवी भारत ने स्टार्टअप करने वाले कुछ लोगों से बात की और समझा कि सरकार से मिली सहूलियत से उन्हें कितना लाभ हुआ और स्टार्टअप शुरू करने के बाद क्या फायदा हुआ.

जानकारी देते संवाददाता धीरज त्रिपाठी
आंकड़ों की बात करें तो ग्रामोद्योग रोजगार योजना के माध्यम से गत 5 वर्षों में 15090 इकाइयों की स्थापना कराई गई और 1982 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश कराया गया. इससे करीब एक लाख 60 हजार लोगों को रोजगार के अवसर भी मिले. खास बात यह रही कि युवाओं को खादी ग्रामोद्योग विभाग से अनुदान मिला तो उनके हुनर को पंख लगे और स्वरोजगार स्थापित करने में बड़ी मदद मिली.
तैयार किया गया सामान
तैयार किया गया सामान
खादी बोर्ड के माध्यम से हमें अपना ग्रामोद्योग स्थापित करने में मदद मिली. सरकार की तरफ से हमें जीरो परसेंट ब्याज में पैसा मिला और सरकार ने हमें अनुदान भी दिया है. तमाम तरह की सुविधाएं और मिली हैं. जिससे हमें लाभ मिला और हमारा ग्रामोद्योग स्थापित हो सका. हमने करीब अपने 40 लोगों को रोजगार दिया है. हमारी सीतापुर में ग्रामोद्योग की इकाई लगी हुई है और दरी आदि का काम हम करते हैं. हमारे यहां हैंडलूम का काम भी होता है. हमारे कारखाने में करीब 40 लोग हैं. जिसमें 27 महिलाएं भी काम करती हैं. इन लोगों को हमने रोजगार दिया है. हमारे सामान की आपूर्ति दिल्ली, गुजरात, कोलकाता, दुबई और अमेरिका में भी होती है. हमें सरकार की तरफ से बहुत सपोर्ट मिला और सरकार के सहयोग की वजह से ही हम अपना उद्योग लगा पाए हैं. इसके लिए हम सरकार के आभारी हैं. सरकार की तरफ से हमें सपोर्ट नहीं मिलता तो हम इतना काम नहीं कर पाते.
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हम तीन महिला साथियों ने मिलकर अपना स्टार्टअप शुरू किया है. हम लोगों को सरकार की तरफ से नर्सरी लगाने में सहायता मिली है. नर्सरी लगाने के लिए सरकार की तरफ से 50 फीसद सब्सिडी मिली है और हमने अपने स्तर से काम करते हुए अपना स्टार्टअप शुरू किया है. बांस की बहुत सारी प्रजातियों पर हम काम कर रहे हैं. हैंडीक्राफ्ट पर भी हम काम कर रहे हैं. बाराबंकी में हमारी यूनिट लगी हुई है. हैंडीक्राफ्ट में हम पेपरवेट सहित अन्य इनोवेटिव चीजें बना रहे हैं. हमारा प्रयास है कि इनोवेटिव तरीके से हम चीजें बना सकें. फर्नीचर में ऑफिस चेयरस, सोफा, टेबल जैसा अन्य सामान भी हम बना रहे हैं. हमारे इस बांस से जुड़े उद्योग को लेकर रिस्पांस मिल रहा है, लेकिन अभी लोगों को उसके बारे में बहुत जानकारी नहीं है. हम लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं. प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण के लिए बहुत खतरनाक है. ऐसे में बांस से बनी हुई चीजों के उपयोग को बढ़ावा देना होगा. इससे पर्यावरण भी बेहतर होगा.

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