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World alzheimer day, क्या होती है भूलने की बीमारी, ऐसे करें बचाव

21 सितंबर को वर्ल्ड अल्जाइमर डे (World Alzheimer Day) मनाया जाता है. हर साल इस दिन को जागरूकता के रूप में मनाया जाता है और अस्पतालों में अल्जाइमर यानी कि 'भूलने की बीमारी' को लेकर जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं.

वर्ल्ड अल्जाइमर डे
वर्ल्ड अल्जाइमर डे
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Published : Sep 21, 2022, 8:36 PM IST

लखनऊ : अगर आप घर लौटते समय रास्ता भूल रहे हैं, अपनों को पहचानने में दिक्कत हो रही है, सामान रखकर खुद भूल जा रहे हैं, बात करने में परेशानी हो रही है, बात का विषय भूल रहे हैं याददाश्त कम हो रही है या व्यवहार में बदलाव हो रहा है तो सावधान हो जाएं. यह भूलने की बीमारी अल्जाइमर भी हो सकती है. यह बातें सिविल अस्पताल की मानसिक रोग विभाग की विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह ने कहीं. 21 सितंबर को वर्ल्ड अल्जाइमर डे (World Alzheimer Day) मनाया जाता है. हर साल इस दिन को जागरूकता के रूप में मनाया जाता है और अस्पतालों में अल्जाइमर यानी कि भूलने की बीमारी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं. उन्होंने बताया कि अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है जो कभी समाप्त नहीं होती है. दवाइयों से कुछ समय तक के लिए तो इसे रोका जा सकता है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ यह आखिरी स्टेज पर पहुंच जाती है. मरीज अपने आपको और परिजनों को भी भूल जाता है.




डॉ. दीप्ति सिंह ने बताया कि अल्जाइमर में मरीज को नहाने, खाने और पैसे गिनने में परेशानी होती है. मरीज कोई भी फैसला नहीं ले पाता है. मरीज सुस्त हो जाता है. टीवी के सामने घंटों बैठे रहता है. यह भी अल्जाइमर के लक्षण हैं. उन्होंने बताया कि अल्जाइमर या डिमेंशिया सबसे ज्यादा बुजुर्गों को प्रभावित करता है. उन्होंने बताया कि अल्जाइमर का समय पर इलाज जरूरी है. इससे मरीज काफी हद तक सामान्य जीवन जी सकता है. डॉ. दीप्ति ने कहा कि ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, आधुनिक जीवनशैली और सिर में कई बार चोट लगने से इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर 60 साल से अधिक आयु के लोगों को अल्जाइमर होता है, लेकिन युवाओं में इस समय भूलने की समस्या काफी ज्यादा है. उन्होंने बताया कि अल्जाइमर के मरीज रोजाना ओपीडी में एक से दो केस आ जाते हैं या फिर कभी कभी दो तीन दिन में सात से आठ केस आ जाते हैं.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला




डॉ दीप्ति ने बताया कि यह एक ऐसी बीमारी है जो दवाई से कंट्रोल तो हो सकती है, लेकिन पूरी तरह से समाप्त नहीं होती है. जब तक आप दवाई खाते रहेंगे तब तक आप इसके आखिरी स्टेज से बचे रहेंगे. अगर आपने दवाई खाना बंद कर देंगे तो आखिरी स्टेज पर आप खुद का नाम और अपने परिजनों को भी भूल जाएंगे. इसलिए अल्जाइमर के मरीज को दवाई का सहारा लेना पड़ता है. एक लंबे समय तक इनकी दवाइयां चलती हैं.

ऐसे रखें मरीज का ख्याल

- मरीज को कभी यह एहसास न होने दें कि वह अल्जाइमर से पीड़ित है और उसकी याददाश्त चली जाती है.

- अगर मरीज आपका नाम भूल रहा है या खुद रखी हुई चीज भूल रहा है तो उस बात से आप बिल्कुल भी चिड़चिड़ाएं ही नहीं.

यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट, जानें आज के मौसम का हाल

- मरीज को बार-बार बताएं कि यह आपका घर है, आपके कितने भाई बहन हैं, आपकी बहन का नाम क्या है, इसी तरह सारी चीजें बताते रहें.

- मरीज का दवाई खाना बिल्कुल भी बंद ना करें और समय-समय पर विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेते रहें.

यह भी पढ़ें : अभी तक नहीं मिल सका कार्यालय व गाड़ी, कैसे काम करेगी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स

लखनऊ : अगर आप घर लौटते समय रास्ता भूल रहे हैं, अपनों को पहचानने में दिक्कत हो रही है, सामान रखकर खुद भूल जा रहे हैं, बात करने में परेशानी हो रही है, बात का विषय भूल रहे हैं याददाश्त कम हो रही है या व्यवहार में बदलाव हो रहा है तो सावधान हो जाएं. यह भूलने की बीमारी अल्जाइमर भी हो सकती है. यह बातें सिविल अस्पताल की मानसिक रोग विभाग की विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह ने कहीं. 21 सितंबर को वर्ल्ड अल्जाइमर डे (World Alzheimer Day) मनाया जाता है. हर साल इस दिन को जागरूकता के रूप में मनाया जाता है और अस्पतालों में अल्जाइमर यानी कि भूलने की बीमारी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं. उन्होंने बताया कि अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है जो कभी समाप्त नहीं होती है. दवाइयों से कुछ समय तक के लिए तो इसे रोका जा सकता है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ यह आखिरी स्टेज पर पहुंच जाती है. मरीज अपने आपको और परिजनों को भी भूल जाता है.




डॉ. दीप्ति सिंह ने बताया कि अल्जाइमर में मरीज को नहाने, खाने और पैसे गिनने में परेशानी होती है. मरीज कोई भी फैसला नहीं ले पाता है. मरीज सुस्त हो जाता है. टीवी के सामने घंटों बैठे रहता है. यह भी अल्जाइमर के लक्षण हैं. उन्होंने बताया कि अल्जाइमर या डिमेंशिया सबसे ज्यादा बुजुर्गों को प्रभावित करता है. उन्होंने बताया कि अल्जाइमर का समय पर इलाज जरूरी है. इससे मरीज काफी हद तक सामान्य जीवन जी सकता है. डॉ. दीप्ति ने कहा कि ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, आधुनिक जीवनशैली और सिर में कई बार चोट लगने से इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर 60 साल से अधिक आयु के लोगों को अल्जाइमर होता है, लेकिन युवाओं में इस समय भूलने की समस्या काफी ज्यादा है. उन्होंने बताया कि अल्जाइमर के मरीज रोजाना ओपीडी में एक से दो केस आ जाते हैं या फिर कभी कभी दो तीन दिन में सात से आठ केस आ जाते हैं.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला




डॉ दीप्ति ने बताया कि यह एक ऐसी बीमारी है जो दवाई से कंट्रोल तो हो सकती है, लेकिन पूरी तरह से समाप्त नहीं होती है. जब तक आप दवाई खाते रहेंगे तब तक आप इसके आखिरी स्टेज से बचे रहेंगे. अगर आपने दवाई खाना बंद कर देंगे तो आखिरी स्टेज पर आप खुद का नाम और अपने परिजनों को भी भूल जाएंगे. इसलिए अल्जाइमर के मरीज को दवाई का सहारा लेना पड़ता है. एक लंबे समय तक इनकी दवाइयां चलती हैं.

ऐसे रखें मरीज का ख्याल

- मरीज को कभी यह एहसास न होने दें कि वह अल्जाइमर से पीड़ित है और उसकी याददाश्त चली जाती है.

- अगर मरीज आपका नाम भूल रहा है या खुद रखी हुई चीज भूल रहा है तो उस बात से आप बिल्कुल भी चिड़चिड़ाएं ही नहीं.

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- मरीज को बार-बार बताएं कि यह आपका घर है, आपके कितने भाई बहन हैं, आपकी बहन का नाम क्या है, इसी तरह सारी चीजें बताते रहें.

- मरीज का दवाई खाना बिल्कुल भी बंद ना करें और समय-समय पर विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेते रहें.

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