ETV Bharat / city

लखनऊ: एनीमिया मुक्त भारत योजना फ्लॉप, 80% से ज्यादा महिलाएं हैं पीड़ित - लखनऊ में गर्भवती महिलाओं में एनिमिया के प्रति जागरुकता का आभाव

गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से मुक्त रखने के लिए सरकार ने एनीमिया मुक्त भारत और कई ऐसे अभियान और योजनाएं चलाई हैं. लेकिन फिर भी 80% से ज्यादा महिलाओं में एनिमिया की कमी पाई जा रही है.

महिलाएं एनिमिया की शिकार
author img

By

Published : May 26, 2019, 8:32 PM IST

लखनऊ: गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से मुक्त रखने के लिए सरकार ने 'एनीमिया मुक्त भारत' और कई ऐसे अभियान और योजनाएं चलाई हैं. इन योजनाओं के तहत फ्री जांच और दवाइयां तक उपलब्ध हैं, लेकिन ये योजनाएं कहीं भी सफल साबित होती नहीं दिखी. आंकड़ों की बात की जाए तो अस्पतालों में आने वाली 50 से 80 फ़ीसदी गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त पाई जाती हैं.

महिलाएं एनिमिया की शिकार

एनीमिया के प्रति जागरुकता अभियान

  • डॉक्टरों से बात की तो पता चला कि महिलाओं में एनिमिया को लेकर जागरुकता की काफी कमी है.
  • महिलाओं में एनिमिया के प्रति जागरुकता फैलाने को लेकर कई जागरुकता अभियान भी चलाए गए हैं.
  • अभियान चलाए जाने के बावजूद महिलाओं में इसके प्रति जागरुकता की काफी कमी है इसलिए कई अस्पतालों में महिलाओं के लिए मुफ्त परामर्श, काउंसलिंग, जांच और दवाइयां तक मुहैया कराई जाती हैं.

डॉक्टरों की मानें तो झलकारी बाई में हर महीने लगभग 60 हजार 500 आयरन की गोलियों की खपत होती है.

लखनऊ: गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से मुक्त रखने के लिए सरकार ने 'एनीमिया मुक्त भारत' और कई ऐसे अभियान और योजनाएं चलाई हैं. इन योजनाओं के तहत फ्री जांच और दवाइयां तक उपलब्ध हैं, लेकिन ये योजनाएं कहीं भी सफल साबित होती नहीं दिखी. आंकड़ों की बात की जाए तो अस्पतालों में आने वाली 50 से 80 फ़ीसदी गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त पाई जाती हैं.

महिलाएं एनिमिया की शिकार

एनीमिया के प्रति जागरुकता अभियान

  • डॉक्टरों से बात की तो पता चला कि महिलाओं में एनिमिया को लेकर जागरुकता की काफी कमी है.
  • महिलाओं में एनिमिया के प्रति जागरुकता फैलाने को लेकर कई जागरुकता अभियान भी चलाए गए हैं.
  • अभियान चलाए जाने के बावजूद महिलाओं में इसके प्रति जागरुकता की काफी कमी है इसलिए कई अस्पतालों में महिलाओं के लिए मुफ्त परामर्श, काउंसलिंग, जांच और दवाइयां तक मुहैया कराई जाती हैं.

डॉक्टरों की मानें तो झलकारी बाई में हर महीने लगभग 60 हजार 500 आयरन की गोलियों की खपत होती है.

Intro:लखनऊ। गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से मुक्त रखने के लिए सरकार ने एनीमिया मुक्त भारत और कई ऐसे अभियान और योजनाएं चलाई हैं जिनके तहत फ्री जांचें और दवाइयां तक उपलब्ध हैं, लेकिन यह योजनाएं कहीं भी सफल साबित होती नहीं दिखती। अस्पतालों में आने वाली गर्भवती महिलाओं के आंकड़ों की बात की जाए तो 50 से 80 फ़ीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित पाई जाती है।


Body:वीओ1

एनीमिया के बारे में वीरांगना झलकारीबाई महिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सुधा वर्मा ने बताया कि अनीमिया के प्रति महिलाओं के लिए कई अभियान शुरू किए गए लेकिन उनमें जागरूकता की काफी कमी है। अस्पतालों में मुफ्त परामर्श, काउंसलिंग, जांचें और दवाइयां तक मुहैया करवाई जाती हैं। गर्भवती महिलाओं को एक साथ 6 महीने की आयरन की टेबलेट दी जाती है ताकि वह उसे खा सकें और आयरन की कमी उनके शरीर में न हो लेकिन इसके बावजूद तमाम भ्रांतियों की वजह से वह दवाइयां नहीं खाती और परिणाम स्वरूप गर्भावस्था में गंभीर रूप से एनीमिया तक पीड़ित हो जाती हैं।


केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग क्वीन मेरी अस्पताल की डॉक्टर नम्रता कुमार ने बताया कि हमारी अस्पताल में आसपास के जिलों से भी महिलाएं रेफर होकर आती हैं जिनमें 7 से भी कम हीमोग्लोबिन पाया जाता है। यह हमारे लिए बेहद कठिन परिस्थिति होती है। आयरन की कमी से न केवल उनके प्रसव में परेशानी होती है बल्कि इससे गर्भ में पल रहे शिशु को भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। डॉ कुमार ने बताया कि गंभीर एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को यदि समय से इलाज और खून नाल मिले तो उनकी मृत्यु होने की भी आशंका बनी रहती है।

यदि आयरन की दवाइयों की बात की जाए तो झलकारी बाई में प्रतिमाह 60500 आयरन की गोलियों की खपत होती है। वही झलकारी बाई अस्पताल में हर महीने लगभग एक से डेढ़ लाख आयरन की गोलियां बांटी जाती हैं। क्वीन मैरी प्रसूति रोग विभाग मैं हर हफ्ते तकरीबन 70 महिलाओं को आयरन के इंजेक्शन लगते हैं। वहीं प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की बात की जाए तो लखनऊ के सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि पिछले वर्ष 2018 में कुल 1 करोड़ 1 लाख आयरन की टेबलेट बांटी गई थी। हालांकि इसके बावजूद महिलाओं में जागरूकता का अभाव है और इस वजह से काफी बड़ी संख्या में महिलाएं एनीमिया रोग से ग्रसित होती हैं।


Conclusion:जागरूकता का अभाव न केवल गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को मौत के मुंह में ढकेल रहा है बल्कि इससे महिलाओं की सेहत से भी खिलवाड़ हो रहा है। इसके बावजूद सरकार की तरफ से आने वाली तमाम योजनाएं और अभियान लोगों में जागरूकता पैदा नहीं कर पा रहे तो यह सोचने वाली बात है।

बाइट- डॉ सुधा, डॉ नम्रता, डॉ नरेंद्र अग्रवाल

रामांशी मिश्रा
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.