लखनऊ : लखनऊ नगर निगम और उसके अधिकारियों की लापरवाही के कारण उत्तर प्रदेश की राजधानी बारिश में डूबने को तैयार हैं. अगर मौजूदा हालात नहीं सुधरे तो शहरवासियों को बारिश के साथ ही बड़े जलभराव का सामना करना पड़ेगा.
लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों के स्तर पर शहर के छोटे और मझोले नालों की सफाई में जमकर लापरवाही बरती जा रही है. अभी तक सिर्फ 14 फीसद छोटे और मझोले नालों की सफाई हो पाई है. मौलवीगंज और पुराने लखनऊ के कई इलाकों में नालों से सिल्ट निकालकर उन्हीं के पास जमा कर दी गई है जोकि वापस लौटकर नालों में जा रहा है. जानकारों की मानें तो लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों और निजी ठेकेदारों की इस कारस्तानी के चलते शहर की आम जनता को आने वाली बारिश में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
लखनऊ शहर में करीब 536 मझोले नाले हैं. इन के माध्यम से मोहल्लों और गलियों से होता हुआ गंदा पानी शहर के बड़े नालों में मिलता है. शासन की तरफ से मानसून आने से पहले सभी नालों की सफाई करने के निर्देश दिए गए हैं. लेकिन नगर निगम के आंकड़ों पर भरोसा करें तो अभी तक महज 72 मझोले नालों की सफाई हो पाई है. पूर्व पार्षद प्रदीप कनौजिया ने बताया कि पुराने लखनऊ की हालत बेहद खराब है. मौलवीगंज, चिकमंडी समेत पुराने लखनऊ के दूसरे इलाके नालियों की सफाई ना होने के कारण बीमारी की चपेट में हैं.
खदरा का इलाका हर साल बारिश में महामारी की चपेट में आ जाता है. यह वह इलाके हैं जहां पर नालियों की सफाई के लिए नगर निगम की तरफ से टेंडर तो जारी होते हैं लेकिन सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर दी जाती है. मौलवीगंज के आलोक सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले ही इस इलाके में नालों की सफाई की गई. सारी सिल्ट नाली के किनारे ही छोड़ दी गई. इसका नतीजा है कि दो-तीन दिन में सारी गंदगी वापस नालों में पहुंच गई है.
यह हैं नगर निगम के निर्देश : लखनऊ के एक से 3 फुट तक चौड़े सभी नालों की सफाई नगर निगम के इंजीनियरिंग विभाग के जिम्मे हैं. इनकी सफाई के लिए बीती 26 अप्रैल को टेंडर जारी किया गया था. नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने 25 मई तक ऐसे सभी नालों की सफाई पूरी करने के निर्देश दिए थे.
हैदर कैनाल अभी तक गंदा : हैदर कैनाल नाला करीब 14 किलोमीटर लंबा है. हैदर कैनाल मोहन रोड से राजाजीपुरम, मवैया, ऐशबाग, चारबाग, सदर, राजभवन कालिदास मार्ग होते हुए गोमती नदी तक पहुंचता है. इसमें शहर के 12 से 14 छोटे नालों का गंदा पानी गिरता है. एक आंकड़े के मुताबिक, हैदर कैनाल से रोजाना 160 एमएलडी पानी डिस्चार्ज होता है. इसमें 90 एमएलडी पानी भरवारा एसटीपी में जाता है. बाकी 70 एमएलडी पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे गोमती नदी में गिर रहा है. सफाई की जिम्मेदारी नगर निगम के आरआर डिपार्टमेंट के पास है. बावजूद अभी तक इसकी सफाई का काम पूरा नहीं हो पाया है. अधिकारियों का दावा है कि 3 किलोमीटर तक की सफाई पूरी हो गई है. बाकी का काम भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा.
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महापौर का पक्ष : महापौर संयुक्ता भाटिया ने बताया कि बरसात से पहले वह शहर के एक-एक नाले को देख रही हैं. जहां भी लापरवाही दिख रही है, वहां ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही से लेकर व्यवस्था को दुरुस्त कराया जा रहा है. लोगों ने बताया कि नाले तो साफ हो गए लेकिन ऊपर से ही सफाई होती है. नीचे छोड़ दी जाती है. इसकी भी ठीक से जांच कराई जा रही है. ठेकेदारों पर कार्रवाई भी हो रही है. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग, आरआर विभाग और इंजीनियरिंग विभाग तीनों के बीच में नाले की सफाई को लेकर पहले ही सब कुछ तय कर दिया गया है. पूरा प्रयास है कि निर्धारित समय सीमा पर काम पूरा कर लिया जाए. इसमें भी अगर कोई विभाग लापरवाही करता है तो उसकी जिम्मेदारी तय की जाएगी.
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