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महिला की मौत के बाद हुआ खुलासा, फर्जी डिग्री लेकर कर रहा था मरीजों का इलाज, भाई ने लगाये गंभीर आरोप

प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत इलाके में पांच साल तक एक डॉक्टर पर फर्जी डिग्री लेकर हजारों महिलाओं का इलाज करने का आरोप लगा है. इस फर्जी डॉक्टर के हाथों अपनी बहन को खोने वाले एक भाई ने जब संघर्ष किया तो एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ.

विनोद, मृतक महिला मरीज का भाई
विनोद, मृतक महिला मरीज का भाई
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Published : Jul 14, 2022, 8:37 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का सच अब खुलकर सामने आने लगा है. प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत इलाके में पांच साल तक एक डॉक्टर पर फर्जी डिग्री लेकर हजारों महिलाओं का इलाज करने का आरोप लगा है. आरोप है कि किसी और की डिग्री पर यह डॉक्टर मरीजों की जान से खेलता रहा. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सोते रहे. इस फर्जी डॉक्टर के हाथों अपनी बहन को खोने वाले एक भाई ने जब संघर्ष किया तो एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ.

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बड़ौत इलाका है. मृतक महिला के भाई विनाेद ने बताया कि यहां के सरस्वती नर्सिंग होम में डॉक्टर हरेंद्र पाल सिंह काफी समय से लोगों का इलाज कर रहा था. डॉ. हरेंद्र पाल सिंह ने एमबीबीएस एमडी होने का दावा किया. मेडिकल काउंसिल उत्तर प्रदेश में पंजीकरण संख्या 75682 का प्रमाण पत्र दिखाया. यह डॉक्टर बागपत के दो अलग-अलग अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं और दो अलग-अलग अल्ट्रासाउंड सेंटर पर अपनी सेवाएं दे रहा था. एक शिकायत पर की गई जांच में इस तथाकथित डॉक्टर की सारी डिग्रियां फर्जी पाई गईं हैं. उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल की तरफ से इसकी पुष्टि के बाद हड़कंप मच गया है. इस फर्जी डॉक्टर के हाथों हुई एक मरीज की मौत के बाद परिजनों की शिकायत पर शुरू हुई जांच में यह सच सामने आया है.

जानकारी देते मृतक महिला का भाई



ऐसे खुला मामला : 2021 में इस फर्जी डॉक्टर के हाथों इलाज के दौरान एक महिला की मौत हो गई थी. मौत को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए परिजनों की तरफ से इस पूरे मामले की शिकायत कुछ अधिकारियों से की गई थी. परिजनों की तरफ से आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की जा रही थी. इसकी पूरी लड़ाई मृतक महिला के भाई विनोद ने लड़ी. मृतक महिला के भाई विनाेद ने बताया कि जिला स्तर व मंडलायुक्त की जांच समिति की ओर से इलाज के दौरान डॉक्टर के स्तर पर लापरवाही की पुष्टि हुई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस दौरान परिजनों के हाथ इस डॉक्टर की डिग्रियां लग गईं. शक होने पर परिजनों ने अपने स्तर पर इसकी जांच कराई तो यह डिग्री फर्जी होने की बात सामने आई. जिसके बाद उन्होंने इसकी शिकायत अधिकारियों से की. मृतक महिला के भाई विनोद ने जानकारी देते हुये कई अन्य लोगों पर भी गंभीर आरोप लगाये हैं.


सीएमओ ने काउंसिल से मांगी रिपोर्ट : बागपत के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार ने बीती सात जुलाई को रजिस्टर ऑफिस ऑफ द मेडिकल काउंसिल उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर डॉक्टर हरेंद्र पाल सिंह के पंजीकरण संख्या का अभिलेखों से सत्यापन कर रिपोर्ट मांगी. 11 जुलाई को रजिस्ट्रार उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल की तरफ से भेजे गए एक पत्र में इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. काउंसिल की जांच में सामने आया है कि जिस पंजीकरण संख्या का दावा डॉक्टर हरेंद्र पाल सिंह ने किया है उस पर किसी अन्य चिकित्सक का पंजीकरण है.

यह कार्रवाई हुई शुरू : इस पूरे मामले में खुलासे के बाद हड़कंप मच गया. बड़ौत के डिप्टी सीएमओ एवं नोडल अधिकारी डॉ. गजेंद्र सिंह ने कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है. शिकायत में कहा गया है कि छपरौली रोड स्थित सरस्वती नर्सिंग होम में चिकित्सक हरेंद्र पाल सिंह काफी समय से मरीजों का उपचार कर रहा था. उसके पास जो डिग्री थी, वह फर्जी पाई गई है. वहीं सीएमओ डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि यह फर्जी डॉक्टर नर्सिंग होम व शामली जनपद में अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन कर रहा था.

2017 से चला रहा था रैकेट : बड़ौत का यह फर्जी डॉ. हरेंद्र पाल सिंह बीते 2017 से रैकेट चला रहा था. शहर के दो अस्पतालों में मरीज देखता था. इसके अलावा दो अल्ट्रासाउंड सेंटर पर भी इसका रैकेट चल रहा था. बीते करीब पांच सालों में इसने सैकड़ों जिंदगियों से खिलवाड़ किया. जानकारों की मानें तो यह पूरा रैकेट बिना सीएमओ कार्यालय के सांठगांठ के चल ही नहीं सकता. इस पूरे रैकेट में चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के कई आला अधिकारी भी शामिल हैं.

ये भी पढ़ें : अस्पताल का सर्वर 'बीमार', ऑनलाइन पंजीकरण के बावजूद लाइन में लगकर पर्चा बनवा रहे मरीज व तीमारदार

पूरी यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था कटघरे में : पश्चिम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक छोटे से कस्बे में सामने आई इस घटना ने प्रदेश की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए. यह घटना सिर्फ एक नजीर है. जानकारों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग की सांठगांठ के चलते फर्जीवाड़े का रैकेट ज्यादातर इलाकों में फैल रहा है. दूरदराज के इलाकों से शिकायतें भी जल्दी लखनऊ तक नहीं पहुंच पातीं. जिसका फायदा स्वास्थ्य विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी, कर्मचारी और इस तरह का फर्जीवाड़ा करने वाले जालसाज उठा रहे हैं.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का सच अब खुलकर सामने आने लगा है. प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत इलाके में पांच साल तक एक डॉक्टर पर फर्जी डिग्री लेकर हजारों महिलाओं का इलाज करने का आरोप लगा है. आरोप है कि किसी और की डिग्री पर यह डॉक्टर मरीजों की जान से खेलता रहा. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सोते रहे. इस फर्जी डॉक्टर के हाथों अपनी बहन को खोने वाले एक भाई ने जब संघर्ष किया तो एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ.

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बड़ौत इलाका है. मृतक महिला के भाई विनाेद ने बताया कि यहां के सरस्वती नर्सिंग होम में डॉक्टर हरेंद्र पाल सिंह काफी समय से लोगों का इलाज कर रहा था. डॉ. हरेंद्र पाल सिंह ने एमबीबीएस एमडी होने का दावा किया. मेडिकल काउंसिल उत्तर प्रदेश में पंजीकरण संख्या 75682 का प्रमाण पत्र दिखाया. यह डॉक्टर बागपत के दो अलग-अलग अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं और दो अलग-अलग अल्ट्रासाउंड सेंटर पर अपनी सेवाएं दे रहा था. एक शिकायत पर की गई जांच में इस तथाकथित डॉक्टर की सारी डिग्रियां फर्जी पाई गईं हैं. उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल की तरफ से इसकी पुष्टि के बाद हड़कंप मच गया है. इस फर्जी डॉक्टर के हाथों हुई एक मरीज की मौत के बाद परिजनों की शिकायत पर शुरू हुई जांच में यह सच सामने आया है.

जानकारी देते मृतक महिला का भाई



ऐसे खुला मामला : 2021 में इस फर्जी डॉक्टर के हाथों इलाज के दौरान एक महिला की मौत हो गई थी. मौत को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए परिजनों की तरफ से इस पूरे मामले की शिकायत कुछ अधिकारियों से की गई थी. परिजनों की तरफ से आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की जा रही थी. इसकी पूरी लड़ाई मृतक महिला के भाई विनोद ने लड़ी. मृतक महिला के भाई विनाेद ने बताया कि जिला स्तर व मंडलायुक्त की जांच समिति की ओर से इलाज के दौरान डॉक्टर के स्तर पर लापरवाही की पुष्टि हुई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस दौरान परिजनों के हाथ इस डॉक्टर की डिग्रियां लग गईं. शक होने पर परिजनों ने अपने स्तर पर इसकी जांच कराई तो यह डिग्री फर्जी होने की बात सामने आई. जिसके बाद उन्होंने इसकी शिकायत अधिकारियों से की. मृतक महिला के भाई विनोद ने जानकारी देते हुये कई अन्य लोगों पर भी गंभीर आरोप लगाये हैं.


सीएमओ ने काउंसिल से मांगी रिपोर्ट : बागपत के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार ने बीती सात जुलाई को रजिस्टर ऑफिस ऑफ द मेडिकल काउंसिल उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर डॉक्टर हरेंद्र पाल सिंह के पंजीकरण संख्या का अभिलेखों से सत्यापन कर रिपोर्ट मांगी. 11 जुलाई को रजिस्ट्रार उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल की तरफ से भेजे गए एक पत्र में इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. काउंसिल की जांच में सामने आया है कि जिस पंजीकरण संख्या का दावा डॉक्टर हरेंद्र पाल सिंह ने किया है उस पर किसी अन्य चिकित्सक का पंजीकरण है.

यह कार्रवाई हुई शुरू : इस पूरे मामले में खुलासे के बाद हड़कंप मच गया. बड़ौत के डिप्टी सीएमओ एवं नोडल अधिकारी डॉ. गजेंद्र सिंह ने कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है. शिकायत में कहा गया है कि छपरौली रोड स्थित सरस्वती नर्सिंग होम में चिकित्सक हरेंद्र पाल सिंह काफी समय से मरीजों का उपचार कर रहा था. उसके पास जो डिग्री थी, वह फर्जी पाई गई है. वहीं सीएमओ डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि यह फर्जी डॉक्टर नर्सिंग होम व शामली जनपद में अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन कर रहा था.

2017 से चला रहा था रैकेट : बड़ौत का यह फर्जी डॉ. हरेंद्र पाल सिंह बीते 2017 से रैकेट चला रहा था. शहर के दो अस्पतालों में मरीज देखता था. इसके अलावा दो अल्ट्रासाउंड सेंटर पर भी इसका रैकेट चल रहा था. बीते करीब पांच सालों में इसने सैकड़ों जिंदगियों से खिलवाड़ किया. जानकारों की मानें तो यह पूरा रैकेट बिना सीएमओ कार्यालय के सांठगांठ के चल ही नहीं सकता. इस पूरे रैकेट में चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के कई आला अधिकारी भी शामिल हैं.

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पूरी यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था कटघरे में : पश्चिम उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक छोटे से कस्बे में सामने आई इस घटना ने प्रदेश की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए. यह घटना सिर्फ एक नजीर है. जानकारों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग की सांठगांठ के चलते फर्जीवाड़े का रैकेट ज्यादातर इलाकों में फैल रहा है. दूरदराज के इलाकों से शिकायतें भी जल्दी लखनऊ तक नहीं पहुंच पातीं. जिसका फायदा स्वास्थ्य विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी, कर्मचारी और इस तरह का फर्जीवाड़ा करने वाले जालसाज उठा रहे हैं.

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