हरिद्वार: विश्व हिंदू परिषद की केंद्रिय मार्गदर्शक मंडल की बैठक हरिद्वार में होने जा रही है. उसी बैठक के लिए विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय हरिद्वार पहुंचे हैं. हरिद्वार पहुंचे चंपत राय ने ईटीवी भारत से कई मुद्दों पर बातचीत की.
चंपत राय ने बताया कि विश्व हिंदू परिषद के संविधान में केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल का प्रावधान है. उसी के तहत 11 और 12 जून को निष्काम सेवा ट्रस्ट आश्रम में विश्व हिंदू परिषद की बैठक होने जा रही हैं. विश्व हिंदू परिषद की बैठक हर साल अलग-अलग स्थानों पर आयोजित की जाती है. एक समय था, जब राम मंदिर आंदोलन चल रहा था, उस समय विश्व हिंदू परिषद एक साल में तीन बैठकें करता था, लेकिन अब केवल साल में एक बैठक ही आयोजित की जाती है, जो इस बार हरिद्वार में होनी है.
चंपत राय ने बताया कि बैठक में देशभर के साधु-संत आते हैं और वो ही निर्णय करते हैं कि किसी विषय पर ये बैठक की जाएगी. बैठक में वैसे समाज से जुड़े अहम मुद्दे ही उठाए जाते हैं. देश के सामने इस समय बहुत चुनौतियां है, लेकिन अभी साधु किसे बड़ी समस्या मानते हैं और जिस पर सभी एकमत हो उस पर बैठक में विस्तार पूर्वक चर्चा की जाती है. ताकि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर उन विषयों पर वैसे ही सोचें और बोलें.
चंपत राय के मुताबिक, इस समय देश में छुआछूत एक बड़ी समस्या है, जिससे देश से बाहर निकालना बहुत जरूरी है. इस समय में लोगों को धर्मांतरण किया जा रहा है, जिस पर रोक लगाना बहुत बड़ी चुनौती है. भारत का बंटवारा धर्मांतरण के कारण ही हुआ था. भविष्य में ऐसा न हो इसीलिए समाज की रक्षा करना विश्व हिंदू परिषद का काम है.
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चंपत राय ने कहा कि आज हमें पर्यावरण संरक्षण पर भी काम करना होगा. इससे समाज सीधा जुड़ा हुआ है. पर्यावरण संरक्षण के लिए हर नागरिक का सहयोग चाहिए. इस काम में साधु-संत क्या कर सकते हैं, इस पर चर्चा की जाएगी.
चंपत राय ने वाराणसी ज्ञानवापी विवाद पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि वाराणसी में उनके लिए कोई समस्या नहीं है. आज देश जग रहा है और जागा हुआ दिमाग चारों तरफ खुल जाता है, फिर वो देखता है, सोचता है और सुनता है. वाराणसी उसी का परिणाम है. चंपत राय के मुताबिक, वाराणसी ज्ञानवापी विवाद उनके लिए आनंद का विषय है.
मोहन भागवत और औवेसी पर बयानों पर प्रतिक्रिया: वाराणसी ज्ञानवापी विवाद पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी का भी बयान आया था. वहीं, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी इस मसले पर कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग नहीं तलाशना चाहिए. इस चंपत राय ने कहा कि मोहन भागवत ने कोई बयानबाजी नहीं की थी, बल्कि उन्होंने अपना विचार रखा था. उस विचार को मानने वाले लाखों लोग इस देश के अंदर मौजूद हैं. मोहन भागवत जिस संस्था के प्रमुख है, वो पिछले 95 सालों से इस देश में काम कर रही है. अंग्रेजों और कांग्रेस ने आरएसएस को नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन आरएसएस खत्म नहीं हुई. इसीलिए आरएसएस के मुखिया का विचार देश का मार्ग दर्शन है, उस पर सहमति और असहमति दोनों हो सकती है.
चंपत राय ने कहा कि जो मोहन भागवत का विचार है, वो उनका विचार है. हर आदमी उनके विचार की व्याख्या अपना आप कर रहा है. चंपत राय ने साफ किया हो कि वो मोहन भागवत के एक-एक शब्द से सहमत है. औवेसी को लेकर चंपत राय ने सिर्फ इतना ही कहा कि उनके बयानों से उनका कोई मतलब नहीं है. औवेसी अपना काम करते रहे.
विश्व हिंदू परिषद का राम मंदिर में योगदान : चंपत राय से जब कहा कि विश्व हिंदू परिषद का राम मंदिर निर्माण में बड़ा रोल है, तो उस पर चंपत राय भड़क गए. उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण में केवल विश्व हिंदू परिषद का ही योगदान नहीं है, बल्कि 15 हजार से ज्यादा साधु-संतों ने राम मंदिर आंदोलन में योगदान दिया है. ये सभी के सामूहिक काम का फल है.
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