लखनऊ: नई उम्र की मोहब्बत में था वो, जिंदगी में कुछ कर गुजरने का जज्बा था उसमें. कहना गलत नहीं होगा कि वो अपनी ज़िंदगी के बेहतरीन दौर में था. पुलिस में भर्ती होने के लिए मीलों दौड़ लगाने और दिन-रात कसरत करने वाले भोला को पता नहीं था कि उसकी ये मेहनत और काबलियत एक दिन बहुत काम आने वाली है, लेकिन पुलिस में नही बल्कि जरायम की दुनिया में.
प्रेमिका को भगा कर एक खुशहाल ज़िन्दगी जीने का सपना संजोए भोला अपराधियों को भगा ले जाने वाला सबसे बड़ा अपराधी बन जाएगा, ये किसी ने नहीं सोचा था. हालात ने एक भोले भाले युवक को जुर्म की अंधी गलियों में धकेल दिया और वो एक नहीं बल्कि चार राज्यों में दहशत का दूसरा नाम बन गया.
अलीगढ़ जिले के छोटे से गांव धंठौली में पैदा हुए पंकज को बचपन से ही खाकी वर्दी से प्यार था. वो पुलिस में भर्ती होकर अपराधियों का सफाया करना चाहता था. जूनून ऐसा कि तड़के उठकर मीलों दौड़ लगाना और घंटों कसरत करना उसकी आदत में शुमार हो चुका था. अपने सपने को साकार करने के लिए दिन रात पसीना बहाने वाले भोला की ज़िन्दगी में एक ऐसा मोड़ आया, जिसने आगे का रास्ता ही बदल दिया.
गांव की लड़की पर आया दिल
फौलादी जिस्म के मालिक इस यवक का दिल गांव की ही आरती पर ऐसा आया कि दिन रात का चैन उड़ गया. अब कमबख़्त मोहब्बत चीज़ ही ऐसी है कि इंसान होशो हवास खो बैठता है. भोला उर्फ पंकज के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. वो तो आरती को अपनी दुनिया मान बैठा था. हर रोज घर से निकलता आरती से अपनी मोहब्बत का इजहार करने लेकिन हिम्मत ही नहीं जुटा पाया.
कहानी में ट्विस्ट तब आया जब पंकज के सामने आई झकझोरने वाली सच्चाई. आरती के सामने कैसे अपनी मोहब्बत का इज़हार करे इसी उधेड़बुन में लगे पंकज को अचानक पता चला कि जिस आरती से वो बेपनाह मोहब्बत करता है, वो किसी और को दिल दे बैठी है. पंकज के लिए ये किसी वज्रपात से कम नहीं था. जिसे लेकर उसने न जाने कितने सपने बुन लिए थे, वो किसी और से प्यार करती है. इस सच्चाई ने उसे बुरी तरह तोड़ दिया, वो अपने रास्ते से भटक गया. उसका वर्दी पहनने का ख्वाब टूट गया. पंकज को न मोहब्बत मिली और न ही पुलिस की नौकरी.
जरायम की दुनिया में एंट्री
मोहब्बत तो नहीं मिली लेकिन इस झटके ने उसके दिल में पैसा कमाने की अलख जगा दी. सीधे सादे पंकज के सिर पर अब बड़ा आदमी बनने का जुनून सवार हो गया था. पैसों की चमक से आरती को नीचा दिखाने की हसरत जाग चुकी थी. लेकिन सीधे रास्ते से पैसा कमाने में उम्र गुज़र जाती. उसकी इस कमज़ोरी का फायदा गांव के ही बदमाश बाबू ने उठाया.
पंकज उर्फ भोला जाट की पहली वारदात
इस शातिर बदमाश ने जुर्म की दुनिया में पंकज की एंट्री करा दी. पंकज ने बाबू के कहने पर पहली बार मथुरा के व्यापारी को लूट कर सनसनी फैला दी. पंकज अब भोला जाट बन चुका था. पंकज उर्फ भोला जाट ने अब अपराध की दुनिया मे दौड़ लगानी शुरू कर दी थी. इसी दौरान उसकी मुलाकात अलीगढ़ के कुख्यात अपराधी सोनू गौतम से हुई. सोनू गौतम को भी भोला जाट जैसे तेज़तर्रार युवक की ज़रूरत थी. प्यार और नौकरी का रास्ता बंद होने के बाद भोला अब जुर्म की दुनिया में नाम कमाना चाहता था.
अपराध की दुनिया का बड़ा नाम बना
सोनू गौतम का दाहिना हाथ बन कर भोला ने एक के बाद एक अपराधों की झड़ी लगा दी. लूट, हत्या, अपहरण जैसे संगीन अपराध उसे मज़ा देने लगे थे. इसी बीच भोला जाट को मध्य प्रदेश में ग्वालियर के प्रॉपर्टी डीलर बिल्लू भदौरिया को मारने की सुपारी मिली. भोला ने दिनदहाड़े प्रॉपर्टी डीलर के घर में घुस कर उसकी हत्या कर दी. हत्याकांड के बाद भोला जाट अपराध की दुनिया का बड़ा नाम बन गया.
दूसरे अपराधियों का मिला साथ
अब उसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हर जिले की पुलिस ढूंढ रही थी. साल 2009 में पहली बार भोला पर पुलिस ने भोला पर 5 हजार इनाम का ऐलान किया जब उसने दिन दहाड़े क्वार्सी के जनकपुरी में कोचिंग संचालक की हत्या कर दी. 2011 में भोला का मौत का करीब से सामना हुआ. पिसावा में लूट को अंजाम देकर भाग रहे भोला पर गांव के ही लोगों ने फायरिंग कर दी, जिसमें उसके तीन साथी मारे गए लेकिन वो बाल बाल बच गया. जुर्म की दुनिया में दिन-रात तरक्की कर रहे भोला को खूंखार अपराधी हरेंद्र राणा, सोनू गौतम और एनएसजी से भागे अरुण फौजी जैसे कुख्यात अपराधियों का साथ मिलता गया.
दूसरे राज्यों की पुलिस को थी तलाश
भोला जाट अब हैवानियत की ऐसी कहानी लिखने वाला था, जिसने पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत आस-पास के राज्यों की पुलिस को हिलाकर रख दिया था. 1 अक्टूबर 2012 को आगरा रिजर्व पुलिस लाइन के सिपाही फैज़ मोहम्मद साथी सिपाहियों के साथ आगरा के अपराधी मोहित भारद्वाज को दिल्ली में पेशी से लेकर लौट रहे थे. तभी मथुरा के फराह के पास श्रीधाम एक्सप्रेस पर पहले से ही सवार भोला जाट ने अपने साथियों के साथ ताबड़तोड़ फायरिंग कर मोहित भारद्वाज और सिपाही फैज मोहम्मद की हत्या कर दी थी.
कमज़ोर होने लगा था गैंग
इस वारदात ने भोला को खूंखार अपराधी हरेंद्र राणा, सोनू गौतम और अरुण फौजी की कतार में खड़ा कर दिया. इसी बीच 22 फरवरी 2013 को एसटीएफ ने हरेंद्र राणा को उसके साथी विनेश के साथ गिरफ्तार कर लिया. हरेंद्र राणा की गिरफ्तारी के साथ ही फौजी गैंग कमज़ोर पड़ने लगा. उधर भोला जाट पुलिस की गिरफ्त से हरेंद्र राणा को छुड़ाने की प्लानिंग बनाने लगा. 5 दिसम्बर 2013 को आंध्रा एक्सप्रेस से हरेंद्र राणा को आगरा पुलिस लाइन के सिपाही दिल्ली में पेशी करा कर आगरा लौट रहे थे, तभी फराह के निकट भोला जाट ने अपने छह साथियों के साथ पुलिस पर फायरिंग कर हरेंद्र राणा और विनेश जाट को छुड़ा लिया.
गिरफ्तार अपराधियों को छुड़ाने में था माहिर
ये ठीक वैसा ही था जैसे एक साल पहले भोला जाट ने मोहित भारद्वाज को मारा था. भोला जाट ने इस दौरान सिपाही खलीक अहमद की हत्या कर दी थी. यही नहीं भोला ने पुलिस की रायफल भी लूट ली थी. भोला जाट हत्या, लूट और अपहरण करने के अलावा अपराधियों को पुलिस की गिरफ्तार से भागने में भी माहिर हो चुका था. पुलिस की गिरफ्त में मोहित भारद्वाज की हत्या और हरेंद्र राणा को छुड़वाने के बाद उसने एक और प्लानिंग की. इस बार उसकी प्लानिंग खूंखार अरुण फौजी को छुड़वाने की थी.
बचपन के दोस्त की हत्या
27 जनवरी 2013 को मथुरा से रोडवेज बस से पुलिस के जवान अरुण फौजी को राजस्थान के बिज कोर्ट लेकर जा रहे थे, तभी फर्रुखाबाद के असगरपुर के पास भोला जाट ने बस में घुस कर अंधाधुंध फायरिंग कर अरुण फौजी को पुलिस की गिरफ्त से छुड़ा कर भाग निकला. अपराध की दुनिया में भोला की तरक्की अब उसके पुराने साथियों को ही खटकने लगी थी. हरेंद्र राणा और सोनू गौतम को अब वो फूटी आंख नहीं भा रहा था. उन्होंने भोला को कमज़ोर करने और उसे काबू में करने के लिए उसके बचपन के दोस्त और हर अपराध में उसका साथ देने वाले नगनु की हत्या कर दी.
भोला के लिए ये बड़ा झटका था. भोला इस साज़िश को रचने वालों का पता लगते ही इंतकाम लेने की प्लानिंग करने लगा लेकिन पंकज उर्फ भोला जाट दोस्त की हत्या का बदला लेता. इसके पहले ही वो पुलिस के हत्थे चढ़ गया. 11 अप्रैल 2015 को उसे मैनपुरी जेल भेज दिया गया. यहां भी वो चैन से नहीं बैठा, बल्कि मैनपुरी जेल में भोला ने ऊना गैंग चलाना शुरू कर दिया. इसके बाद उसे फिरोजाबाद जेल भेज दिया गया. जेल में रहते हुए भी भोला के दिल में दोस्त की हत्या का इंतकाम लेने की आग भड़कती रही. ये हरेंद्र और सोनू की मौत के बाद ही शांत होने वाली थी. जेल की दीवारें भोला को ज्यादा दिन तक रोक नही सकीं.
पुलिस की गिरफ्त से साथियों ने छुड़ाया
27 मई 2015 जब पुलिस भोला को मथुरा में पेशी के बाद वापस फिरोजाबाद ले जा रही थी, तभी उसके 12 साथियों ने बस पर हमला कर भोला को छुड़ा लिया. इस हमले में 4 पुलिस कर्मी घायल हुए थे. भोला का फरार होना यूपी पुलिस पर बड़ा सवाल था. घटना के फौरन बाद यूपी के डीजीपी एके जैन ने भोला जाट के ऊपर 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया. यूपी पुलिस के लिए चैलेंज बन चुके भोला जाट का खात्मा उसका मकसद बन चुका था.
मुठभेड़ में हुई मौत
तीन महीने बाद ही भोला जाट का अध्याय यूपी पुलिस ने हमेशा के लिए बंद कर दिया. 9 अगस्त 2015 को बन्नादेवी इलाके में भोला अपने एक साथी के साथ मोटरसाइकिल से जा रहा था, तभी अलीगढ़ पुलिस ने उसे घेर लिया. पुलिस और भोला के बीच फायरिंग हुई और इस एन्काउन्टर में भोला जाट मारा गया. भोला जाट की अपने दोस्त की मौत का बदला लेने की हसरत पूरी नहीं हो सकी. भोला की मौत के बाद न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि राजस्थान, हरियाणा और मध्यप्रदेश की पुलिस ने भी राहत की सांस ली.
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