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टेंडर घोटाले में यादव सिंह की मुश्किलें बढ़ीं, सरकार ने दी केस चलाने को मंजूरी

नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन चीफ मेंटेनेंस इंजीनियर यादव सिंह पर टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी करने का आरोप है. राज्य सरकार ने एक करोड़ 76 लाख रुपए के गबन के इस मामले में उनके खिलाफ केस चलाने को मंजूरी दे दी.

yadav singh
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Published : Jul 28, 2021, 9:57 AM IST

लखनऊ: औद्योगिक विकास विभाग की तरफ से यादव सिंह के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दे दी गई है. नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन चीफ मेंटेनेंस इंजीनियर यादव सिंह पर टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी करने का आरोप है. प्रदेश सरकार ने इस एक करोड़ 76 लाख रुपए के गबन के मामले में केस चलाने को मंजूरी दे दी. इसके बाद अब यादव सिंह पर शिकंजा और कसा जा सकेगा. वहीं तत्कालीन परियोजना अभियंता वेदपाल व सहायक परियोजना अभियंता एसके अग्रवाल पर भी केस चलाया जाएगा.


राज्य सरकार के निर्देश के बाद औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार ने 1.76 करोड़ रुपए की टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी करने के मामले में यादव सिंह पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी. उन्होंने बताया कि निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की अनुमति दी गई. जांच में यह बात सामने आई थी कि इन मामलों में यादव सिंह ने पद का दुरुपयोग करते हुए वित्तीय अनियमितता की थी. इससे नोएडा प्राधिकरण को 1.76 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.

औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2007 से 2011 के बीच नोएडा प्राधिकरण में गुल इंजीनियर कंपनी को करीब सात काम दिए गए थे. यह कंपनी टेंडर पाने की शर्तें पूरी नहीं कर रही थी. इस कंपनी को टेंडर देने के लिए प्रक्रिया में धांधली की गयी. यादव सिंह की वजह से विभाग को बड़ा नुकसान हुआ था. इस मामले में सीबीआई ने जांच की तो आरोप सही पाए गए और यादव सिंह को जेल भेज दिया गया था.

ये भी पढ़ें- बाराबंकी में भीषण सड़क हादसा, बस और ट्रक की टक्कर में 18 की मौत

सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल करने में देरी की तो इसका फायदा यादव सिंह को हुआ. उसे कोर्ट से एक साल पहले जमानत भी मिल गई थी. अब औद्योगिक विकास विभाग ने सरकार के निर्देश के बाद मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी दे दी. औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जो वित्तीय हेराफेरी की गई थी और विभाग को नुकसान हुआ, वह दंडनीय अपराध था.

लखनऊ: औद्योगिक विकास विभाग की तरफ से यादव सिंह के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दे दी गई है. नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन चीफ मेंटेनेंस इंजीनियर यादव सिंह पर टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी करने का आरोप है. प्रदेश सरकार ने इस एक करोड़ 76 लाख रुपए के गबन के मामले में केस चलाने को मंजूरी दे दी. इसके बाद अब यादव सिंह पर शिकंजा और कसा जा सकेगा. वहीं तत्कालीन परियोजना अभियंता वेदपाल व सहायक परियोजना अभियंता एसके अग्रवाल पर भी केस चलाया जाएगा.


राज्य सरकार के निर्देश के बाद औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार ने 1.76 करोड़ रुपए की टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी करने के मामले में यादव सिंह पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी. उन्होंने बताया कि निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की अनुमति दी गई. जांच में यह बात सामने आई थी कि इन मामलों में यादव सिंह ने पद का दुरुपयोग करते हुए वित्तीय अनियमितता की थी. इससे नोएडा प्राधिकरण को 1.76 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.

औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2007 से 2011 के बीच नोएडा प्राधिकरण में गुल इंजीनियर कंपनी को करीब सात काम दिए गए थे. यह कंपनी टेंडर पाने की शर्तें पूरी नहीं कर रही थी. इस कंपनी को टेंडर देने के लिए प्रक्रिया में धांधली की गयी. यादव सिंह की वजह से विभाग को बड़ा नुकसान हुआ था. इस मामले में सीबीआई ने जांच की तो आरोप सही पाए गए और यादव सिंह को जेल भेज दिया गया था.

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सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल करने में देरी की तो इसका फायदा यादव सिंह को हुआ. उसे कोर्ट से एक साल पहले जमानत भी मिल गई थी. अब औद्योगिक विकास विभाग ने सरकार के निर्देश के बाद मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी दे दी. औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जो वित्तीय हेराफेरी की गई थी और विभाग को नुकसान हुआ, वह दंडनीय अपराध था.

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