लखनऊ: आवास विकास परिषद में हुए पांच करोड़ एक लाख के गबन में नए तथ्य उजागर हुए हैं. एक चेक नंबर पर दो बार भुगतान किया गया. बैंक भी इसका जवाब नहीं दे पाया. वृंदावन कॉलोनी में संचालित राष्ट्रीयकृत बैंक ने परिषद की पूछी गई जानकारियों को न सिर्फ छिपाया, बल्कि गलत जानकारी भी दी. ऐसे कई मामले परिषद की जांच टीम के हाथ लगे हैं.
लखनऊ आवास विकास परिषद (Lucknow Awas Vikas Parishad) के सचिव ने बताया कि बैंक के खिलाफ एफआईआर कराई जाएगी. जगत नारायण शुक्ला के मामले में बैंक की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है. लखनऊ विकास प्राधिकरण में कहीं जगत नारायण शुक्ला और उनके परिवार की संपत्ति तो नहीं है. ये जानने के लिए डीएम को पत्र लिखा गया है.
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आवास विकास परिषद में जगत नारायण शुक्ला ने मिलीभगत करके लखनऊ सहित गाजियाबाद, बाराबंकी, वाराणसी में संपत्तियों का आवंटन गलत तरीके से करा लिया. वाराणसी में 55 लाख और गाजियाबाद की 13 संपत्तियों के एवज में 73 लाख रुपये जमा किये थे. यह जानकारी उस वक्त जांचकर्ता टीम के हाथ लगी, जब टीम ने सभी जिलों को भेजे पत्र में जगत नारायण की संपत्तियों का ब्योरा मांगा.
फिलहाल वाराणसी और गाजियाबाद संपत्तियों के एवज में जमा धनराशि जब्त कर ली गई है. बाकी रिकवरी के लिए डीएम को आरसी के लिए पत्र लिखा जा रहा है. वहीं राष्ट्रीयकृत बैंक में उस समय कार्यरत कर्मियों की कार्यप्रणाली पर परिषद ने सवाल खड़े किए हैं. जांच में उस समय तैनात रहे बैंक कर्मियों पर जांच में तथ्य सही पाए जाने पर कार्रवाई हो सकती है.
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