लखनऊ: शहर कुछ इलाकों में संक्रामक रोग तेजी से पांव पसार रहे हैं. हजरतगंज स्थित बालू अड्डा के पास हैजा और डायरिया के बाद अब टायफाइड के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. शनिवार को यहां सात मरीजों में टायफाइड की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग ने की. शुक्रवार को छह मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई थी. इनका सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग लगातार बुखार पीड़ितों की जांच करा रहा है.
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रोजाना 10 से अधिक मरीज स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए आ रहे हैं. मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने टायफाइड समेत दूसरी जांचें कराने का फैसला किया. शनिवार को नौ मरीजों की जांच कराई गई. इसमें सात मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई है. काफी मरीज प्राइवेट क्लीनिक में इलाज करा रहे हैं. इन मरीजों में भी डॉक्टरों ने टायफाइड की आशंका जाहिर की है.
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सीएमओ ने बताया कि पेट में संक्रमण से टाइफाइड होता है, जो साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के कारण होता है. दूषित पानी या भोजन से इसकी आशंका अधिक होती है. बैक्टीरिया आंतों में प्रवेश करता है. यहां करीब एक से तीन सप्ताह तक रहता है. उसके बाद आंतों की दीवार के जरिए रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाता है. खून से ये टायफॉइड बैक्टीरिया अन्य ऊतकों और अंगों में फैलकर कोशिकाओं के अंदर छिप जाता है. मरीजों की जांच व इलाज की सुविधा स्थानीय पीएचसी पर उपलब्ध है. हालात यह हैं कि 10 में महज दो से तीन लोग ही खून की जांच कराने को राजी हो रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक कोरोना जांच का शिविर लगा है. इसके बावजूद आठ से 10 लोग ही जांच कराने आ रहे हैं.