लखनऊः उत्तर प्रदेश में तबादलों को लेकर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. विभागीय जांच में 124 लिपिकों के तबादलों में गड़बड़ी सामने आई है. मामले में अपर निदेशक अनिल भूषण चतुर्वेदी (Additional Director Anil Bhushan Chaturvedi) ने जांच रिपोर्ट डायरेक्टर को सौंप दी है. यह वो लिपिक हैं, जहां एक ही पद पर दो लोगों को तैनाती दे दी गई है. वहीं, कई ऐसे मामले भी हैं जहां, ट्रांसफर होने से पद तो खाली हो गया, लेकिन तैनाती किसी की नहीं दी गई है.
बता दें कि, कर्मचारियों की ओर से शिक्षा विभाग में हुई तबादलों पर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं. बीते दिनों शिक्षा निदेशक बेसिक के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन भी किया गया था, जिसके बाद जांच शुरू हुई. जांच में गड़बड़ी खुलकर सामने आई है. बेसिक शिक्षा विभाग में 1043 लिपिकों के ट्रांसफर किए गए थे, जिसमें 775 ने तो ज्वॉइन भी कर लिया है.
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यह हैं कर्मचारियों की शिकायतें
उत्तर प्रदेश एजुकेशनल मिनिस्ट्रियल ऑफिसर्स एसोसिएशन (UP Educational Ministerial Officers Association) की अपील पर बीते 28 जुलाई को प्रदेशभर से आए कर्मचारियों ने शिक्षा निदेशक बेसिक के कार्यालय पर धरना दिया. संगठन का दावा है कि शिक्षा विभाग के तबादलों (uttar pradesh education department transfers) में हुई गड़बड़ियां भी खुलकर सामने आई हैं.
कई ऐसे कार्यालय हैं, जहां पद खाली न होने के बावजूद तबादले किए गए हैं. हालत यह है कि कई कार्यालयों में तबादले के बाद पहुंचे कर्मचारी पद खाली न होने के कारण ज्वाइनिंग के लिए भटक रहे हैं. संगठन की तरफ से 238 कर्मचारियों के तबादलों में अनियमितता की शिकायत अपर बेसिक शिक्षा निदेशक प्रयागराज समेत अन्य अधिकारियों से की गई है.
संगठन प्रांतीय महामंत्री राजेश चन्द्र श्रीवास्तव (Provincial General Secretary Rajesh Chandra Srivastava) ने बताया कि कार्मिक विभाग द्वारा सरकारी अधिकारियों / कर्मचारियों की वार्षिक स्थानान्तरण नीति वर्ष 2022-23 के लिए 15 जून को आदेश जारी किए गए थे. इसके अनुसार, समूह ' ग ' और समूह ' घ ' के कार्मिकों के स्थानान्तरण संवर्गवार कुल कार्यरत कर्मिकों की संख्या के अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा तक किये जाने थे. उक्त निर्धारित 10 प्रतिशत से अधिक और अधिकतम 20 प्रतिशत की सीमा तक स्थानान्तरण अपरिहार्यता की स्थिति में प्रशासकीय विभाग द्वारा विभागीय मंत्री के अनुमोदन से स्थानान्तरण किये जाने थे, लेकिन इसका अनुपालन ही नहीं किया गया.
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