लखनऊ : एक तरफ सीएम योगी अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर रहे थे तो दूसरी तरफ ट्रांसफर को लेकर कई विभागों में गड़बड़ी का मामला सामने आया. इससे सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए और सरकार की किरकिरी भी खूब हुई. दरअसल, योगी सरकार द्वारा लाई गई ट्रांसफर पॉलिसी के तहत सभी विभागों में 30 जून तक ट्रांसफर किये गए.
स्वास्थ्य विभाग, माध्यमिक शिक्षा वित्त विभाग सहित कई विभागों में ट्रांसफर को लेकर गड़बड़ी और अनियमितताओं की बात भी सामने आई. उच्च स्तरीय सूत्रों के अनुसार खास बात यह भी है ट्रासंफर विवाद को लेकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व काफी गंभीर हुआ है. नेतृत्व ने इस पूरे मामले में सीएम योगी से बात करते हुए जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कही है.
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने पत्र लिखकर तबादलों की रिपोर्ट तलब की. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हुई गड़बड़ी को लेकर सीएम योगी ने चीफ सेक्रेटरी के नेतृत्व में वरिष्ठ अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है. शासन के एक बड़े अफसर ने कहा है कि सरकार की छवि पर जो ट्रांसफर को लेकर सवाल खड़े हुए इससे अब डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू कर दी गई है. खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ट्रांसफर विवाद के घटनाक्रम से काफी नाराज हैं. जिसके बाद उन्होंने कार्रवाई के लिए संदेश भी दे दिया है.
विभागों में ट्रांसफर को लेकर विवाद हुआ तो इससे योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर भी सवाल खड़े हुए. जानकारों का कहना है कि सरकार के स्तर पर अफसरों को खुली छूट देने, मंत्रियों की न सुने जाने के मामले तमाम हैं. अफसरों को सरंक्षण देने के चलते यह स्थिति हुई है. विभागों में तबादला नीति का पालन नहीं हुआ और इससे मंत्री असन्तुष्ट हुए. जब गड़बड़ी हुई तो चीजे सामने आईं, पत्र लिखे गए तो सरकार की फजीहत हो गई. अब सरकार जांच कराकर अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रही है. अफसरों का कहना है कि सरकार इस मामले में सख्त है. कार्रवाई निश्चित होगी. जिससे पूरी तरह से डैमेज कंट्रोल किया जा सके.
इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि योगी आदित्यनाथ की सरकार पारदर्शी सरकार है. अपराध भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की सरकार है. जैसे ही कोई अनियमितता सरकारी विभागों के स्तर पर होती है, मुख्यमंत्री के संज्ञान में आती है. तत्काल जांच के आदेश दिए जाते हैं और कार्रवाई की जाती है. जब भी ट्रांसफर का विषय मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया है तो जांच के आदेश दिए गए हैं. अफसरों के नेतृत्व में कमेटी गठित की गई है जो भी जांच रिपोर्ट होगी, जो भी तथ्य निकलकर सामने आएंगे, उस पर मुख्यमंत्री के स्तर पर कार्यवाही की जाएगी.
वहीं राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार स्थानांतरण संबन्धी नीति का निर्धारण मंत्री करते हैं. सम्बन्धित अधिकारी उसके अनुरूप कार्य करते हैं, किन्तु इस बार स्थानांतरण में नियमों के उल्लंघन के आरोप लग रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुशासन के प्रति सदैव गंभीर रहे हैं. व्यवस्था के अनुपालन पर उनका फोकस रहता है. ऐसा लगता है कि सौ दिन की उपलब्धियों और विकास योजनाओं के क्रियान्वयन पर उनका अधिक ध्यान रहा. इस अवधि में उल्लेखनीय ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी हुई. इसमें प्रधानमंत्री लखनऊ आए थे. कानपुर देहात में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों का कार्यक्रम था. इसके बाद प्रधानमंत्री काशी भी आए थे.
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16 जुलाई को बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन की तैयारियां चल रहीं हैं. अग्निपथ पर हुए उपद्रव को नियंत्रित करने पर भी योगी का ध्यान रहा है. वह हैदराबाद में भाजपा कार्यकारिणी बैठक में भी गए थे. लगता है कि कतिपय अधिकारियों ने मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की इस व्यस्तता का फायदा उठाया है. इस कारण सरकार की किरकिरी हुई है. शायद इन अधिकारियों को पांच वर्ष में योगी की कार्यशैली ठीक से समझ नहीं आई है. योगी इस प्रकरण पर गंभीर हैं. वह व्यवस्था को दुरुस्त करना जानते हैं.
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