लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय का परीक्षा शुल्क यहां के विद्यार्थियों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. असल में यह परीक्षा शुल्क प्रदेश के दूसरे राज्य विश्वविद्यालयों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. स्थिति यह है कि हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी के कई कॉलेजों में साल भर की पढ़ाई का इतना शुल्क नहीं देना पड़ता जितना कि परीक्षा शुल्क देना पड़ रहा है. यह परीक्षा शुल्क विश्वविद्यालय में जमा होता है.
लखनऊ विश्वविद्यालय में औसतन ढाई हजार से ₹4500 परीक्षा शुल्क है. यह प्रति सेमेस्टर परीक्षा शुल्क है. जबकि प्रदेश के दूसरे राज्य विश्वविद्यालयों में यह परीक्षा शुल्क 500 से ₹2000 तक है. इसका नतीजा है कि लखनऊ विश्वविद्यालय और उसके जुड़े कॉलेजों में पढ़ाई ज्यादा महंगी हो चली है.
लखीमपुर खीरी के एक कॉलेज संचालक ने बताया कि उनके जिले के कॉलेज पहले कानपुर विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे. B.a. में करीब ₹500 परीक्षा शुल्क कानपुर विश्वविद्यालय लेता था. जिसके चलते उनकी साल भर की पढ़ाई का शुल्क करीब ₹6000 प्रति विद्यार्थी हुआ करता था. लखनऊ विश्वविद्यालय में यह परीक्षा शुल्क करीब ढाई हजार रुपए प्रति सेमेस्टर यानी ₹5000 के आसपास प्रति सेमेस्टर है. ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में चलने वाले कॉलेजों के लिए संभव ही नहीं है कि वह अपनी फीस एकदम अचानक दोगनी कर दें. यहां के विद्यार्थियों के लिए इतनी ज्यादा फीस जमाकर पाना संभव ही नहीं है.
दूसरे राज्य विश्वविद्यालयों की तस्वीर : उत्तर प्रदेश में इस समय 19 राज्य विश्वविद्यालय का संचालन किया जा रहा है. इनमें सबसे पुराना लखनऊ विश्वविद्यालय है. लविवि ने वर्ष 2018 में सेमेस्टर प्रणाली लागू करने के नाम पर अपने परीक्षा शुल्क को कई गुना बढ़ा दिया. वर्तमान में यहां ढाई हजार से लेकर ₹4000 तक प्रति सेमेस्टर परीक्षा शुल्क विश्वविद्यालय के स्तर पर लिया जा रहा है. जबकि कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, अयोध्या के डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से लेकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ तक में इतना परीक्षा शुल्क नहीं लिया जाता. अयोध्या विश्वविद्यालय में परीक्षा शुल्क ₹500 से लेकर ₹2000 तक है. रोहिलखंड विश्वविद्यालय में यह ढाई हजार तक जाता है. वहीं Agra University प्रति विद्यार्थी वार्षिक 1770 रुपये परीक्षा शुल्क के रूप में लेता है. स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने पर सेमेस्टर प्रणाली लागू हो गई है. विश्वविद्यालय अब प्रति सेमेस्टर प्रति छात्र 1770 रुपये के हिसाब से परीक्षा शुल्क मांग रहा है.
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परीक्षा शुल्क में हो एकरूपता : लखनऊ विश्वविद्यालय संयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे का कहना है कि उच्च शिक्षा के लिए गरीब और जरूरतमंद परिवार के बच्चे भी आते हैं. विश्वविद्यालय का परीक्षा शुल्क ज्यादा होने के कारण फीस भी ज्यादा होगी. समाजवादी छात्र सभा लखनऊ विश्वविद्यालय इकाई के पूर्व अध्यक्ष और छात्र नेता कार्तिक पांडे का कहना है कि राज्य विश्वविद्यालय प्रदेश के हर विद्यार्थी को अच्छी शिक्षा देने के लिये बनाए गए हैं ना कि कमाई का जरिया हैं. ऐसे में विश्वविद्यालयों को अपनी नीति में परिवर्तन कर विद्यार्थियों को लाभ देना होगा. सरकार को चाहिए कि वह सभी विश्वविद्यालयों के परीक्षा शुल्क में एकरूपता लाए.
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