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सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को आखिरी मौका, कांवड़ यात्रा को लेकर सोमवार तक मांगा जवाब

उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना की तीसरी लहर की संभावने के बावजूद कांवड़ यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया. इसको लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को सोमवार तक जवाब देने के लिए कहा है. वहीं केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में शीर्ष अदालत को बताया कि वो कांवड़ यात्रा के पक्ष में नहीं है.

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Published : Jul 16, 2021, 8:19 AM IST

Updated : Jul 16, 2021, 11:51 AM IST

supreme court to hear case over kanwar yatra in up today
supreme court to hear case over kanwar yatra in up today

नई दिल्ली: देश में ऑक्सीजन संकट, वैक्सीनेशन में लेटलतीफी, कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजे के बाद अब सुप्रीम कोर्ट कांवड़ यात्रा को लेकर सख्त नजर आ रही है. इसको लेकर शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी किया था. यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए सोमवार (19 जुलाई) तक की मोहलत दी है. वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया है कि वो कांवड़ यात्रा के पक्ष में नहीं है.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामा में कहा है कि राज्य सरकारों को कोराना के मद्देनजर हरिद्वार से 'गंगा जल' लाने के लिए कांवड़ियों की आवाजाही की अनुमति नहीं देनी चाहिए. टैंकर चिन्हित/निर्धारित स्थानों पर उपलब्ध हों ताकि आस-पास के भक्त 'गंगा जल' को ले सकें और अपने नजदीकी शिव मंदिरों में 'जल अभिषेक' कर सकें. राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे भक्त आस-पास के शिव मंदिरों में 'गंगा जल' चढ़ा सकें. इस दौरान अनिवार्य रूप से सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने, मास्क पहनने और कोरोना संकट के दौरान आवश्यक सभी चरणों का पालन किया जाए.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा की इजाजत दी थी. सरकार की ओर से जारी निर्देश में कहा गया था कि कोरोना गाइडलाइन का पालन कराते हुए कांवड़ यात्रा निकालने की इजाजत होगी. वहीं कांवड़ यात्रा को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मदद्देनजर स्थगित कर दिया था. इस मामले में अब 19 जुलाई को सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नरीमन ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि यूपी राज्य ने कांवड़ यात्रा कराने का फैसला किया, जबकि उत्तराखंड राज्य ने अपने अनुभव के आधार पर फैसला किया कि कोई यात्रा नहीं होगी. वो जानना चाहते थे कि संबंधित सरकारों की मंशा क्या है. उत्तर प्रदेश सरकार का जवाब मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और जानना चाहा कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच कांवड़ यात्रा कराना क्यों जरूरी है. उम्मीद की जा रही है कि 3 करोड़ भक्त कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर भारत पहुंच सकते हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा था कि यूपी में कांवड़ यात्रा के दौरान स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल, सोशल डिस्टेसिंग, मास्क, आरटीपीसीआर टेस्ट का पालन होगा. इसके साथ निगरानी भी की जाएगी. अब देखना है कि 19 जुलाई को कांवड़ यात्रा को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट क्या रुख अख्तियार करता है.

नई दिल्ली: देश में ऑक्सीजन संकट, वैक्सीनेशन में लेटलतीफी, कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजे के बाद अब सुप्रीम कोर्ट कांवड़ यात्रा को लेकर सख्त नजर आ रही है. इसको लेकर शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी किया था. यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए सोमवार (19 जुलाई) तक की मोहलत दी है. वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया है कि वो कांवड़ यात्रा के पक्ष में नहीं है.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामा में कहा है कि राज्य सरकारों को कोराना के मद्देनजर हरिद्वार से 'गंगा जल' लाने के लिए कांवड़ियों की आवाजाही की अनुमति नहीं देनी चाहिए. टैंकर चिन्हित/निर्धारित स्थानों पर उपलब्ध हों ताकि आस-पास के भक्त 'गंगा जल' को ले सकें और अपने नजदीकी शिव मंदिरों में 'जल अभिषेक' कर सकें. राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे भक्त आस-पास के शिव मंदिरों में 'गंगा जल' चढ़ा सकें. इस दौरान अनिवार्य रूप से सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने, मास्क पहनने और कोरोना संकट के दौरान आवश्यक सभी चरणों का पालन किया जाए.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा की इजाजत दी थी. सरकार की ओर से जारी निर्देश में कहा गया था कि कोरोना गाइडलाइन का पालन कराते हुए कांवड़ यात्रा निकालने की इजाजत होगी. वहीं कांवड़ यात्रा को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मदद्देनजर स्थगित कर दिया था. इस मामले में अब 19 जुलाई को सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नरीमन ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि यूपी राज्य ने कांवड़ यात्रा कराने का फैसला किया, जबकि उत्तराखंड राज्य ने अपने अनुभव के आधार पर फैसला किया कि कोई यात्रा नहीं होगी. वो जानना चाहते थे कि संबंधित सरकारों की मंशा क्या है. उत्तर प्रदेश सरकार का जवाब मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और जानना चाहा कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच कांवड़ यात्रा कराना क्यों जरूरी है. उम्मीद की जा रही है कि 3 करोड़ भक्त कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर भारत पहुंच सकते हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा था कि यूपी में कांवड़ यात्रा के दौरान स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल, सोशल डिस्टेसिंग, मास्क, आरटीपीसीआर टेस्ट का पालन होगा. इसके साथ निगरानी भी की जाएगी. अब देखना है कि 19 जुलाई को कांवड़ यात्रा को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट क्या रुख अख्तियार करता है.

Last Updated : Jul 16, 2021, 11:51 AM IST
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