लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीए ऑनर्स और बीकॉम ऑनर्स पाठ्यक्रम को इस सत्र से बंद करने का फैसला लिया है. इसको लेकर छात्र-छात्राओं की ओर से आपत्तियां जताई गई है. उनका कहना है कि जब विश्वविद्यालय को यह पाठ्यक्रम बंद करने ही थे तो उन्हें दाखिले के लिए आवेदन नहीं लिए लेने चाहिए थे. छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को ज्ञापन सौंपा.
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि उनकी ओर से शैक्षिक सत्र 2021-22 से नई शिक्षा नीति को लागू किया जा रहा है. 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम की शुरुआत की जा रही है. ऐसे में बीए ऑनर्स और बीकॉम ऑनर्स जैसे पाठ्यक्रमों की जरूरत ही नहीं है. उधर, छात्र छात्राओं की ओर से इसको लेकर आपत्तियां उठाई गई है. उनका कहना है कि बड़ी संख्या में छात्रों ने इन पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आवेदन किए हैं. ऐसे में आवेदन लेने के बाद कोर्स बंद करने का फैसला, उनके साथ धोखा होगा.
विरोध में छात्रों ने दिया ज्ञापन भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) लखनऊ विश्वविद्यालय के बैनर तले छात्र-छात्राओं की ओर से गुरुवार दोपहर को कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपा गया. ज्ञापन के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से बीए ऑनर्स और बीकॉम ऑनर्स को बंद करने के फैसले पर आपत्ति दर्ज की गयी. साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन को 4 दिन के अंदर फैसला लेने की मांग की गयी. एनएसयूआई की ओर से आगे आंदोलन की चेतावनी भी दी गई. इस दौरान संगठन के प्रदेश सचिव आशुतोष मिश्र और कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी, विपिन कुमार, पवन चतुर्वेदी, जीत द्विवेदी, निर्मल शर्मा आदि उपस्थित रहे.
लखनऊ विश्वविद्यालय के फैसले का विरोध प्रदेश सचिव आशुतोष मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा अपनाया गया यह रवैया पूरी तरह से छात्र विरोधी है और ये छात्रों के भविष्य को दांव पर लगाने जैसा है. एनएसयूआई इसका पुरजोर विरोध करती है और अगर प्रशासन ने जल्द ही अनुकूल समाधान नहीं किया तो सड़क पर संगठन छात्रों की लड़ाई लड़ेगा.
ये भी पढ़ें 'भारत में तालिबान से ज्यादा क्रूरता, यहां रामराज नहीं, कामराज' : मुनव्वर रानासमाजवादी छात्र सभा की ओर से भी इसको लेकर आपत्ति जताई गई है. इकाई अध्यक्ष कार्तिक पाण्डेय का कहना है कि बिना पूर्व सूचना दिए इस तरह के छात्र विरोधी फैसले विश्वविद्यालय प्रशासन कैसे ले सकता है. समाजवादी छात्र सभा प्रदेश सचिव परवेज अहमद का कहना है कि इस तरह की छात्र विरोधी नीतियों से ग्रामीण क्षेत्रों से व आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को शिक्षा ग्रहण करना असंभव सा हो जाएगा. छात्र सभा के नेताओं का कहना है कि शिक्षा का व्यवसायीकरण बंद होना चाहिए और इस तरह की नीतियों और फैसले वापस नहीं लिए गए तो हम एक बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. इस दौरान छात्र नेता दीपेश वैश्य, इरफान, अमर यादव, आकाश अवस्थी, उत्तम दीक्षित आदि उपस्थित रहे.लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इन पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए पहले आवेदन लिए गए हैं. आवेदन प्रक्रिया के पूरी होने के बाद में इनको बंद करने का फैसला लिया गया. जिसके चलते सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इन पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आवेदन करने वाले छात्र-छात्राओं को सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रमों में समायोजित करने का आश्वासन दिया गया है.