लखनऊ : राजधानी में इन दिनों संचारी रोग की चपेट में कई क्षेत्र आ रहे हैं. कहीं फोड़े फुंसी तो कहीं डायरिया के प्रकोप से लोग परेशान हैं. तेलीबाग इलाके में एक व्यक्ति की मौत के बाद चंदन नगर सीएचसी की टीम ने इलाके के 80 घरों का सर्वे भी किया. बरसात के मौसम में सप्लाई का पानी गंदा और बदबूदार आने लगता है, जिसे पीने से आम जनता बीमार पड़ने लगती है. बीते दिनों डायरिया से दो मरीजों की मौत हो गई थी, वहीं अब 50 से अधिक लोग बीमार हैं. राजधानी के अलीगंज, बालू अड्डा, गोमती नगर, फैजुल्लागंज, आलमबाग समेत कई इलाके संचारी रोग की चपेट में हैं.
बता दें कि अलीगंज सेक्टर बी स्थित फत्तेपुर गांव में डायरिया की चपेट में आने से अवध बिहारी अवस्थी (60) और एक साल की मासूम जानवी की मौत हो गई थी. स्थानीय लोगों के अनुसार, बीते एक सप्ताह से गंदे, बदबूदार और मटमैले पानी की सप्लाई हो रही थी. आरोप है कि नगर निगम, जल निगम और स्थानीय पार्षद से शिकायत के बावजूद ध्यान नहीं दिया गया. अनदेखी से इलाके में डायरिया फैला, जिसकी चपेट में 50 से ज्यादा लोग आ गए हैं. इसमें से कई लोगों का घर पर ही इलाज चल रहा है. वहीं बीमारी फैलने के एक सप्ताह बाद भी स्वास्थ्य विभाग की टीम इलाके में जांच करने के लिए नहीं पहुंची थी.
फैजुल्लागंज में बड़ी संख्या में सूअरों की मौत का कारण अफ्रीकन स्वाइन फीवर है. इस बात की पुष्टि लखनऊ से भेजे गए सैंपलों की जांच के बाद भोपाल स्थित लैब से हुई है. रिपोर्ट आने से पहले नगर निगम का पशु कल्याण विभाग सूअरों की मौत को स्वाइन फ्लू से जोड़ रहा था. हालांकि फीवर की पुष्टि के बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली है. इसका कारण है कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर पशुओं तक ही सीमित रहता है, जबकि अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के पशुओं से इंसानों तक फैलने का खतरा रहता है. फीवर की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम पूरी एहतियात बरत रही है.
बाल महिला सेवा संगठन की अध्यक्ष ममता त्रिपाठी ने बताया कि सूअरों की मौत के कारण यहां पर काफी दहशत हो गई है. बहुत सारे लोग पलायन करने पर भी मजबूर हैं. बारिश के मौसम में इस तरह से सूअरों का मरना बेहद खतरनाक साबित हुआ है. बहुत सारे बच्चे इस समय बीमार पड़े हैं. नगर निगम सूअर पालकों को पूरी सतर्कता बरतने के निर्देश दे रहा है. वहीं स्वास्थ्य विभाग अफ्रीकन स्वाइन फीवर से बचने के लिए डॉक्टरों की टीम क्षेत्र में भेज रहा है. इसके साथ ही फैजुल्लागंज में सफाई, सैनिटाइजेशन जैसे काम युद्धस्तर पर हो रहे हैं. फॉगिंग के साथ ही चूने और ब्लीचिंग का छिड़काव भी करवाया जा रहा है. सफाई के लिए 431 कर्मचारियों को लगाया गया है.
सिविल अस्पताल में रोजाना दो हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं, इसमें से ज्यादातर मरीज संचारी रोग से पीड़ित हैं. सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह बताते हैं कि इस समय ओपीडी में भारी संख्या में मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं. बहुत सारे ऐसे मरीज भी आ रहे हैं जिन्हें इमरजेंसी में तुरंत भर्ती भी किया जा रहा है, क्योंकि डायरिया एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से मरीज को काफी कमजोरी आ जाती है. ग्लूकोज की कमी हो जाती है. अगर आप तीन दिन से अधिक दस्त से पीड़ित हैं, आपके शरीर में लाल चकत्ते पड़ रहे हैं, फोड़ा फुंसी हो रही है तो आप समझ जाइए कि आप संचारी रोग से पीड़ित हैं और तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर प्रथमिक इलाज लें.
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उन्होंने बताया कि हमारे यहां 28 बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है, क्योंकि इस मौसम में डेंगू के मरीज आने शुरू हो जाते हैं. हालांकि अभी एक भी डेंगू मरीज नहीं आए हैं, जिनकी हालत गंभीर हो.
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