लखनऊ: कमर दर्द से अब आसानी से छुटकारा मुमकिन है. स्लिप डिस्क हो या साइटिका उसका इलाज पलभर में संभव है. 'मिप्सी (MIPSI)' तकनीक के जरिये एक मामूली छेद बनाकर डॉक्टर बीमारी का सफाया कर देंगे. वहीं उसी दिन मरीज अस्पताल से घर भी रवाना कर दिया जाएगा. ऐसे में बड़े ऑपरेशन से मरीजों को छुटकारा मिलेगा. लोहिया अयुर्विज्ञान संस्थान (Dr. Ram Manohar Lohia Institute of Medical Sciences) में इस तकनीक से मरीजों का इलाज आसान हुआ.
जानकारी देते डॉ. अनुराग अग्रवाल लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के पेन मेडिसिन के डॉ. अनुराग अग्रवाल के मुताबिक कमर दर्द की समस्या आम हो गई है. इसमें स्लिप डिस्क-साइटिका प्रमुख बीमारियां हैं. इनका निदान मिनिमम इन्वेसिव पेन एंड स्पाइन इंटरवेंशन (Minimally Invasive Pain and Spine Interventions) तकनीक से मुमकिन है. अब कुछ ही केसों में बड़े ऑपरेशन की जरूरत होगी. वर्ष 2018 से स्लिप डिस्क व साइटिका के 58 मरीजों का मिप्सी तकनीक से इलाज किया गया. इनकी केस स्टडी तैयार कर भेजा गया, जिसे अब इंडियन जर्नल ऑफ पेन में प्रकाशित किया गया है. लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ डॉ. अनुराग के मुताबिक कमर दर्द दुनिया में डॉक्टर से मरीज का मिलने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है. यह मरीजों में स्लिप डिस्क व साइटिका की वजह से होता है. इसमें दवा, फिजियोथेरेपी से राहत न मिलने पर ऑपरेशन की आवश्कता होती है. वहीं 90 फीसद केसों में मिप्सी तकनीक से सफल इलाज किया जा सकता है। शोध के जरिए यह प्रमाणित हो गया है.डॉ. अनुराग अग्रवाल के मुताबिक इसमें इंडोस्कोपी विधि से उपचार किया जाता है. स्पाइन (रीढ़ की हड्डी) के पास आठ एमएम का की-होल (छेद) करते हैं. इसी में इंडोस्कोप पोर्ट डालते हैं. इसी के जरिये कैमरा, लाइट सोर्स व अन्य उपकरण इंटर करते हैं. ऐसे में पलभर में मूल स्थान से इधर-उधर बढ़ी डिस्क को काट कर अलग कर देते हैं. ये भी पढ़ें- 2022 के विधानसभा चुनावों में यूपी समेत 4 राज्यों में सरकार बना सकती है भाजपा : सर्वे
डॉ. अनुराग अग्रवाल के मुताबिक मिप्सी तकनीक से इलाज में जनरल एनेस्थीसिया नहीं दी जाती है. लोकल एनेस्थीसिया से ही उपचार मुमकिन है. इस विधि से सुबह अस्पताल आए मरीज को घर भेज दिया जाता है. स्लिप डिस्क और साइटिका के लिए दो तरह से मिप्सी की जाती है. एक न्यूरो प्लास्टी, परक्यूटेनियस स्पाइन इंडोस्कोपी की जाती है.