ETV Bharat / city

शिया वक्फ बोर्ड ने अपने ही मुकदमे में सुना दिया फैसला

author img

By

Published : Jul 6, 2022, 9:54 PM IST

शिया वक्फ बोर्ड (Shia Waqf Board) के इस मनमाने आदेश को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) के समक्ष चुनौती दी गई, जिस पर न्यायालय ने बोर्ड के उक्त आदेश पर स्थगन आदेश पारित कर दिया है.

etv bharat
हाईकोर्ट

लखनऊ: शिया वक्फ बोर्ड (Shia Waqf Board) जिस मुकदमे में पक्षकार था, उसमें सिविल कोर्ट से मुकदमा हार गया लेकिन बाद में खुद के पक्ष में फैसला सुना दिया. अपने फैसले में शिया वक्फ बोर्ड ने चार प्रश्नगत सम्पत्तियों को वक्फ सम्पत्ति मानते हुए वक्फ में मिलाने का आदेश पारित किया है.

बोर्ड के इस मनमाने आदेश को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) के समक्ष चुनौती दी गई, जिस पर न्यायालय ने बोर्ड के उक्त आदेश पर स्थगन आदेश पारित कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय (Justice DK Upadhyay) और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार (Justice Rajnish Kumar) की खंडपीठ ने राजेंद्र अग्रवाल और एक अन्य की ओर से पारित याचिका पर दिया. याची की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि अयोध्या जनपद के इस मामले में चौक स्थित चार दुकानों को वक्फ बोर्ड ने 31 जुलाई 2019 को आदेश पारित करते हुए अपनी सम्पत्तियों में मिला लिया.

इसे भी पढ़ेंः अभियुक्त अतुल राय दुर्दांत अपराधी है, जो संसद में पहुंचकर विधि निर्माता बन गया: हाईकोर्ट

दलील दी गई प्रश्नगत सम्पत्तियों के सम्बंध में वक्फ बोर्ड और सम्बंधित वक्फ के मुतवल्ली की ओर से सम्पत्तियों को वक्फ मस्जिद हसन रजा खान की सम्पत्ति बताते हुए घोषणात्मक वर्ष 1983 में ही दाखिल किया गया था, जिसे 30 नवम्बर 2000 को सिविल कोर्ट ने खारिज कर दिया.

सिविल कोर्ट के आदेश के विरुद्ध प्रथम अपील भी दाखिल की गई, जिसे भी अपीलेट कोर्ट ने 31 मार्च 2009 को खारिज कर दिया. उक्त मुकदमों में खुद पक्षकार होने के बावजूद 31 जुलाई 2019 का आदेश अपने ही पक्ष में वक्फ ने पारित कर दिया. न्यायालय ने मामले की सुनवाई के पश्चात शिया वक्फ बोर्ड को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया. साथ ही 31 जुलाई 2019 के उसके आदेश पर स्थगन आदेश पारित कर दिया है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: शिया वक्फ बोर्ड (Shia Waqf Board) जिस मुकदमे में पक्षकार था, उसमें सिविल कोर्ट से मुकदमा हार गया लेकिन बाद में खुद के पक्ष में फैसला सुना दिया. अपने फैसले में शिया वक्फ बोर्ड ने चार प्रश्नगत सम्पत्तियों को वक्फ सम्पत्ति मानते हुए वक्फ में मिलाने का आदेश पारित किया है.

बोर्ड के इस मनमाने आदेश को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) के समक्ष चुनौती दी गई, जिस पर न्यायालय ने बोर्ड के उक्त आदेश पर स्थगन आदेश पारित कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय (Justice DK Upadhyay) और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार (Justice Rajnish Kumar) की खंडपीठ ने राजेंद्र अग्रवाल और एक अन्य की ओर से पारित याचिका पर दिया. याची की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि अयोध्या जनपद के इस मामले में चौक स्थित चार दुकानों को वक्फ बोर्ड ने 31 जुलाई 2019 को आदेश पारित करते हुए अपनी सम्पत्तियों में मिला लिया.

इसे भी पढ़ेंः अभियुक्त अतुल राय दुर्दांत अपराधी है, जो संसद में पहुंचकर विधि निर्माता बन गया: हाईकोर्ट

दलील दी गई प्रश्नगत सम्पत्तियों के सम्बंध में वक्फ बोर्ड और सम्बंधित वक्फ के मुतवल्ली की ओर से सम्पत्तियों को वक्फ मस्जिद हसन रजा खान की सम्पत्ति बताते हुए घोषणात्मक वर्ष 1983 में ही दाखिल किया गया था, जिसे 30 नवम्बर 2000 को सिविल कोर्ट ने खारिज कर दिया.

सिविल कोर्ट के आदेश के विरुद्ध प्रथम अपील भी दाखिल की गई, जिसे भी अपीलेट कोर्ट ने 31 मार्च 2009 को खारिज कर दिया. उक्त मुकदमों में खुद पक्षकार होने के बावजूद 31 जुलाई 2019 का आदेश अपने ही पक्ष में वक्फ ने पारित कर दिया. न्यायालय ने मामले की सुनवाई के पश्चात शिया वक्फ बोर्ड को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया. साथ ही 31 जुलाई 2019 के उसके आदेश पर स्थगन आदेश पारित कर दिया है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.