गोरखपुर: उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ और संस्कृत प्राकृतिक भाषा विभाग दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के संयुक्त तत्वाधान में प्रशांत राघवम नामक संस्कृत नाटक का मंचन विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अभिराज राजेंद्र मिश्र ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रति कुलपति प्रोफेसर हरिशरण, हरियाणा महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर राजेश्वर प्रसाद मिश्र, मॉरीशस से एमजीआई मोका संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ विश्वनंद पतिया प्रमुख रूप से मौजूद रहे. इस मौके पर संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक, कार्यशाला संयोजक डॉ. कुलदीपक शुक्ल सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र और छात्राएं मौजूद रहे.
कलाकारों ने नाटक मंचन के लिए की कड़ी मेहनत
इस नाटक के लेखक प्रोफेसर अभिराज राजेंद्र मिश्र, संपादन प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक, डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंह देव, निर्देशन प्रोफ़ेसर मुरली मनोहर पाठक, श्रीनिवास पाठक और संयोजन डॉ. दीपक शुक्ला द्वारा किया गया. इस संस्कृत नाटक मंचन में कई पात्र लड़कों पर आधारित थे, लेकिन इन पात्रों पर लड़कियों ने अपना अभिनय प्रस्तुत किया. इस मंचन को सफल बनाने के लिए 30 कलाकारों ने लगभग एक माह की कड़ी मशक्कत के बाद नाटक का मंचन किया.
कई भाषाओं में होगा नाटक का मंचन
यह नाटक पांच भाषाओं में मंचन किया जाएगा, जिसमें संस्कृत, मिथिला और अन्य भाषाएं शामिल हैं. इस नाटक में संस्कृत श्लोक के साथ आंगिक भाषा में लोगों को रूपांतरण के माध्यम से संस्कृत नाटक को समझाने की कोशिश की गई है. पूर्वांचल में संस्कृत नाटक का मंचन का यह पहला मौका है. प्रशांत राघवम त्रिवेणी कवि अभिराज राजेंद्र मिश्र प्रवीण 7 अंकों का विलक्षण नाटक है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के उत्तर चरित्र पर आधारित है.
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संस्कृत नाटक प्रशांत राघवम नाटक का प्रारंभ सीता विषयक लोकापवाद को लेकर होता है, जिसके कारण संपूर्ण राज्य परिवार व्याकुल है. लक्ष्मण का क्रोध संवादों के माध्यम से व्यक्त होता है. वह संपूर्ण षड्यंत्र को मूल से जानना चाहते हैं, तभी वरिष्ठ का संदेश पाकर वह कुछ शांत होते हैं. संदेश में राम के लिए बिना मंत्रणा के अकेले ही किसी भी प्रकार का निर्णय लेने का निर्देश होता है.
पूर्वांचल में पहली बार संस्कृत भाषा में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के चरित्र पर आधारित नाटक का मंचन किया जा रहा है. जो विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है. इस कार्यक्रम में देश के साथ ही विदेश के लोगों ने भी शिरकत की.
-प्रो. हरिशरण, प्रतिकुलपति गोरखपुर विवि.