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राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता बोले, तुगलकी आदेश देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे मुख्यमंत्री - दो बालिकाओं से बलात्कार व गला दबाकर हत्या

राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता बीएल प्रेमी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) कुशासन की सीमा को लांघते हुए तुगलगी आदेश देने में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

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Published : Sep 17, 2022, 5:10 PM IST

लखनऊ : राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता बीएल प्रेमी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) कुशासन की सीमा को लांघते हुए तुगलगी आदेश देने में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अपराधी का कोई जाति व धर्म नहीं होता है. बलात्कार व हत्या के अपराधियों के मुकदमें फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाकर पीड़ित को न्याय दिलाया जाना चाहिए.


उन्होंने कहा कि जनपद लखीमपुर के निघासन तहसील में अनुसूचित जाति की दो बालिकाओं से बलात्कार व गला दबाकर हत्या करके पेड़ से लटकाकर अपराधियों ने कानून की आंख में धूल झोंकने का काम किया है. उन्होंने कहा कि यह भी सुनने में आया है कि मुख्यमंत्री ने एक महीने में न्याय दिलाने को कहा है जबकि प्रदेश के अन्य हत्या, बलात्कार और अपहरण के मामले में ऐसा आदेश नहीं दिया गया. लगता है कि इस प्रकार का त्वरित आदेश देकर मुख्यमंत्री सिर्फ वाहवाही लूटना चाहते हैं, जबकि निघासन मामले में धर्म और जाति देखकर मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है. प्रदेश सरकार की तरफ से जाति व धर्म देखकर पीड़ित परिवार को आर्थिक व अन्य सहायता देने का आदेश दिया गया. उन्होंने सरकार से सवाल किया कि सामान्य को 50 लाख और एससी को 10-20 लाख के मुआवजे की घोषणा, यह कहां का न्याय है?

यह भी पढ़ें : यूपी में फैक्ट्रियां अब बहुमंजिला कॉम्प्लेक्स में लगेंगी, कानपुर, आगरा और गोरखपुर से होगा आगाज

मुख्यमंत्री को सिर्फ घोषणा ही नहीं मुआवजा भी देना चाहिए. दोषपूर्ण मुआवजा नीति को बंदकर आर्थिक मुआवजा भी समान रूप से पीड़ित परिवारों को मिलना चाहिए. अपराधी किसी भी जाति या धर्म का हो उसे सख्त से सख्त सजा दिया जाना चाहिए, जिससे अपराधों की पुनरावृत्ति न हो.

यह भी पढ़ें : कैसे बचपन में पकड़ा था मगरमच्छ और कैसे बने मोदी देश के प्रधानमंत्री, देखें Video

लखनऊ : राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता बीएल प्रेमी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) कुशासन की सीमा को लांघते हुए तुगलगी आदेश देने में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अपराधी का कोई जाति व धर्म नहीं होता है. बलात्कार व हत्या के अपराधियों के मुकदमें फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाकर पीड़ित को न्याय दिलाया जाना चाहिए.


उन्होंने कहा कि जनपद लखीमपुर के निघासन तहसील में अनुसूचित जाति की दो बालिकाओं से बलात्कार व गला दबाकर हत्या करके पेड़ से लटकाकर अपराधियों ने कानून की आंख में धूल झोंकने का काम किया है. उन्होंने कहा कि यह भी सुनने में आया है कि मुख्यमंत्री ने एक महीने में न्याय दिलाने को कहा है जबकि प्रदेश के अन्य हत्या, बलात्कार और अपहरण के मामले में ऐसा आदेश नहीं दिया गया. लगता है कि इस प्रकार का त्वरित आदेश देकर मुख्यमंत्री सिर्फ वाहवाही लूटना चाहते हैं, जबकि निघासन मामले में धर्म और जाति देखकर मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है. प्रदेश सरकार की तरफ से जाति व धर्म देखकर पीड़ित परिवार को आर्थिक व अन्य सहायता देने का आदेश दिया गया. उन्होंने सरकार से सवाल किया कि सामान्य को 50 लाख और एससी को 10-20 लाख के मुआवजे की घोषणा, यह कहां का न्याय है?

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मुख्यमंत्री को सिर्फ घोषणा ही नहीं मुआवजा भी देना चाहिए. दोषपूर्ण मुआवजा नीति को बंदकर आर्थिक मुआवजा भी समान रूप से पीड़ित परिवारों को मिलना चाहिए. अपराधी किसी भी जाति या धर्म का हो उसे सख्त से सख्त सजा दिया जाना चाहिए, जिससे अपराधों की पुनरावृत्ति न हो.

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