लखनऊ: प्रतिमा के अनावरण के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि टण्डन जी लखनऊ की पहचान थे. एक वाक्य में टण्डन के बारे में कह सकते हैं तो धोती कुर्ता पहने हो एक इंसान, टण्डन की यही है पहचान. सांसद रहते हुए टण्डन जी दिल्ली में मिलते ही लखनऊ की चाट खिलाने के आमंत्रित किया करते थे. उनके साथ चाट खाने का कई बार मौका मिला. लखनऊ में टण्डन जी और इतिहासकार योगेश प्रवीण लखनऊ की विकीपीडिया थे. मैं 1977 में पहली बार विधायक बना था. तबसे उन्हें जानता था. भाजपा को राजनीति में स्थापित करने में टण्डन जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही. सभी बड़े पार्टी के फैसलों में उनके सुझाव शामिल किए जाते थे.
सीएम योगी ने कहा कि टंडन जी ने प्रदेश के नगर विकास मंत्री के रूप में दोनों सदनों में पार्टी के नेता के रूप में काम किए थे. हर क्षेत्र में उनके प्रशंसक थे. मैं जनकपुर गया था। उस वक्त टंडन जी राज बिहार के राज्यपाल थे. उन्होंने फोन किया कि जनकपुर से वापस आकर पटना राजभवन में जरूर आना. मैं गया तो उनका स्नेह मिला. उनसे जुड़े तमाम संस्मरण सभी के पास हैं. चलते फिरते लखनऊ के रूप में उनकी पहचान थी. इसीलिए लखनऊवासी उन्हें बाबूजी के रूप में याद करते हैं.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बाबू जी केवल लखनऊ के नहीं थे. वह पूरे प्रदेश के थे. पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उनसे जुड़े रहे. कोई पदचिन्हों पर चलता है तो कोई पदचिह्न बनाता है. टण्डन जी के पदचिन्हों पर हम सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को चलना चाहिए. डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि टंडन जी और लखनऊ एक दूसरे के पूरक थे. सभी धर्मों में उनकी लोकप्रियता थी. अटल और टण्डन पहले भी साथ थे और मृत्यु के उपरांत भी दोनों साथ में हैं. अटल चौक के पास टंडन जी की प्रतिमा स्थापित की गयी है.
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मेयर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि बाबूजी हमेशा लोगों को पिता की तरह स्नेह करते थे. उनकी कभी डांट पड़ती थी तो कभी दुलार करके भी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करते रहे हैं. उनकी कमी को कोई भी पूरा नहीं कर सकता है. इस मौके पर यूपी भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रतदेव सिंह, कानून मंत्री बृजेश पाठक, जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह, अल्पसंख्यक राज्य मंत्री मोहसिन रजा, मंत्री स्वाति सिंह समेत अन्य नेता मौजूद रहे.