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यूपी की सियासी जमीन पर पसीना बहाने को प्रियंका तैयार, पार्टी नेताओं को परंपरा पर भरोसा बरकरार

उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने कमर कस ली है. पार्टी की नेता प्रियंका गांधी 16 जुलाई को लखनऊ दौरे पर आ रही हैं. जहां वह कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगी और चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा करेंगी. वहीं पार्टी के कुछ नेता आज भी परंपरा पर भरोसा रखने की बात कर रहे हैं.

यूपी की सियासी जमीन पर पसीना बहाने को प्रियंका तैयार,
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Published : Jul 14, 2021, 10:21 PM IST

लखनऊ : लंबे समय से उत्तर प्रदेश की सियासत में वनवास झेल रही कांग्रेस पार्टी को सत्ता दिलाने के लिए राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही पसीना बहाने को तैयार हों, लेकिन पार्टी के कई नेताओं को सूबे की राजनीतिक परंपरा पर भरोसा है. शायद यही वजह है कि राज्य विधानसभा चुनाव में लोगों के बीच पहुंचने की रणनीति बनाने की जगह पार्टी नेता यहां पंचायत और विधानसभा चुनाव की पंरपरा का असर सत्ता दल पर पड़ने का तर्क दे रहे हैं. इनका तर्क है कि जिस भी पार्टी की सत्ता राज्य में रही है, वह पंचायत चुनाव भले जीत जाए, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में जनता उसे बाहर कर देती है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आगामी 16 जुलाई को प्रियंका गांधी के लखनऊ दौरे के बाद पार्टी नेता चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी करते हैं या सियासी परंपरा के इंतजार में बैठते हैं. कांग्रेस पार्टी नेता के इस तर्क पर भाजपा चुटकी भी ले रही है.

यूपी की सियासी जमीन पर पसीना बहाने को प्रियंका तैयार

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि पूर्व में बहुजन समाज पार्टी को पंचायत चुनाव में क्लीनस्वीप करते देखा. समाजवादी पार्टी ने भी पंचायत चुनाव में बड़ी जीत हासिल की और अब भारतीय जनता पार्टी ने क्लीन स्वीप किया है. लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में इनकी हार तय है. क्योंकि जब भी सत्तासीन बसपा और सपा की तरह ही इनकी भी स्थिति होगी.

प्रमोद तिवारी कहते हैं कि 2012 में बहुजन समाज पार्टी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी. वहीं 2017 में समाजवादी पार्टी भी सत्ता से बेदखल हो गई. अब 2022 में यूपी की योगी सरकार भी सत्ता से हाथ धो बैठेगी. इनका तो यहां तक कहना है कि अब 2022 में कांग्रेस पार्टी की कुंडली में सत्ता में आना लिखा है.

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी आगे कहते हैं कि मैंने अपने समय में कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह को पंचायत चुनाव में क्लीनस्वीप करते देखा, लेकिन उसके बाद सरकार चली गई. बसपा ने भी पंचायत चुनाव में क्लीनस्वीप किया. इसके बाद समाजवादी पार्टी भी पंचायत चुनाव में कामयाब हुई, लेकिन यह सभी विधानसभा चुनाव में फेल हो गईं, क्योंकि उन्हें जनादेश नहीं मिला. इस बार भारतीय जनता पार्टी को भी विधानसभा चुनाव में जनादेश नहीं मिलेगा. कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं की मेहनत और जनता के साथ मिलकर सरकार बनाएगी.

कांग्रेस पार्टी के इस तर्क पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि लोकतंत्र में निर्णय जनता देती है और इस तरह के जो पूर्वानुमान हैं, उन्हें जनता फेल कर देगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में पहले भी तमाम मिथ टूटे हैं. कहा गया कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है वह मुख्यमंत्री नहीं रह जाता, यह भी मिथ टूटेगा, साथ ही सभी पार्टियों ने कहा था कि कोरोना में हर दिन एक लाख से ज्यादा मरीज आएंगे. मुख्यमंत्री योगी ने इतना बेहतर काम किया कि सभी की भविष्यवाणी गलत साबित हुई. इस तरह के मिथ टूटते रहे हैं और टूटेंगे भी. 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जनता भारतीय जनता पार्टी के साथ होगी. प्रदेश भर में कमल खिलेगा.

बता दें कि उत्तर प्रदेश में आखिरी बार 1989 तक कांग्रेस की सरकार रही थी. इसके बाद पार्टी ने सत्ता पाने के लिए जोर आजमाइश की, लेकिन जनता ने भरोसा नहीं किया. अब राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी जोर लगा रही हैं. कांग्रेस पार्टी को भरोसा है कि अब तक जो नहीं हुआ, वह इस बार के 2022 विधानसभा चुनाव में जरूर होगा. साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अखिलेश की समाजवादी पार्टी से हाथ भी मिलाया था. राहुल और अखिलेश '27 साल यूपी बेहाल के साथ' 'यूपी को साथ पसंद है' का भी नारा लगा, लेकिन कांग्रेस पार्टी के सिर्फ सात विधायक ही जीत पाए.

उत्तर प्रदेश में साल 2019 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो इससे पहले ही प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में एंट्री हो चुकी थी. उन्होंने लोकसभा चुनाव में मोर्चा भी संभाला, लेकिन पार्टी सिर्फ एक लोकसभा सीट ही जीत पाई. सोनिया गांधी रायबरेली सीट कांग्रेस के खाते में लाने में कामयाब रहीं, जबकि राहुल गांधी अमेठी सीट हार गए. इस बार जनता कितना विश्वास दिखाती है, यह चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा.

लखनऊ : लंबे समय से उत्तर प्रदेश की सियासत में वनवास झेल रही कांग्रेस पार्टी को सत्ता दिलाने के लिए राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही पसीना बहाने को तैयार हों, लेकिन पार्टी के कई नेताओं को सूबे की राजनीतिक परंपरा पर भरोसा है. शायद यही वजह है कि राज्य विधानसभा चुनाव में लोगों के बीच पहुंचने की रणनीति बनाने की जगह पार्टी नेता यहां पंचायत और विधानसभा चुनाव की पंरपरा का असर सत्ता दल पर पड़ने का तर्क दे रहे हैं. इनका तर्क है कि जिस भी पार्टी की सत्ता राज्य में रही है, वह पंचायत चुनाव भले जीत जाए, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में जनता उसे बाहर कर देती है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आगामी 16 जुलाई को प्रियंका गांधी के लखनऊ दौरे के बाद पार्टी नेता चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी करते हैं या सियासी परंपरा के इंतजार में बैठते हैं. कांग्रेस पार्टी नेता के इस तर्क पर भाजपा चुटकी भी ले रही है.

यूपी की सियासी जमीन पर पसीना बहाने को प्रियंका तैयार

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि पूर्व में बहुजन समाज पार्टी को पंचायत चुनाव में क्लीनस्वीप करते देखा. समाजवादी पार्टी ने भी पंचायत चुनाव में बड़ी जीत हासिल की और अब भारतीय जनता पार्टी ने क्लीन स्वीप किया है. लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में इनकी हार तय है. क्योंकि जब भी सत्तासीन बसपा और सपा की तरह ही इनकी भी स्थिति होगी.

प्रमोद तिवारी कहते हैं कि 2012 में बहुजन समाज पार्टी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी. वहीं 2017 में समाजवादी पार्टी भी सत्ता से बेदखल हो गई. अब 2022 में यूपी की योगी सरकार भी सत्ता से हाथ धो बैठेगी. इनका तो यहां तक कहना है कि अब 2022 में कांग्रेस पार्टी की कुंडली में सत्ता में आना लिखा है.

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी आगे कहते हैं कि मैंने अपने समय में कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह को पंचायत चुनाव में क्लीनस्वीप करते देखा, लेकिन उसके बाद सरकार चली गई. बसपा ने भी पंचायत चुनाव में क्लीनस्वीप किया. इसके बाद समाजवादी पार्टी भी पंचायत चुनाव में कामयाब हुई, लेकिन यह सभी विधानसभा चुनाव में फेल हो गईं, क्योंकि उन्हें जनादेश नहीं मिला. इस बार भारतीय जनता पार्टी को भी विधानसभा चुनाव में जनादेश नहीं मिलेगा. कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं की मेहनत और जनता के साथ मिलकर सरकार बनाएगी.

कांग्रेस पार्टी के इस तर्क पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि लोकतंत्र में निर्णय जनता देती है और इस तरह के जो पूर्वानुमान हैं, उन्हें जनता फेल कर देगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में पहले भी तमाम मिथ टूटे हैं. कहा गया कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है वह मुख्यमंत्री नहीं रह जाता, यह भी मिथ टूटेगा, साथ ही सभी पार्टियों ने कहा था कि कोरोना में हर दिन एक लाख से ज्यादा मरीज आएंगे. मुख्यमंत्री योगी ने इतना बेहतर काम किया कि सभी की भविष्यवाणी गलत साबित हुई. इस तरह के मिथ टूटते रहे हैं और टूटेंगे भी. 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जनता भारतीय जनता पार्टी के साथ होगी. प्रदेश भर में कमल खिलेगा.

बता दें कि उत्तर प्रदेश में आखिरी बार 1989 तक कांग्रेस की सरकार रही थी. इसके बाद पार्टी ने सत्ता पाने के लिए जोर आजमाइश की, लेकिन जनता ने भरोसा नहीं किया. अब राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी जोर लगा रही हैं. कांग्रेस पार्टी को भरोसा है कि अब तक जो नहीं हुआ, वह इस बार के 2022 विधानसभा चुनाव में जरूर होगा. साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अखिलेश की समाजवादी पार्टी से हाथ भी मिलाया था. राहुल और अखिलेश '27 साल यूपी बेहाल के साथ' 'यूपी को साथ पसंद है' का भी नारा लगा, लेकिन कांग्रेस पार्टी के सिर्फ सात विधायक ही जीत पाए.

उत्तर प्रदेश में साल 2019 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो इससे पहले ही प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में एंट्री हो चुकी थी. उन्होंने लोकसभा चुनाव में मोर्चा भी संभाला, लेकिन पार्टी सिर्फ एक लोकसभा सीट ही जीत पाई. सोनिया गांधी रायबरेली सीट कांग्रेस के खाते में लाने में कामयाब रहीं, जबकि राहुल गांधी अमेठी सीट हार गए. इस बार जनता कितना विश्वास दिखाती है, यह चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा.

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