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UP लोक निर्माण विभाग में 112 इंजीनियर दोबारा बनाए जाएंगे जेई, जूनियर इंजीनियर से किया था डिमोट

उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (UP Public Works Department) में 112 इंजीनियरों को दोबारा जेई बनाया जाएगा. अवर अभियंता दूरस्थ शिक्षा पद्धति (Junior Engineer Distance Learning System) से डिप्लोमा लेने की वजह से इन सभी जूनियर इंजीनियरों को बाबू बना दिया गया था.

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Published : Aug 30, 2022, 2:18 PM IST

लखनऊ: यूपी लोक निर्माण विभाग (UP Public Works Department) में 112 इंजीनियरों को दूरस्थ शिक्षा पद्धति से डिप्लोमा लेने की वजह से बाबू बना दिया गया था. यह मामला लंबे समय तक चर्चा में रहा था. लेकिन, कोर्ट से मिली जीत के बाद एक बार फिर इन बाबुओं को जेई बनाने की शुरुआत हो चुकी है. सभी को नए सिरे से आदेश दिए जा रहे हैं. जितने भी अवर अभियंता डिमोट किए गए थे. उन्हें वापस जेई के पद पर तैनात किया जा रहा है.

लोक निर्माण विभाग (UP Public Works Department) की ओर से यह स्पष्ट नीति बना दी गई है कि दूरस्थ शिक्षा से डिप्लोमा करने वाले बाबू को उनके पद पर प्रमोट नहीं किया जाएगा. उनको रेगुलर पढ़ाई करके डिप्लोमा करना पड़ेगा. इसके लिए पढ़ाई के दौरान छुट्टी लेनी होगी. पीडब्ल्यूडी के 112 जेई पर अप्रैल में कार्रवाई हुई थी. इन सभी को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इंजीनियरिंग के जिस डिप्लोमा से प्रमोट किया गया था, उस डिप्लोमा को चार सदस्यीय रिव्यू कमेटी ने भी अमान्य ठहरा दिया था. ऐसे में इन अवर अभियंताओं का पदावनत कर दिया गया था.

पीडब्ल्यूडी में अवर अभियंता के 5 फीसदी पद को बाबुओं की पदोन्नति से भरने का नियम है. तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की नियमावली में यह संशोधन वर्ष 2013 में किया गया था. इसके तहत इंजीनियरिंग का वैध डिप्लोमा हासिल कर चुके बाबू इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं. इस संशोधन के बाद तमाम बाबुओं ने राजस्थान के एक विश्वविद्यालय समेत कई निजी संस्थानों से दूरस्थ शिक्षा से दो वर्षीय डिप्लोमा हासिल कर लिया. समाजवादी पार्टी के शासन में उस डिप्लोमा के आधार पर 124 बाबुओं को जेई बना दिया गया. इसके बाद इस पर सवाल उठे तो जांच के लिए पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन मुख्य अभियंता एचएन पांडेय की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई.

पांडेय कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार यूजीसी ने बताया कि किसी भी दूरस्थ शिक्षा केंद्र से ली गई इंजीनियरिंग की डिग्री या डिप्लोमा अमान्य है. इसके बाद ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (All India Council for Technical Education) और डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो (Distance Education Bureau) ने भी दूरस्थ शिक्षा से लिए गए डिप्लोमा को अमान्य बताया. लेकिन, लंबे समय तक पांडेय कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं हुई तो शासन ने पीडब्ल्यूडी मुख्यालय से कड़ी आपत्ति दर्ज कराई.

यह भी पढ़ें: UP में 7 पुलिस उपाधीक्षकों का तबादला, जानें

शासन की आपत्ति के बाद पांडेय कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन करके फाइनल रिपोर्ट देने के लिए प्रमुख अभियंता एके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में रिव्यू कमेटी बनाई गई. इसमें मुख्य अभियंता अशोक कुमार, वरिष्ठ स्टाफ ऑफिसर तारा चंद्र रवि और शैलेंद्र कुमार यादव बतौर सदस्य शामिल किए गए. रिव्यू कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की. इसमें भी प्रमोटी जेई का डिप्लोमा वैध नहीं माना गया था. रिव्यू कमेटी ने पांडेय की कमेटी की रिपोर्ट पर मुहर लगाई थी.

प्रमोट किए गए अवर अभियंता हाईकोर्ट की शरण में गए. कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी को आदेश दिया कि इन अवर अभियंताओं को दोबारा उनके पदों पर तैनात कर दिया जाए. इसके बाद प्रमुख अभियंता विनोद कुमार श्रीवास्तव की ओर से सभी जेई को अलग-अलग पत्र जारी किए जा रहे हैं. इसमें उनको दोबारा जनपद पर न केवल तैनात किया गया है, बल्कि जितने समय वह डिमोट रहे. उस दौरान के वेतन और भत्तों का एरियर भी उनको दिया जाएगा. लेकिन, अब पीडब्ल्यूडी में यह व्यवस्था तय कर दी गई है कि कोई भी बाबू अब दूरस्थ शिक्षा के जरिए किए गए डिप्लोमा से पदोन्नत नहीं किया जाएगा.

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लखनऊ: यूपी लोक निर्माण विभाग (UP Public Works Department) में 112 इंजीनियरों को दूरस्थ शिक्षा पद्धति से डिप्लोमा लेने की वजह से बाबू बना दिया गया था. यह मामला लंबे समय तक चर्चा में रहा था. लेकिन, कोर्ट से मिली जीत के बाद एक बार फिर इन बाबुओं को जेई बनाने की शुरुआत हो चुकी है. सभी को नए सिरे से आदेश दिए जा रहे हैं. जितने भी अवर अभियंता डिमोट किए गए थे. उन्हें वापस जेई के पद पर तैनात किया जा रहा है.

लोक निर्माण विभाग (UP Public Works Department) की ओर से यह स्पष्ट नीति बना दी गई है कि दूरस्थ शिक्षा से डिप्लोमा करने वाले बाबू को उनके पद पर प्रमोट नहीं किया जाएगा. उनको रेगुलर पढ़ाई करके डिप्लोमा करना पड़ेगा. इसके लिए पढ़ाई के दौरान छुट्टी लेनी होगी. पीडब्ल्यूडी के 112 जेई पर अप्रैल में कार्रवाई हुई थी. इन सभी को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इंजीनियरिंग के जिस डिप्लोमा से प्रमोट किया गया था, उस डिप्लोमा को चार सदस्यीय रिव्यू कमेटी ने भी अमान्य ठहरा दिया था. ऐसे में इन अवर अभियंताओं का पदावनत कर दिया गया था.

पीडब्ल्यूडी में अवर अभियंता के 5 फीसदी पद को बाबुओं की पदोन्नति से भरने का नियम है. तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की नियमावली में यह संशोधन वर्ष 2013 में किया गया था. इसके तहत इंजीनियरिंग का वैध डिप्लोमा हासिल कर चुके बाबू इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं. इस संशोधन के बाद तमाम बाबुओं ने राजस्थान के एक विश्वविद्यालय समेत कई निजी संस्थानों से दूरस्थ शिक्षा से दो वर्षीय डिप्लोमा हासिल कर लिया. समाजवादी पार्टी के शासन में उस डिप्लोमा के आधार पर 124 बाबुओं को जेई बना दिया गया. इसके बाद इस पर सवाल उठे तो जांच के लिए पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन मुख्य अभियंता एचएन पांडेय की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई.

पांडेय कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार यूजीसी ने बताया कि किसी भी दूरस्थ शिक्षा केंद्र से ली गई इंजीनियरिंग की डिग्री या डिप्लोमा अमान्य है. इसके बाद ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (All India Council for Technical Education) और डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो (Distance Education Bureau) ने भी दूरस्थ शिक्षा से लिए गए डिप्लोमा को अमान्य बताया. लेकिन, लंबे समय तक पांडेय कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं हुई तो शासन ने पीडब्ल्यूडी मुख्यालय से कड़ी आपत्ति दर्ज कराई.

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शासन की आपत्ति के बाद पांडेय कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन करके फाइनल रिपोर्ट देने के लिए प्रमुख अभियंता एके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में रिव्यू कमेटी बनाई गई. इसमें मुख्य अभियंता अशोक कुमार, वरिष्ठ स्टाफ ऑफिसर तारा चंद्र रवि और शैलेंद्र कुमार यादव बतौर सदस्य शामिल किए गए. रिव्यू कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की. इसमें भी प्रमोटी जेई का डिप्लोमा वैध नहीं माना गया था. रिव्यू कमेटी ने पांडेय की कमेटी की रिपोर्ट पर मुहर लगाई थी.

प्रमोट किए गए अवर अभियंता हाईकोर्ट की शरण में गए. कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी को आदेश दिया कि इन अवर अभियंताओं को दोबारा उनके पदों पर तैनात कर दिया जाए. इसके बाद प्रमुख अभियंता विनोद कुमार श्रीवास्तव की ओर से सभी जेई को अलग-अलग पत्र जारी किए जा रहे हैं. इसमें उनको दोबारा जनपद पर न केवल तैनात किया गया है, बल्कि जितने समय वह डिमोट रहे. उस दौरान के वेतन और भत्तों का एरियर भी उनको दिया जाएगा. लेकिन, अब पीडब्ल्यूडी में यह व्यवस्था तय कर दी गई है कि कोई भी बाबू अब दूरस्थ शिक्षा के जरिए किए गए डिप्लोमा से पदोन्नत नहीं किया जाएगा.

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