लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पिछले कई दशक से अस्तित्व की जंग लड़ रही कांग्रेस पार्टी को कोई भी नेता संजीवनी नहीं दिला पा रहा था. ऐसे में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं की निगाहें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) पर टिकी हुई थीं. सभी उम्मीद लगाए थे कि सक्रिय राजनीति में प्रियंका गांधी आएंगी, तो कांग्रेस का डंका जरूर बजेगा. उत्तर प्रदेश की सियासत में कांग्रेस की वापसी हो सकेगी. कांग्रेस कार्यकर्ता लगातार सक्रिय राजनीति में प्रियंका गांधी की मांग कर रहे थे.
आखिर 2019 में वह मौका आ गया, जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सम्मान रखते हुए पार्टी आलाकमान ने प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतार दिया. राष्ट्रीय महासचिव के साथ ही उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर भेजा. हालांकि 2019 लोकसभा से लेकर 2022 के विधानसभा चुनाव तक प्रियंका गांधी ने जो 'टीम प्रियंका' बनाई थी, उसके तमाम नवरत्न तितर-बितर हो गए. टीम प्रियंका बिखर गयी.
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की जीत के लिए प्रियंका गांधी ने अपने टीम तैयार की थी. इसे 'टीम प्रियंका' नाम दिया गया. लोकसभा चुनाव में जहां पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी प्रियंका के कंधों पर थी, वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभार ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपा गया था. प्रियंका गांधी ने जमकर मेहनत भी की थी, लेकिन जब लोकसभा के नतीजे आए, तो प्रियंका गांधी का कोई चमत्कार नजर नहीं आया. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी सिर्फ एक लोक सभा सीट ही जीत पाई, वह भी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की थी, यहां तक कि उनके भाई राहुल गांधी कांग्रेस के गढ़ अमेठी में हार गए.
रायबरेली पर भी जीत सोनिया गांधी की छवि के कारण और उनसे जनता के भावनात्मक लगाव के कारण मिली. ऐसे में जब लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने का प्रियंका गांधी पर दबाव बना, तो उन्होंने 2022 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के लिए अलग रणनीति के तहत काम करना शुरू किया. अपने खास लोगों को लेकर प्रियंका गांधी ने नई टीम बनायी. इस टीम के साथ चुनाव से पहले ही काम करना शुरू कर दिया, लेकिन प्रियंका को यहां भी जोरदार झटके लगे. चुनाव आते-आते प्रियंका की आधी से ज्यादा टीम ने साथ छोड़ा.
लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को ज्योतिरादित्य ने दिया झटका
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव में अपेक्षित नतीजे न आने के बाद प्रियंका गांधी के साथ मिलकर काम कर रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी को सबसे पहले जोरदार झटका दिया. सिंधिया कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और यहीं से प्रियंका के साथियों के छूटने का भी सिलसिला शुरू हो गया. ज्योतिरादित्य के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद कांग्रेस ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ प्रियंका को समूचे उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंप दिया. प्रियंका ने लोकसभा चुनाव के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए टारगेट सेट किया. टीम प्रियंका में उत्तर प्रदेश की महिला नेत्रियों और पुरुष नेताओं को शामिल किया गया.
अजय कुमार लल्लू को बनाया प्रदेश अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जनता को संदेश देने के लिए एक बड़ा दांव खेला. प्रियंका गांधी के कहने पर उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष की कमान अजय कुमार लल्लू को सौंपी गई. लल्लू पिछड़ा वर्ग से आते हैं और उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की आबादी काफी करीब फीसदी है यानी जीत हार में ओबीसी की भूमिका निर्णायक है. ऐसे में टीम प्रियंका के सबसे वफादार सिपाही के रूप में अजय कुमार लल्लू के कंधों पर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी डाली गई. हालांकि कुशीनगर की तुमकहीराज सीट से दो बार के विधायक अजय कुमार लल्लू की स्थिति इस बार अपनी सीट पर मजबूत नहीं लग रही है. विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने से पहले राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा तेज हो गई थी कि अजय कुमार लल्लू भी कांग्रेस पार्टी छोड़कर जा सकते हैं. हालांकि ऐसा नहीं हुआ.
आराधना मिश्रा 'मोना' प्रियंका की खास
टीम प्रियंका की सबसे खास नेता के तौर पर आराधना मिश्रा 'मोना' उनके साथ अब भी खड़ी हुई हैं. ज्यादातर मंचों पर प्रियंका गांधी के साथ आराधना मिश्रा नजर आती हैं. मौजूदा समय में वह कांग्रेस के विधानमंडल दल की नेता भी हैं और उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट से एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं. इससे पहले 2017 में आराधना मिश्रा विधायक बनी थीं. टीम प्रियंका को मजबूती देने में आराधना मिश्रा जुटी हुई हैं. हालांकि लगातार टीम प्रियंका के तमाम सदस्यों के साथ छोड़ने से आराधना भी काफी आहत हैं.
अमेठी में एमएलसी दीपक सिंह के कंधों पर कांग्रेस की जिम्मेदारी
अमेठी में प्रियंका गांधी को मजबूती देने के लिए कांग्रेस पार्टी के विधान परिषद सदस्य दीपक सिंह पूरी मेहनत करते रहे. उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान अमेठी में ही डेरा डाले रखा. दीपक को प्रियंका गांधी के साथ-साथ राहुल गांधी का काफी खास माना जाता है. वर्तमान में दीपक सिंह उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कांग्रेस के नेता विधान परिषद भी हैं.
अदिति सिंह ने दिया था बड़ा झटका
टीम प्रियंका गांधी का खास हिस्सा रहीं रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह ने विधानसभा चुनाव आते-आते कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका दिया. उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली. अदिति का ये कदम प्रियंका गांधी के लिए भी बड़े शॉक से कम नहीं था, क्योंकि प्रियंका से ही प्रेरित होकर अदिति ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी और प्रियंका ने भी उन्हें अपने बेहद करीब मानते हुए अपनी टीम का हिस्सा बनाया था. 2017 में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़कर विधायक बनीं अदिति सिंह अब 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी हैं.
जितिन और आरपीएन ने भी ले ली विदाई
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता के तौर पर जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह की पहचान है. दोनों ही केंद्र में कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे थे. प्रियंका गांधी के साथ ही राहुल गांधी के काफी करीबी नेताओं में इन दोनों की गिनती होती थी, लेकिन अपने लिए कांग्रेस पार्टी में बेहतर भविष्य न देखते हुए दोनों ही नेताओं ने उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के मंसूबों पर पानी फेरते हुए कांग्रेस का हाथ छोड़ भारतीय जनता पार्टी की राह पकड़ ली. अब दोनों ही नेता टीम प्रियंका का साथ छोड़कर भाजपा के पाले में खड़े हैं. जितिन प्रसाद तो योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बन गए.
100 साल पुराने परिवार ने भी तोड़ा नाता
इधर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को खड़ा करने के लिए प्रियंका गांधी दिन-रात एक कर रही थीं, दूसरी तरफ उपेक्षित महसूस करने वाले नेताओं की संख्या में भी इजाफा हो रहा था. एक-एक करके झटके झेल रहीं प्रियंका गांधी को जबरदस्त झटका उस वक्त लगा जब 100 साल पुराने बनारस के राजनीतिक घराने ने भी कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ लिया. युवा नेता के तौर पर कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में खास पहचान रखने वाले ललितेश पति त्रिपाठी ने उपेक्षा का आरोप लगाकर कांग्रेस पार्टी छोड़ दी. इस झटके से बनारस क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी की स्थिति जरूर कमजोर हुई.
भाजपा की हुईं प्रियंका की तीन पोस्टर गर्ल
उत्तर प्रदेश में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने 40 फीसद टिकट महिलाओं को देने का एलान किया, और 159 महिलाओं को टिकट भी दिया. उन्होंने अपने साथ टीम में महिलाओं को जोड़ने की कवायद शुरू की. महिलाओं के लिए विधानसभा चुनाव में विशेष तौर पर पार्टी ने शक्ति विधान घोषणा पत्र जारी किया. प्रियंका गांधी की सहमति के बाद पोस्टर पर पार्टी की ही कई नेत्रियों को जगह दी गई, लेकिन चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद जिन्हें प्रियंका ने अपना खास माना था उन्होंने ही प्रियंका को झटका दे दिया. शक्ति विधान पोस्टर के सेंटर में मौजूद डॉ. प्रियंका मौर्या ने कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन की. इसके बाद महिला कांग्रेस में नेत्री वंदना सिंह ने भी कांग्रेस छोड़ दी भाजपा ज्वाइन कर ली. महिला कांग्रेस नेत्री पल्लवी सिंह ने भी प्रियंका गांधी से हाथ छुड़ाकर भाजपा का साथ पकड़ लिया. कुल मिलाकर चुनाव के पहले बनी टीम प्रियंका चुनाव आते-आते काफी हद तक बिखरी हुई नजर आने लगी.
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टीम प्रियंका में राष्ट्रीय सचिव व सह प्रभारी निभा रहे जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश में टीम प्रियंका गांधी के लिए कई राष्ट्रीय सचिवों की टीम काम कर रही है. इनमें राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर, सचिन नाईक, बाजीराव खाड़े, प्रदीप नरवाल, सत्यनारायण पटेल, रोहित चौधरी और तारिक शामिल हैं. नतीजे बताएंगे कि राष्ट्रीय सचिवों ने प्रियंका गांधी को मजबूत करने के लिए कितनी ईमानदारी से मेहनत की है. वजह है कि कई राष्ट्रीय सचिवों पर टिकट बेचने से लेकर दूसरे कई तरह के गंभीर आरोप भी लगे हैं, जिससे पार्टी की साख गिरी थी.
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