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लखनऊ: सरकारी दफ्तरों और नेताओं के घर लगेंगे प्रीपेड मीटर, बकाया बिल वसूलने की समस्या से मिलेगी निजात

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि 15 नवंबर से जनप्रतिनिधियों के आवास के साथ ही सरकारी दफ्तरों में प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे, जिससे बिजली विभाग को बकाया बिल वसूलने में होने वाली समस्या का हल हो सके.

सरकारी दफ्तरों और नेताओं के घर लगेंगे प्रीपेड मीटर.
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Published : Oct 31, 2019, 5:11 PM IST

लखनऊ: प्रदेश में नेताओं, मंत्रियों के आवास और सरकारी दफ्तरों पर बिजली विभाग का 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है. इस बकाया बिल को वसूलना बिजली विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित होता रहा है. यही वजह है कि बिजली विभाग हजारों करोड़ के घाटे में है. इसका खामियाजा जनता को महंगी बिजली का भुगतान करके चुकाना पड़ रहा है.

सरकारी दफ्तरों और नेताओं के घर लगेंगे प्रीपेड मीटर.

प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने 15 नवंबर से जनप्रतिनिधियों के आवास के साथ ही सरकारी दफ्तरों में प्रीपेड मीटर लगाए जाने का ऐलान किया है, जिससे बिजली बिल वसूली की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी. श्रीकांत शर्मा के इस बयान पर सच में अमल होता है तो निश्चित तौर पर बिजली विभाग को आने वाले दिनों में बड़ी राहत मिल जाएगी.

सरकारी दफ्तरों पर जल्द लगेगें प्रीपेड
15 नवंबर से सभी जनप्रतिनिधियों के आवास के साथ ही सरकारी दफ्तरों पर प्रीपेड मीटर लगाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा. प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा अपने आवास पर प्रीपेड मीटर लगाकर इसकी शुरुआत करेंगे. इसके बाद सभी के आवासों पर धीरे-धीरे प्रीपेड मीटर लगते जाएंगे. सरकारी दफ्तरों में मीटर लगाने की प्रक्रिया में भी तेजी लाई जाएगी.

इसे भी पढे़ं- प्रदेश के नेताओं और अधिकारियों के सरकारी आवासों पर लगेंगे प्रीपेड बिजली के मीटर: श्रीकांत शर्मा

बिजली विभाग को मिलेगी राहत
बिजली विभाग के अधिकारियों को अपना ही पैसा वसूलने के लिए नेता, मंत्रियों के घर और सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, जितनी बिजली जलाएंगे उसका पहले ही भुगतान करना होगा. राजधानी के कैंट क्षेत्र में जहां जनप्रतिनिधियों के आवास की और हजरतगंज में सरकारी दफ्तरों की संख्या काफी है. कैंट क्षेत्र में प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. प्रीपेड मीटर लगने के बाद एडवांस में बिजली विभाग के खाते में पैसा आ जाएगा. जिसके बाद विभाग आगे की योजना पर भी अमल कर सकेगा.

इन विभागों पर इतना बिल बकाया
वर्तमान में बिजली विभाग का 13000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया सरकारी विभागों पर है. जिनमें सितंबर माह तक सिंचाई विभाग पर 2656.31 करोड़ रुपये, जल निगम की नदी प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाओं पर 128.78 करोड़ रुपये, स्थानीय निकायों के मार्ग प्रकाश और जलकल पर अगस्त तक 1810.18 करोड़ रुपये, जल संस्थानों पर 1697. 22 करोड़ रुपये और मध्यांचल निगम के सरकारी कनेक्शन पर 829.53 करोड़ रुपये बकाया था.

हमारे क्षेत्र में सरकारी और गैर सरकारी मिलाकर 26 सौ कंज्यूमर्स हैं. जितने भी हमारे ऐसे कंज्यूमर हैं जो गवर्नमेंट के नहीं हैं हम वहां भी प्रीपेड मीटर लगाने की कोशिश कर रहे हैं. हमने गौतम पल्ली एरिया में काफी कनेक्शन प्रीपेड मीटर में दिए हैं.
-अशोक सिंह, अवर अभियंता

लखनऊ: प्रदेश में नेताओं, मंत्रियों के आवास और सरकारी दफ्तरों पर बिजली विभाग का 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है. इस बकाया बिल को वसूलना बिजली विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित होता रहा है. यही वजह है कि बिजली विभाग हजारों करोड़ के घाटे में है. इसका खामियाजा जनता को महंगी बिजली का भुगतान करके चुकाना पड़ रहा है.

सरकारी दफ्तरों और नेताओं के घर लगेंगे प्रीपेड मीटर.

प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने 15 नवंबर से जनप्रतिनिधियों के आवास के साथ ही सरकारी दफ्तरों में प्रीपेड मीटर लगाए जाने का ऐलान किया है, जिससे बिजली बिल वसूली की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी. श्रीकांत शर्मा के इस बयान पर सच में अमल होता है तो निश्चित तौर पर बिजली विभाग को आने वाले दिनों में बड़ी राहत मिल जाएगी.

सरकारी दफ्तरों पर जल्द लगेगें प्रीपेड
15 नवंबर से सभी जनप्रतिनिधियों के आवास के साथ ही सरकारी दफ्तरों पर प्रीपेड मीटर लगाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा. प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा अपने आवास पर प्रीपेड मीटर लगाकर इसकी शुरुआत करेंगे. इसके बाद सभी के आवासों पर धीरे-धीरे प्रीपेड मीटर लगते जाएंगे. सरकारी दफ्तरों में मीटर लगाने की प्रक्रिया में भी तेजी लाई जाएगी.

इसे भी पढे़ं- प्रदेश के नेताओं और अधिकारियों के सरकारी आवासों पर लगेंगे प्रीपेड बिजली के मीटर: श्रीकांत शर्मा

बिजली विभाग को मिलेगी राहत
बिजली विभाग के अधिकारियों को अपना ही पैसा वसूलने के लिए नेता, मंत्रियों के घर और सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, जितनी बिजली जलाएंगे उसका पहले ही भुगतान करना होगा. राजधानी के कैंट क्षेत्र में जहां जनप्रतिनिधियों के आवास की और हजरतगंज में सरकारी दफ्तरों की संख्या काफी है. कैंट क्षेत्र में प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. प्रीपेड मीटर लगने के बाद एडवांस में बिजली विभाग के खाते में पैसा आ जाएगा. जिसके बाद विभाग आगे की योजना पर भी अमल कर सकेगा.

इन विभागों पर इतना बिल बकाया
वर्तमान में बिजली विभाग का 13000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया सरकारी विभागों पर है. जिनमें सितंबर माह तक सिंचाई विभाग पर 2656.31 करोड़ रुपये, जल निगम की नदी प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाओं पर 128.78 करोड़ रुपये, स्थानीय निकायों के मार्ग प्रकाश और जलकल पर अगस्त तक 1810.18 करोड़ रुपये, जल संस्थानों पर 1697. 22 करोड़ रुपये और मध्यांचल निगम के सरकारी कनेक्शन पर 829.53 करोड़ रुपये बकाया था.

हमारे क्षेत्र में सरकारी और गैर सरकारी मिलाकर 26 सौ कंज्यूमर्स हैं. जितने भी हमारे ऐसे कंज्यूमर हैं जो गवर्नमेंट के नहीं हैं हम वहां भी प्रीपेड मीटर लगाने की कोशिश कर रहे हैं. हमने गौतम पल्ली एरिया में काफी कनेक्शन प्रीपेड मीटर में दिए हैं.
-अशोक सिंह, अवर अभियंता

Intro:नेता, मंत्री के घर और सरकारी दफ्तर पर लग जाएंगे प्रीपेड मीटर तो बिजली विभाग को मिलेगी बड़ी राहत

लखनऊ। नेताओं, मंत्रियों के आवास और सरकारी दफ्तरों पर बिजली विभाग का 13000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है और इस बकाया बिल को वसूलना बिजली विभाग के लिए हमेशा से ही टेढ़ी खीर साबित होता रहा है। यही वजह है कि बिजली विभाग हजारों करोड़ के घाटे में है और इसका खामियाजा जनता को महंगी बिजली का भुगतान करके चुकाना पड़ रहा है। अब प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का इस ओर ध्यान गया है तो उन्होंने ऐलान कर दिया है कि 15 नवंबर से जनप्रतिनिधियों के आवास के साथ ही सरकारी दफ्तरों में प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे जिससे बिजली बिल वसूली की समस्या का ही जड़ से खात्मा हो जाएगा। मंत्री श्रीकांत शर्मा का यह बयान अगर सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित नहीं रहता है, सच में इस पर अमल होता है तो निश्चित तौर पर बिजली विभाग को आने वाले दिनों में बड़ी राहत मिल जाएगी। रसूखदारों से बकाए की वसूली करने में अब तक जो विभाग को पसीना आता है प्रीपेड मीटर लगने के बाद आराम से एडवांस में बिजली विभाग के खाते में पैसा आ जाएगा जिसके बाद विभाग आगे की योजना पर भी अमल कर सकेगा।


Body:15 नवंबर से सभी जनप्रतिनिधियों के आवास के साथ ही सरकारी दफ्तरों पर प्रीपेड मीटर लगाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा अपने आवास पर प्रीपेड मीटर लगाकर इसकी शुरुआत करेंगे। इसके बाद सभी के आवासों पर धीरे-धीरे प्रीपेड मीटर लगते जाएंगे, वहीं सरकारी दफ्तरों में मीटर लगाने की प्रक्रिया में भी तेजी लाई जाएगी। इसका परिणाम ये होगा कि बिजली विभाग के अधिकारियों को अपना ही पैसा वसूलने के लिए नेता, मंत्रियों के घर और सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। जितनी बिजली जलाएंगे उसका पहले ही भुगतान करना होगा। राजधानी के कैंट क्षेत्र में जहां जनप्रतिनिधियों के आवास की संख्या काफी है तो हजरतगंज में सरकारी दफ्तर। अब जनप्रतिनिधियों के आवास और सरकारी दफ्तर पर प्रीपेड मीटर लगाने का काम शुरू हो जाएगा। कैंट क्षेत्र में प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कूपर रोड उपकेंद्र के अवर अभियंता अशोक सिंह का कहना है कि कई वीवीआइपी के यहां प्रीपेड मीटर लगा भी चुके हैं और लगातार लगाए भी जा रहे हैं।

बाइट: अशोक सिंह: अवर अभियंता

हमारे क्षेत्र में जो है 2600 कंज्यूमर्स हैं सरकारी और गैर सरकारी मिलाकर। जितने भी हमारे ऐसे कंज्यूमर है जो गवर्नमेंट के नहीं हैं हम कोशिश कर रहे हैं वहां भी प्रीपेड मीटर लगाने की। हमने काफी कनेक्शन उन्हें प्रीपेड मीटर में दिए हैं। जो हमारे गवर्नमेंट के आवास हैं गौतम पल्ली एरिया में इस एरिया में हमारे जो नए माननीय लोग आ रहे हैं कुछ अधिकारी वहां निवास करने आ रहे हैं वहां पर हम आज की डेट में प्रीपेड मीटर लगा रहे हैं। उसका बहुत बेनिफिट मिल रहा है। हमें परेशानी नहीं हो रही है। हमारे अधिकारियों को कोई समस्या उत्पन्न नहीं हो रही। जितना कंजम्प्शन होता है उतना बिल जमा हो जाता है रिचार्ज कराने के बाद। इसके अलावा गुलिस्ता कॉलोनी का एरिया है यहां पर माननीय लोग रहते हैं हम लोग कई बार जाते हैं तो वहां पर ताला बंद मिलता है। वहां पर हम बिलिंग नहीं कर पाते हैं। वहां पर भी अब प्रीपेड मीटर का प्लान कर रहे हैं। ऊर्जा मंत्री की अच्छी पहल है उनके दिशा निर्देश पर हम काम कर रहे हैं।

बाइट: जयप्रकाश निगम: उपभोक्ता

गवर्नमेंट वसूली कर नहीं पाती है। रिकवरी करती नहीं है और रेट बढ़ाती जा रही है, जिससे आम जनता त्रस्त होती है। परेशान वही होता है जो समय पर बिल जमा करता है जो नहीं जमा करता है वह जमा ही नहीं करता। उससे वसूली नहीं हो पाती है। अवैध काम हो रहे हैं कायदे के कोई काम नहीं हो रहे हैं। प्रीपेड मीटर लगाने का कोई फायदा नहीं होगा। जिसे समय पर बिल जमा करना होता है उसे चिंता रहती है, जिसे नहीं जमा करना होता वह नहीं करेगा। प्रीपेड मीटर की योजना भी फेल हो जाएगी।




इन विभागों पर इतना है बकाया

वर्तमान में बिजली विभाग का 13000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया सरकारी विभागों पर है। जिनमें सितंबर माह तक सिंचाई विभाग पर 2656.31 करोड़, जल निगम की नदी प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाओं पर 128.78 करोड, स्थानीय निकायों के मार्ग प्रकाश व जलकल पर अगस्त तक 1810.18 करोड, जल संस्थानों पर 1697. 22 करोड़ और मध्यांचल निगम के सरकारी कनेक्शन पर 829.53 करोड़ रुपए बकाया था। कहने को बिजली विभाग की तरफ से बिजली बिल के बकाया के खिलाफ लगातार अभियान भी चलता है लेकिन इन सरकारी विभागों से बिजली का बिल वसूल पाना विभाग के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं होता है।


Conclusion:हजारों करोड़ का बकाया बिजली बिल निपटाने में जनप्रतिनिधियों और सरकारी दफ्तरों की हीलाहवाली की वजह से ही आम जनता को महंगी बिजली का भार झेलना पड़ता है। अगर सरकारी बिल सही समय पर और पूरा जमा हो जाए तो आम लोगों को भी सस्ती बिजली मिल सकती है। अब यह तो सभी सरकारी दफ्तरों और जनप्रतिनिधियों के घर पर प्रीपेड मीटर लग जाने के बाद ही पता चलेगा कि इस योजना का कितना लाभ हुआ या फिर हिलाहवाली के चलते यह योजना भी अन्य योजनाओं की तरह फेल ही साबित हुई।

अखिल पांडेय, लखनऊ, 9336864096
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