लखनऊ : राजधानी में स्थापित पॉल्यूशन सेंटर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट (pollution center transport department) के नियम-कानूनों को धुएं में उड़ा रहे हैं. किसी भी वाहन से प्रदूषण फैलाने वाला जहरीला धुआं निकलने पर उसे बिना जांचे ही फर्जी सर्टिफिकेट (fake certificate) जारी कर रहे हैं. यह तब है जब राजधानी लखनऊ भी उत्तर प्रदेश के उन जिलों में शामिल है जहां पर प्रदूषण का स्तर ज्यादा है. फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने के इस खेल का खुलासा हाल ही में लखनऊ आरटीओ कार्यालय में रि रजिस्ट्रेशन के लिए आए वाहन की फिटनेस (vehicle fitness) जांच के दौरान सामने आया है. 'ईटीवी भारत' के पास धुआं फेंकते उस वाहन का वीडियो भी मौजूद है और पॉल्यूशन सेंटर (pollution center) की तरफ से एक घंटे के अंदर ही जारी दो सर्टिफिकेट भी मौजूद हैं, जिससे यह तय हो जाता है कि किस तरह से पॉल्यूशन सेंटर सर्टिफिकेट (pollution center certificate) जारी करने में खेल कर रहे हैं. परिवहन विभाग के उच्चाधिकारियों की तरफ से जिस पॉल्यूशन सेंटर से यह सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं उस पर कार्रवाई करने के साथ ही प्रदेश भर के पॉल्यूशन सेंटरों की जांच कराए जाने की तैयारी है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी समेत प्रदेश भर में वाहनों की प्रदूषण जांच के लिए हजारों की संख्या में प्रदूषण सेंटर स्थापित हैं. यह प्रदूषण सेंटर वाहनों की जांच कर प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी करते हैं. अगर पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (pollution certificate) नहीं होता है तो वाहन को स्वस्थता प्रमाण पत्र जारी नहीं हो सकता है, लेकिन अब पॉल्यूशन सेंटर परिवहन विभाग के नियम कानूनों को धुएं में उड़ा रहे हैं. धुएं का गुबार फेंकते वाहनों को भी पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (pollution certificate) जारी कर रहे हैं. बीती तीन सितंबर को आरटीओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन के लिए एक गाड़ी आती है जिसका नंबर होता है यूपी 32 सीई 0412. बाकायदा वाहन स्वामी के पास वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र भी होता है, लेकिन गाड़ी के रि रजिस्ट्रेशन से पहले टेक्निकल अधिकारी फिटनेस जांच करते हैं तो गाड़ी से जहरीला धुआं निकलते देख फिर से पॉल्यूशन चेक कराने के लिए कहते हैं. आरटीओ कार्यालय के पास ही मौजूद श्री फीलिंग पॉल्यूशन सेंटर पर स्वयं गाड़ी मालिक के साथ जाते हैं और जांच कराते हैं. प्रदूषण जांच में यह गाड़ी फेल हो जाती है और फेल का सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है, जबकि एक घंटे पहले ही इसी गाड़ी को इसी सेंटर से वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी होता है. ऐसे में पास और फेल का पॉल्यूशन सेंटरों (pollution center) का यह खेल समझ में आ जाता है. साफ है कि प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी करते वक्त प्रदूषण सेंटर वाहन की जांच ही सही से नहीं करते हैं और वैध प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं, जो पूरी तरह फर्जी होता है.
पास और फेल में इस तरह चलता है खेल : लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित श्री फिलिंग स्टेशन के पॉल्यूशन सेंटर (Pollution Center of Shree Filling Station) की बात की जाए तो तीन सितंबर को इस सेंटर से कुल 21 वाहनों की प्रदूषण जांच की गई और सिर्फ एक ही वाहन फेल किया गया, वह वाहन था यूपी 32 सीई 0412. हालांकि पहले इस वाहन को भी पास का ही प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी किया गया था, लेकिन जब आरटीओ कार्यालय में वाहन की जांच में धुआं निकलता दिखा तो वापस भेजा गया और तब इसे इसी सेंटर से फेल का सर्टिफिकेट जारी हुआ. यानी पहले सभी 21 वाहन इस सेंटर की तरफ से पास ही कर दिए गए थे.
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1708 की जांच, सिर्फ चार फेल : इस आंकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदूषण सेंटर खेल कैसे करते हैं. ट्रांसपोर्ट नगर आरटीओ कार्यालय में कुल 361 पॉल्यूशन सेंटर रजिस्टर्ड हैं. बात अगर तीन सितंबर की ही करें तो 219 पॉल्यूशन सेंटरों पर 1708 वाहनों के प्रदूषण जांच की गई और इनमें से सिर्फ चार ही वाहन फेल निकले. यानी 1704 वाहन प्रदूषण जांच में पास हो गए. अब सवाल यह उठता है कि अगर हजारों की संख्या में वाहनों की प्रदूषण जांच होती है तो सिर्फ चार ही फेल कैसे हो सकते हैं. अगर ऐसा है तो फिर लखनऊ में प्रदूषण का स्तर बिल्कुल कम हो जाना चाहिए. लखनऊ को भी प्रदूषण मुक्त शहरों में शुमार होना चाहिए क्योंकि पॉल्यूशन सेंटरों के मुताबिक तो वाहन प्रदूषण फैला ही नहीं रहे हैं.
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क्यों नहीं होती कार्रवाई : एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि इन पॉल्यूशन सेंटरों पर आखिर किसकी मेहरबानी है? परिवहन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी समय-समय पर इन प्रदूषण केंद्रों की जांच क्यों नहीं करते हैं? क्यों प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सर्टिफिकेट जारी करने पर ऐसे सेंटरों को ब्लैकलिस्ट नहीं किया जाता है? क्यों इनके मालिकों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं होती है?
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"ईटीवी भारत" की खबर पर उत्तर प्रदेश के अपर परिवहन आयुक्त वीके सोनकिया का कहना है कि यह मामला काफी गंभीर है. आपके जरिए संज्ञान में आया है. निश्चित तौर पर संबंधित प्रदूषण सेंटर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. प्रदूषण फैलाने वाले वाहन को वैध सर्टिफिकेट जारी कर देना पूरी तरह गलत है. तीन अधिकारियो की एक टीम गठित कर उत्तर प्रदेश के सभी पॉल्यूशन सेंटरों की जांच कराई जाएगी. दोषियों पर कड़ा एक्शन लिया जाएगा.
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