लखनऊ : सिविल अस्पताल में प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन लगेगी. इसके लिए शासन की तरफ से मंजूरी मिल चुकी है. वहीं अधिकारियों का दावा है कि राजधानी के किसी भी सरकारी अस्पताल में प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन की सुविधा नहीं है. ऐसे में सिविल अस्पताल में मशीन लगने से मरीजों को काफ़ी राहत मिलेगी.
सिविल अस्पताल सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन आधुनिक सुविधाओं से लैस होती है. इस मशीन से खून से तुरंत ही प्लेटलेट्स अलग हो जाता है. मशीन की मदद से डोनर के शरीर से सिर्फ प्लेटलेट्स निकलता है, बाकी सभी कंपोनेंट वापस शरीर में चला जाता है. मशीन डोनर से ब्लड लेकर उसे तीन भाग में आरबीसी, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स में विभाजित कर देती है. रैंडम डोनर से तीन से पांच हजार प्लेटलेट्स बढ़ती हैं, जबकि एसडीपी से 30 हजार से 1.5 लाख तक प्लेटलेट्स बढ़ जाती हैं. प्लेटलेट्स की जरूरत सिर्फ डेंगू में ही नहीं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों में भी पड़ती है. इसे निकालने में 50 मिनट से लेकर 100 मिनट तक का समय लगता है.
उन्होंने बताया कि एफेरेसिस मशीन लोहिया, पीजीआई और केजीएमयू में है. किसी भी सरकारी अस्पताल में इसकी सुविधा नहीं है, जबकि डेंगू, स्वाइन फ्लू के सबसे ज्यादा मरीज जिला अस्पतालों में आते हैं. इतना ही नहीं सिविल सरकार का नोडल अस्पताल भी है. जहां राज्यपाल, सीएम समेत कई मंत्री इलाज के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में इस मशीन का महत्व ज्यादा है.
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अस्पताल की सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने कहा कि शासन की तरफ से अस्पताल में एफेरेसिस प्लेटलेट्स मशीन लगाने की मंजूरी मिल गई है. काॅरपोरेशन द्वारा इसे खरीदने का काम किया जा रहा है. उम्मीद है 15 दिनों में मशीन अस्पताल को मिल जाएगी.
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