लखनऊ : प्रदेश में डायरिया का प्रकोप (outbreak of diarrhea) तेजी से फैल रहा है. डायरिया की चपेट में आने से अगस्त माह में आठ लोगों की मौत हो गई है. विशेषज्ञ इसके पीछे सफाई में लापरवाही को मूल कारण बता रहे हैं. सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन आनंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब 200 मरीज आ रहे हैं. जिसमें से करीब 15 केस डायरिया के होते हैं, जिनकी हालत सीरियस होती है. उन्होंने बताया कि डायरिया से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि अपने आसपास वातावरण में साफ सफाई रखें. इसके अलावा खाने पीने में भी थोड़ा परहेज करें. बाहर के खाने को नजरअंदाज करें. तीन लीटर पानी जरूर पिएं.
प्रदेश में फर्रुखाबाद, कन्नौज, बांदा, फतेहपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, गोंडा, अयोध्या, बरेली और पीलीभीत समेत करीब 20 जिलों में डायरिया का प्रकोप ज्यादा है. बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग गांव-गांव जागरूकता अभियान (Awareness Campaign) चलाने का दावा कर रहा है, लेकिन ये दावे हवाई साबित हो रहे हैं. इस साल मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से जुलाई 2022 तक डायरिया के 358 मरीज मिले थे और नौ लोगों की मौत हुई थी, जबकि सिर्फ अगस्त में ही 577 मरीज मिले और आठ मरीजों की मौत हुई है. इस तरह वर्ष 2022 में अब तक कुल 935 मरीज मिले हैं और 17 मौतें डायरिया से हुई हैं. इससे पहले वर्ष 2020 में सिर्फ 40 मरीज मिले थे और एक भी मौत नहीं हुई थी. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की महानिदेशक डॉ. लिली सिंह का कहना है कि बारिश के मौसम में ये बीमारियां फैलती हैं. जहां भी बीमारी फैल रही है वहां स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंच रही है. सफाई के साथ लोगों को बीमारी से बचाव की जानकारी दी जा रही है.
2021 में नवंबर तक 1187 मरीज मिले थे, इसमें 13 की मौत हुई थी. एसजीपीजीआई के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ. आकाश माथुर कहते हैं कि बारिश के मौसम में डायरिया का असर ज्यादा होता है. जिन इलाके में सीवर के बीच से पेयजल पाइप लाइन गुजरती है वहां बीमारी फैलने की आशंका ज्यादा रहती है. बीमारी से बचने के लिए सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
कारण
बच्चों में डायरिया होने की बड़ी वजह स्तनपान के दौरान साफ सफाई नहीं होना.
बाहर का खाना, फास्ट फूड का इस्तेमाल, कटे हुए और खुले में रखे फल खाना.
एसी, कूलर वाले कमरे में से सीधे धूप में निकलना.
धूप से लौटकर आते ही तत्काल पानी पीना.
बच्चों में मिलावटी दूध से.
पाचन शक्ति कमजोर होना.
शरीर में पानी की कमी होना.
लक्षण : पेट दर्द, सूजन, पेट में मरोड़, वजन घटना, बुखार, मल में रक्त आना, उल्टी होना, लूज मोशन होना, शरीर में दर्द, बार-बार प्यास लगना, डिहाइड्रेशन, सिरदर्द
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बचाव
- अधिक से अधिक पानी पिएं.
- डायरिया होने पर डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए.
- केला, उबला आलू, अनार, अंगूर, संतरा आदि खट्टे फलों को सेवन करें
- नारियल पानी पीने से भी दस्त कम होता है.
- हाइजीन का खास ख्याल रखें.
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